Sakshi Malik’s Mother To Politicians, Know Who Said What On Wrestlers Decision After Wfi Election – Amar Ujala Hindi News Live
बजरंग और साक्षी
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
भारतीय कुश्ती में फिर से बवाल शुरू हो चुका है और इसका असर सोशल मीडिया से लेकर राजनीति तक हर स्तर पर दिख रहा है। भारत के दो शीर्ष पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह का विरोध किया है। संजय सिंह के विरोध में साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का फैसला किया है। वहीं, बजरंग पूनिया ने अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटा दिया है।
बृजभूषण शरण सिंह का विरोध करने वाले पहलवान चुनाव के नतीजों से बेहद निराश हैं। शुक्रवार दोपहर बजरंग ने सोशल मीडिया पर अपना पद्म पुरस्कार लौटाने का एलान करने के बाद प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश की। वह उनके आवास पर भी पहुंचे, लेकिन उनके पास प्रधानमंत्री से मिलने की अनुमति नहीं थी। इस वजह से पुलिस ने उन्हें कर्तव्य पथ पर ही रोक लिया। ऐसे में उन्होंने फुटपाथ पर ही अपना पद्म श्री सम्मान रख दिया। बजरंग ने कहा कि जो भी व्यक्ति यह पद्म पुरस्कार प्रधानमंत्री तक पहुंचा सकता है। वह उसे यह सम्मान दे देंगे।
बजरंग ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने उस खत की फोटो भी शेयर की है, जो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा है। इस खत में उन्होंने कहा है कि महिला पहलवानों के अपमानित होने के बाद वह यह सम्मान लेकर नहीं जी सकते। इसी वजह से वह इसे लौटा रहे हैं। इस मामले पर खेल मंत्रालय ने कहा है कि यह बजरंग का निजी फैसला है, लेकिन उनसे इस फैसले पर फिर से विचार करने और इसे पलटने के लिए कहा जाएगा।
बजरंग और साक्षी के फैसले से जमकर बवाल हो रहा है। इस मामले पर साक्षी मलिक की मां का कहना है कि महिला पहलवानों के शोषण के खिलाफ सभी पहलवान 40 दिन तक धरने पर बैठे थे। लेकिन चुनाव के बाद फिर से वही लोग अध्यक्ष और अन्य पदों पर आ गए, जिनका विरोध हो रहा था। ऐसे में युवा पहलवानों और उनके परिवार के बीच क्या संदेश जाएगा। जब उबरते हुए सितारों को न्याय नहीं मिल रहा तो उनका क्या होगा। उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ उनके या उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए दुख की बात है।
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बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक जैसे खिलाड़ियों का अपमान सिर्फ़ उनका नहीं पूरे देश का अपमान है। दुनिया में भारत का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों का अपनी ही सरकार के सामने इस तरह बेबस होना शर्मनाक है।
प्रधानमंत्री को कम से कम इस मामले में अपना अहंकार त्यागकर देश को गौरवान्वित करने वाले खिलाड़ियों को न्याय का भरोसा दिलाना चाहिए था। लेकिन प्रधानमंत्री और भाजपा यौन शोषण के आरोपियों के साथ हैं। देश अपने चैंपियंस के साथ खड़ा है।