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Samvad 2023:जन्म से नहीं हैं दोनों हाथ, लेकिन पेड़ पर चढ़ने में माहिर हैं शीतल; बोतल से करतब भी करती हैं – Indian Para Archer Sheetal Devi Special Abilities Of Climbing Trees And Flipping Bottle Without Hands

Indian Para archer Sheetal Devi Special abilities of climbing trees and flipping bottle without hands

शीतल देवी
– फोटो : अमर उजाला

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जम्मू-कश्मीर में अमर उजाला संवाद 2023 में देश के दो सबसे बेहतरीन पैरा तीरंदाज शीतल देवी और राकेश कुमार शामिल हुए। 38 साल के राकेश देश के लिए लगातार तीन स्वर्ण पदक जीते हैं और पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतना चाहते हैं। वहीं, शीतल कुमारी दुनिया की पहली महिला तीरंदाज हैं, जो हाथ नहीं होने के बावजूद तीरंदाजी में कमाल कर रही हैं। 

अमर उजाला के साथ बातचीत में शीतल ने अपने जीवन से जुड़े कई खुलासे किए। इस दौरान 16 साल की शीतल की मासूमियत झलक रही थी। शीतल ने बताया कि वह बचपन से ही हर काम पैर से करती हैं। बचपन में वह अपने भाई बहनों के साथ फुटबॉल भी खेलती थीं और बाकी खेलों में भी व्यस्त रहती थीं। चंचल स्वभाव की शीतल कभी शांत नहीं बैठती थीं। वह दोस्तों के साथ मिलकर लकड़ी का धनुष बनाती थीं और उसके साथ भी खेलती रहती थीं। लकड़ी का धनुष बहुत हल्का होता था और उसे उठाना भी बेहद आसान होता था। 

शीतल अपने दोस्तों के साथ पेड़ पर भी चढ़ जाती थीं। वह सामान्य बच्चों की तरह ही पेड़ पर चढ़ जाती थीं, जबकि बचपन से उनके दोनों हाथ नहीं हैं। उनका गांव पहाड़ी इलाके में है और पेड़ से गिरने पर गंभीर चोट लगने का खतरा रहता है, लेकिन उन्हें खुद पर इतना भरोसा है कि वह आसानी से पेड़ पर चढ़ जाती हैं। शीतल का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह पैर से पानी की बोतल को उछालती हैं और एकदम सीधे खड़ी कर देती हैं। वहीं, उनके दोस्त हाथ से उछालने पर भी बोतल को सीधे नहीं खड़ा कर पाते।

 

शीतल ने हाल ही में एशियाई पैरा खेलों में दो स्वर्ण सहित तीन पदक जीते थे। वह साल 2023 की सर्वश्रेष्ठ एशियाई युवा एथलीट भी चुनी गई हैं। 16 साल की शीतल का निशाना कमाल का है और आने वाले समय में उनसे कई पदकों की उम्मीद है। 

शीतल ने बताया कि जब उन्होंने तीरंदाजी में अपना करियर बनाने का फैसला किया तो शुरुआत में उन्हें धनुष उठाने में बहुत परेशानी होती थी, क्योंकि इसका वजन काफी ज्यादा होता है। हालांकि, जब उनके कोच को यह पता चला कि शीतल पैर से ही पेड़ पर चढ़ जाती हैं तो उन्हें यकीन हो गया कि यह लड़की कुछ भी कर सकती हैं। कोच ने शीतल को मेहनत करने के लिए प्रेरित किया और अब वह देश के लिए कमाल कर रही हैं।

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