Sudesh Bhosle Interview:जब नहाते नहाते बाथरूम से बाहर निकल आए पंचम, आशा भोसले की आमद ने बदल दी मेरी किस्मत – Sudesh Bhosle Birthday Exclusive Interview First Break R D Burman Asha Bhosle Amitabh Bachchan Raj Kumar

शुरू से शुरू करते हैं, लोग आपको अमिताभ बच्चन की आवाज मानते हैं, लेकिन गाने तो आप पहले से भी गा रहे थे, कैसे मिला आपको गायकी का पहला ब्रेक?
जिस फिल्म में मैंने पहली बार गाया, वह फिल्म थी ‘जलजला’ और इसमें गाने का झे अवसर आशा जी (आशा भोसले) की वजह से मिला। उससे पहले मैं मेलोडी मेकर नामक एक आर्केस्ट्रा ग्रुप में कलाकारों की मिमिक्री करता था और गाने भी गाता था। ज्यादातर शोज किशोर (कुमार) दा के लिए करते थे और उस समय आशा जी अपने शोज के लिए अच्छे संगीत वादक तलाश रही थीं। मेलोडी मेकर को सुनने वह षणमुखानंद हाल आई। आर्केस्ट्रा तो उन्हें अच्छा लगा ही, जाते- जाते उन्होंने मेरे बारे में आयोजक से पूछा कि ये लड़का कौन है? उस कार्यक्रम में उनको एस डी बर्मन और हेमंत कुमार के मेरे गाए गाने बहुत अच्छे लगे थे।
फिर आशा भोसले से मुलाकात का सिलसिला आगे कैसे बढ़ा?
कुछ दिनों बाद उनसे एक स्टूडियो में मुलाकात हुई तो उन्होंने मुझसे एस डी बर्मन का गाना सुना। मैंने हिम्मत करके ‘अमर प्रेम’ का गाना ‘डोली में बिठाई के कहार’ गाया। डर के मारे मैं आंखें बंद करके गा रहा था। गाना खत्म करके जब मैंने आँखें खोली तो देखा कि आशा जी ने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढका हुआ था। उन्होंने हाथ हटाया तो उनकी आंखों से आंसू बह रहे हैं। वह कांपते हुए बोलीं, यूं लग रहा है कि सचिन दा खुद गा रहे हैं। उन्होंने फिर मुझसे वही गाना एक कैसेट में रिकॉर्ड करके भी लिया।
यानी कि एस डी बर्मन के गाए गाने ने आपकी राह खोल दी?
जी बिल्कुल! अगले ही दिन सुबह सात बजे मेरे पास आर डी बर्मन साहब के यहां से फोन आ गया कि पासपोर्ट लेकर मिलो। वहां आर डी बर्मन साहब, आशा जी, मन्ना डे साहब सब बैठे थे। आशा जी ने परिचय कराया तो पंचम दा बोले कि मेरे बाप की आवाज में गाते हो, फिर यह कहकर हंसने लगे। उन्होंने मुझे बताया कि जब वह नहा रहे थे तो चुपचाप आशा जी ने मेरे गाए हुए कैसेट को प्ले कर दिया। और, वह घबराकर बाहर आ गए। उनको लगा कि पिता जी कहां से आ गए। वह गाना कैसेट में बिना म्यूजिक के था तो उनको ऐसा लगा कि पिता जी बाथरूम के बाहर खड़े होकर गा रहे हैं।
फिर ‘जलजला’ में गाने का ऑफर कैसे मिला?
इस पहली मुलाकात के बाद आशा भोसले और आर डी बर्मन नाइट में मुझे हिस्सा लेने का मौका मिला। हम लोग हॉन्कॉन्ग गए थे। वहां मैंने जब मैंने किशोर दा का गाया ‘सुन मेरे बंधु रे’ गाया तो पंचम दा दौड़कर आए और मुझे गले लगा लिया। उनकी आंखों में आंसू आ गए। वह बोले बॉम्बे जाऊंगा और पहली रिकॉर्डिंग जब भी करूंगा, वह तुम गाओगे। इस तरह से मुझे ‘जलजला’ में पहला ब्रेक मिला। अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘इंद्रजीत’ का गाना ‘जब तक जा में हैं जा, तब तक रहे जवां’ उन्होंने ही गवाया था। फिर संजीव कुमार की फिल्म ‘प्रोफेसर की पड़ोसन’ में मौका दिया। पंचम दा के लिए आठ नौ गाने गाए।