फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री अक्सर ही चर्चा में बने रहते हैं। बीते साल रिलीज हुई उनकी फिल्म द कश्मीर फाइल्स के बाद से निर्माता सुर्खियों में ही बने रहते हैं। इसके साथ ही वह अपने बेबाक अंदाज के लिए काफी चर्चा में रहते हैं। वहीं, हाल ही में विवेक अग्निहोत्री ने बॉलीवुड फिल्मों के कंटेंट पर उंगली उठाई है। उन्होंने कहा है कि मध्यवर्गीय दर्शक मुश्किल से इन फिल्मों से जुड़ पाते हैं और यही वजह है कि फिल्में लोगों को थिएटर तक लाने में असफल हो रही हैं। हालांकि सुधीर मिश्रा ने तर्क दिया कि दर्शक आसली हो गए हैं, इसलिए वे सिनेमा हॉल में फिल्में नहीं देख रहे हैं।
विवेक अग्निहोत्री बोले- फिल्म उद्योग ने किया मेरा बहिष्कार
हाल ही में विवेक अग्निहोत्री और सुधीर मिश्रा के बीच पॉडकास्ट के दौरान बातचीत हुई है, जिसमें फिल्म निर्माता ने कहा कि इस उद्योग में मेरा पूरी तरह से बहिष्कार किया गया है। मैंने मध्यम वर्ग के लोगों में अपनी सांत्वना पाई है, और जब मैंने घरेलू महिलाओं से बात की, तो उन्होंने बताया कि ओवर एक्सपोजर और शारीरिक रवैये के अश्लील प्रदर्शन के साथ काफी समस्याएं हैं। निर्माता ने आगे कहा कि वे लोग चिढ़ जाते हैं, क्योंकि इस तरह की फिल्में वास्तविक विषयों को दूर करती हैं।
विवेक ने फिल्म उद्योग के कंटेंट पर उठाए सवाल
द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर ने करण जौहर की स्टूडेंट ऑफ द ईयर का उदाहरण देते हुए पूछा कि क्या फिल्म में जिस तरह के यूथ को दिखाया गया है, क्या वो सच में देश के यूथ हैं। उन्होंने कहा कि मैं बिना किसी चिढ़न के कह रहा हूं, लेकिन स्टूडेंट ऑफ द ईयर और उसके बाद की फिल्में, जरा उन फिल्मों में युवाओं को देखिए और देश की सड़कों पर युवाओं को देखिए। आपको फिल्मों में दिखाए गए यूथ नहीं मिलेंगे। जब मैंने दीवार देखी तो मैं तुरंत इससे जुड़ गया, मैंने जब फिल्म में अमिताभ बच्चन को देखा और महसूस किया कि अरे मुझे भी यह समस्या है, लेकिन आज कोई संबंध नहीं है। आप दर्शकों की संवेदनाओं का अपमान क्यों कर रहे हैं?
विवेक बोले- बॉलीवुड का बहिष्कार नकली नहीं है
इस बातचीत के दौरान सुधीर मिश्रा ने कहा कि दर्शक भी आलसी हो गए हैं, तो विवेक ने कहा कि बॉलीवुड का बहिष्कार नकली नहीं है। दर्शक आलसी नहीं हो गए हैं। मैं उन फिल्मों को समझना चाहता हूं जो आजकल बन रही हैं। इन फिल्मों को दर्शक कौन हैं? वे किसकी चिंता की बात कर रहे हैं?हम कहां जा रहे हैं?यहां तक कि मनमोहन देसाई की फिल्में भी एक मध्यवर्गीय व्यक्ति के मुद्दों को उठाती थीं, लेकिन आज की फिल्मों में आम आदमी कहां है?
ऐश्वर्या की PS-2 का किला ध्वस्त कर पाएगी ‘द केरल स्टोरी’!
विवेक और कंगना के अलावा कोई बॉलीवुड पर नहीं उठा रहा सवाल
निर्माता ने आगे कहा कि उनके और कंगना रणौत के अलावा कोई भी हिंदी फिल्म उद्योग की प्रथाओं पर सवाल नहीं उठा रहा है। अगर उद्योग कुछ गलत करता है, तो हमें उस पर सवाल उठाने का अधिकार है, कम से कम बुद्धिजीवियों और उदारवादियों को ऐसा करना चाहिए, तो फिल्म उद्योग भी एक प्रतिष्ठान है। जो लोग राज्य पर सवाल उठा रहे हैं, क्यों उन्हें पहले उस प्रतिष्ठान से यह सवाल नहीं करना चाहिए, जिससे वह रोजी रोटी कमाते हैं, तो कंगना और मेरे अलावा बॉलीवुड से किसने सवाल किया है? और अगर मैं उद्योग की प्रथाओं पर सवाल उठाऊं तो मुझे अलग क्यों होना चाहिए।
Aparshakti Khurana: एक व्यक्ति की सलाह पर रो पड़े थे अपारशक्ति खुराना, टूट गया था एक्टर का मनोबल