बजरंग पूनिया और दीपक पूनिया जैसे अंतरराष्ट्रीय पहलवानों को कुश्ती के गुर सिखा चुके वीरेंद्र दलाल ने पहलवानों के मुद्दे पर अमर उजाला डॉट कॉम के साथ बात की। वीरेंद्र दलाल का झज्जर के छारा गांव में अखाड़ा है। उन्होंने कहा कि पिछले चार-पांच महीने में बृजभूषण शरण सिंह और पहलवानों के बीच जो कुछ हुआ, उसका असर तो पड़ा है। हरियाणा में लड़कियां पहलवानी कर रही हैं, ये कोई ज्यादा पुरानी बात नहीं है। दो दशक हुए होंगे, जब छोरियों ने कुश्ती में कदम रखा। इससे पहले तो उनके लिए घर का कामकाज या स्कूल, दो ही जगह थी। कुश्ती में तो लड़के ही होते हैं। ये सोचकर मां बाप भी लड़कियों को अखाड़े में नहीं भेजते थे। दो दशक पहले हरियाणे की छोरियों ने यह सोच बदली।
उन्होंने कहा कि महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों से लड़कियों के आत्मविश्वास पर असर पड़ेगा। इसके साथ ही मां-बाप भी अपनी बच्चियों को अखाड़े में भेजने से कतराएंगे। उन्होंने कहा कि आप चाहे सरकारी या प्राइवेट अकादमी में जाकर देख लो, किसी भी अखाड़े में चले जाओ। वहां पर पांच माह के दौरान महिला पहलवानों की संख्या में गिरावट आई है। लड़कियों में कुश्ती का क्रेज घटा है। इतना ही नहीं, इस विवाद के चलते लड़के भी कम हुए हैं।
उन्होंने कहा कि जब महिला पहलवान विदेश से मेडल जीतकर लाईं, तो बाकी लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ गया था। जो ये सोचती थी कि कुश्ती तो पुरुषों का ही खेल है, वे तो नाजुक हैं, उन्होंने अपनी धारणा को बदला। एकाएक महिला पहलवानों की बाढ़ आ गई। अब इस विवाद से इस पर भी असर होगा।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने इस विवाद को जाति से जोड़ दिया। ये दुख की बात है। जब मेडल जीता तो ये देश की बेटी हुई। हमारे अखाड़े में तो हर जाति-धर्म के पहलवान हैं। अखाड़े के पहलवान जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित दूसरे राज्यों में खेलने जाते हैं। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होता। दूसरे राज्यों के खिलाड़ी भी हरियाणा आते हैं। जब से महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं, तब तरह-तरह की बातें शुरू हो गई हैं। लड़कियों और उनके मां-बाप का हौसला टूटा है।
उन्होंने कहा कि तकनीक में हमारी लड़कियों का कोई मुकाबला नहीं है। कई अभिभावकों से बातचीत होती रहती है। इस विवाद से उन्हें थोड़ी शंका होने लगी है। वे अपनी बेटियों को पहलवान बनाने से अपने कदम पीछे खींच रहे हैं। पहले तो प्रदेश में यह मानसिकता थी कि लड़की है, इसका कुश्ती में क्या काम। जब लड़कियों ने दुनिया में अपना परचम लहराया तो मां बाप और समाज की सोच भी बदलने लगी। मामले के बाद अब नई सोच ने दोबारा से पुराना रूप ले लिया। उन्होंने कहा कि मामले का हर पहलू सामने आना चाहिए। जो सच है, वह सामने आना चाहिए। कुश्ती जिंदा रहनी चाहिए।
मामले में रोहतक शहर के मध्य में कुश्ती अकादमी चलाने वाले एक संचालक से बात की गई, तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि देश और दुनिया में हरियाणा का कोई सानी नहीं है। यहां के पुरुष और महिला पहलवानों ने पूरी दुनिया में देश का गौरव बढ़ाया है। अकादमी में पांच दर्जन पहलवान हैं, इनमें लड़कियां भी हैं, हालांकि इनकी संख्या कम हो रही है। यौन शोषण जैसे आरोप कुश्ती के लिए ठीक नहीं है। कई अभिभावक चिंता में हैं कि वे अपनी बेटियों को अखाड़े से वापस बुला लें। जो अभिभावक छह माह पहले यह सोच रहे थे कि वे अपनी बेटी को साक्षी मलिक की राह पर ले जाएंगे, अब वे भी पीछे हटने लगे हैं।
झज्जर स्थित साई अखाड़ा के संचालक कहते हैं कि अभी यहां कोई महिला पहलवान तो नहीं है, मगर मामले की चर्चा बराबर होती है। जो अभिभावक अपने बच्चों के लिए पूछताछ करने आते हैं, तो वे कहते हैं ये बहुत बुरा हुआ है। हिसार में महिलाओं के बड़े कुश्ती सेंटर पर बातचीत की गई तो वहां से भी कुछ वैसा ही जवाब मिला, जैसा दूसरी जगहों से मिला है। इस सेंटर पर महिला कुश्ती खिलाड़ियों की बड़ी संख्या है।
चंडीगढ़ स्थित कुश्ती कोच दर्शनलाल बताते हैं कि बृजभूषण और महिला पहलवानों का मामला गर्माया हुआ है। ऐसे केसों की निष्पक्ष जांच पड़ताल होनी चाहिए। सच क्या है, सामने आए। पांच-छह माह में कुश्ती में एक हुल्ला गुल्ला सा मचा है। जूनियर खिलाड़ी सहमे से हैं। पेरेंट्स खुलकर बात नहीं कर रहे। कुश्ती के विभिन्न सेंटरों पर महिला पहलवानों की संख्या में थोड़ी बहुत कमी तो आई है। बाकी स्थिति का तो नेशनल गेम्स में ही पता चलेगा। उस वक्त यह मालूम होगा कि कुश्ती में कितने पुरुष और महिला खिलाड़ी सामने आए हैं।
रोहतक में ही कुश्ती के कोच, जिन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय पहलवान तैयार किए हैं, उन्होंने भी बात करने से पहले नाम न लिखने की शर्त रखी। कोच ने कहा कि प्रदेश में कुश्ती के जितने भी अखाड़े, अकादमी या सेंटर हैं, वहां पर पहलवानों की संख्या में गिरावट आई है। खासतौर पर लड़कियों की बात करें, तो इनकी संख्या तेजी से गिरी है।