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Sc News:छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में अदालत ने पुलिस को दिए यह निर्देश, केंद्र ने चीतों को लेकर दी जानकारी – Supreme Court News And Updates: Hearing On Chhattisgarh Liquor Scam, Tn Minister Thiaga Rajan And Other Cases

केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना ‘प्रोजेक्ट चीता’ अहम मुश्किल का सामना कर रही है क्योंकि अफ्रीका से लाकर बसाए गए चीतों की त्वचा पर सर्दी से बचने के लिए मोटी ‘फर’ विकसित हो रही है और ऐसा अफ्रीकी सर्दी के मौसम के आने के उनके पूर्वानुमान की वजह से है। यह जानकारी सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को दी। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि यह प्रक्रिया ऐसे समय में हो रही है जब कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) का तापमान 45-46 डिग्री है। गौरतलब है कि इन चीतों को केएनपी में बसाया गया है।

इस साल मार्च से अब तक मध्यप्रदेश के केएनपी में नौ चीतों की मौत हो चुकी है जिनमें भारत में पैदा हुए तीन शावक भी शामिल हैं जिसके बाद परियोजना के प्रबंधन पर सवाल खड़े हो गए हैं। न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के शुरुआत में भाटी ने कहा कि कुनो में चीतों की मौत समस्या है, लेकिन यह चेतावनी के स्तर पर नहीं है।

न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से पेश हुए भाटी से कहा, 20 चीतों को स्थानांतरित करने के मद्देनजर उनकी मौत की संख्या कम नहीं है। आपके तर्क का एक पहलू ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सबकुछ ठीक है और कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन आम जनता इस बात को लेकर चिंतित है कि इन मौतों पर क्या किया जा रहा है।

शीर्ष अदालत ने दक्षिण अफ्रीका के चार वन्य जीव विशेषज्ञों के पत्र पर संज्ञान लिया जिन्होंने कहा है कि कुछ चीतों की मौत को बेहतर निगरानी और पशु चिकित्सा से रोका जा सकता था। खबरों के मुताबिक विशेषज्ञों ने कथित तौर पर कहा कि उनकी राय को परियोजना परिचालन समिति ने नजरअंदाज किया और उन्होंने कुछ उपचारात्मक कदम के भी सुझाव दिए हैं। पीठ ने भाटी के इस तर्क को संज्ञान में लिया कि केएनपी में चीतों की मौत को रोकने के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है और जिस पत्र के बारे में कहा जा रहा है कि चार विशेषज्ञों ने लिखा है, उसपर केवल एक विशेषज्ञ का हस्ताक्षर है।

पीठ ने कहा, हमें भारत सरकार के अधिवक्ता पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। बेहतर है कि इस मामले को विशेषज्ञों पर छोड़ दिया जाए क्योंकि अदालत मामले का विशेषज्ञ नहीं है। समिति में किसी विशेषज्ञ की जरूरत संबंधी विषय पर विचार करना केंद्र सरकार का काम है। यह अदालत किसी विशेषज्ञ को समिति में शामिल नहीं करेगी।

कुछ विशेषज्ञों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्र सेन ने कहा कि यह आपात स्थिति है और एमके रंजीत सिंह और वाईबी झाला जैसे विशेषज्ञों को परियोजना के लिए चीतों के विशेषज्ञ समिति में शामिल किया जाना चाहिए। पीठ ने सवाल किया कि वह कैसे किसी खास व्यक्ति को विशेषज्ञों की समिति में शामिल करने का निर्देश दे सकती है, जब पहले ही दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञ शामिल हैं।

अदालत ने कहा, सिर्फ इसलिए की आप विशेषज्ञ हैं और आपको सीमिति में शामिल होना हैं? माफ करिए, ऐसा नहीं किया जा सकता। पहले ही पर्याप्त विशेषज्ञ समिति में शामिल हैं। भाटी ने अदालत को बताया कि ‘प्रोजेक्ट चीता ’ के तहत चीता प्रजाति का अंतर महाद्वीपीय स्तर पर स्थानांतरण दुनिया में अपनी तरह की पहली कोशिश है। उपलब्धता के आधार पर अगले पांच साल में हर साल 12 से 14 चीतों का स्थानांतरण किया जाना है। उन्होंने कहा कि कई मीडिया खबरों में चीतों के बारे में गलत जानकारी दी गई है और इससे बहुत भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट चीता की नियमित जानकारी देने के लिए व्यवस्था बनाने पर विचार किया जा रहा है।

भाटी ने कहा, किसी भी चीते की मौत शिकार किए जाने, जहर देने, सड़क दुर्घटना, बिजली का करंट लगने आदि से नहीं हुई है। चीता बहुत ही संवेदनशील प्रजाति है। प्रोजेक्ट चीता सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहा है। गौरतलब है कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत, सितंबर, 2022 और इस साल फरवरी में दो खेप में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में कुल 20 चीतों को लाया गया था। उच्चतम न्यायालय ने जनवरी 2020 में एनटीसीए द्वारा दायर एक याचिका के बाद परियोजना पर 2013 में लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया था। अदालत परियोजना की निगरानी जारी रखे हुए है।

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