जीनत अमान ने प्राइड मंथ के दौरान एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय की वकालत करने के लिए गूगल इंडिया के साथ सहयोग किया है। 70 से 80 के दशक में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकीं जीनत ने हाल ही में गूगल के हैशटैग सर्च फॉर चेंज अभियान में भाग लिया और समावेशिता पर एक संदेश दिया।
जीनत अमान ने साझा किया कि कैसे वह एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय की ओर से नहीं बोल सकतीं, क्योंकि उन्होंने उनके किसी भी अनुभव को नहीं जिया है। हालांकि, एक्ट्रेस का कहना है कि वह खुद को उनकी सहयोगी मानती हैं, क्योंकि उन्होंने कई लोगों के साथ काम किया है, और कई उनके दोस्त भी हैं।
जीनत अमान अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट कर लिखा, ‘हैप्पी प्राइड मंथ, प्रिय फॉलोअर्स। जब गूगल इंडिया अपने हैशटैग सर्च फॉर चेंज अभियान का हिस्सा बनने के लिए मेरे पास पहुंचा तो मेरी पहली प्रवृत्ति उन्हें एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय से किसी से संपर्क करने का सुझाव देने की थी। एक सीधे इंसान के रूप में मैंने उनके किसी भी अनुभव को नहीं जिया है, और इसलिए उनके लिए कुछ नहीं बोल सकती। हालांकि, मैं स्वयं को एक सहयोगी मानती हूं। मैंने इस समुदाय के कई प्रतिभाशाली, रचनात्मक, कलात्मक और अद्भुत लोगों से दोस्ती की है, उन्हें जाना है और उनके साथ काम किया है।’
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जीनत अमान ने पोस्ट में आगे लिखा, ‘मेरा संदेश एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय के लिए नहीं है। वे अपने अनुभवों को सबसे अच्छी तरह जानते हैं। मेरा संदेश सीधे लोगों के लिए है, विशेषकर उन पुरानी पीढ़ियों के लिए जो विचित्र पहचानों के अस्तित्व को स्वीकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, या सिरे से नकार रहे हैं। मैं कोई मनोवैज्ञानिक नहीं हूं, लेकिन मैं जानती हूं कि स्वस्थ्य संस्कृतियां लगातार विकसित हो रही हैं। न ही मैं प्रकृतिवादी हूं, लेकिन मैं जानती हूं कि विभिन्न प्रजातियों में अजीब रिश्ते मौजूद हैं। इससे परे स्वतंत्र इच्छा का सरल मामला है। मेरा अपना दर्शन हमेशा जियो और जीने दो का रहा है।