Teachers Day 2023:शिक्षक दिवस पर अक्षरा सिंह ने समझाई अक्षरों की ताकत, बिहार के शिक्षा माफिया से सीधी जंग – Teachers Day 2023 Akshara Singh New Film Akshara Trailer Released Based On Bihar Education System Mafias
भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह के नाम पर ही बनी फिल्म ‘अक्षरा’ में शिक्षा के महत्व को बताया गया है। शिक्षा दान को महादान कहा जाता है, लेकिन विगत कुछ वर्षों में शिक्षा माफियाओं ने शिक्षा दान को एक बड़े व्यवसाय में बदल कर रख दिया है। यह फिल्म शिक्षा के महत्व और शिक्षा के रास्ते में आने वाले शिक्षा माफियाओं के इर्द -गिर्द घूमती है। शिक्षक दिवस पर इस फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ है।
फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत ‘ये धरती पर विद्या दान महादान कहल जाला’ के स्लोगन से शुरू होता है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि फिल्म की नायिका अक्षरा गांव के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को पढ़ा रही है। वह कहती हैं, ‘मेहनत से घबराओ मत, आलस मन में लाओ मत।’ लेकिन शादी के बाद जब अक्षरा के ससुराल वाले कहते हैं कि अब नौकरी करने की कोई जरूरत नहीं है। तब अक्षरा कहती है, ‘हम नौकरी नाही, शिक्षा के माध्यम से समाज के सेवा करत चाहत हईं। सास कहती है, ‘सिर से पल्लू सरके के ना चाहीं।’ अक्षरा दोबारा स्कूल में पढ़ना शुरू करती है और बच्चों को समझती है कि हमें किताब से नहीं दिमाग से पढ़ना है।’
अक्षरा के प्राथमिक विद्यालय पर शिक्षा माफियाओं की नजर है। अक्षरा जहां बच्चों को बिना किसी लालच के पढ़ा रही है, वहीं नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए शिक्षा माफिया गैंग के लोग बच्चों से तगड़ी फीस वसूल रहे हैं। लेकिन अक्षरा के ही पढ़ाए सारे बच्चों का चयन नवोदय विद्यालय में हो जाता है। जो शिक्षा माफियाओं को नागवार गुजरता है और यहां से शुरू होता है शिक्षा माफियाओं और अक्षरा के बीच जंग।
अक्षरा कहती है, ‘अंधेरे की दुनिया में विद्या का उजाला लेकर आऊंगी। उजाले की दुनिया में सबको ले आऊंगी।’ शिक्षा माफियाओं के साथ लड़ने के लिए वह अपने पति से मदद मांगती है,लेकिन उसका पति नहीं आ सकता क्योंकि सरहद पर जंग छिड़ चुकी है। अक्षरा तब रामचरित मानस की चौपाई पढ़ते हुए कहती है, ‘जब जब होई धर्म के हानी, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा।’ और, शिक्षा माफियाओं के साथ अकेले ही भिड़ जाती है।
फिल्म ‘अक्षरा’ के बारे में अभिनेत्री अक्षरा सिंह कहती हैं, ‘यह फिल्म शिक्षा और माफिया के साथ समाज की कुरीतियों पर भी सवाल उठाती है। इस फिल्म के माध्यम से हमने यह बताने की कोशिश की है कि एक औरत किसी भी मामले में किसी से भी कमजोर नहीं होती है। जब तक वह चुप है, समाज और परिवार के लोग उसे कमजोर समझते हैं। लेकिन अगर एक औरत अन्याय के खिलाफ खड़ी हो जाए तो दुर्गा और काली बनकर समाज के दुश्मनों का सर्वनाश कर सकती हैं। इस फिल्म में महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की गई है।’