मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा कि 1993 की मणिपुर हिंसा में 700 लोग मारे गए थे। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। विपक्ष ने कहा था कि पीएम जवाब दें, गृह मंत्री जवाब दें। तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार में गृह राज्य मंत्री राजेश पायलट ने मणिपुर पर जवाब दिया था। अब विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से जवाब देने की बात कर रहा है।
बता दें कि उस वक्त 8 अप्रैल 1992 को मणिपुर में कांग्रेस की सरकार बनी थी। राजकुमार दोरेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री बनाए गए। तब वहां पर हिंसा हो गई। उस वक्त नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की। नौंवी बार 31 दिसंबर 1993 से 13 दिसंबर 1994 तक 347 दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में सभी सुरक्षा बलों के बीच समन्वय के लिए यूनीफाइड कमांड बनाई गई है। पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती है। घाटी में 98 प्रतिशत स्कूल खुल गए हैं। दो प्रतिशत स्कूलों में कैंप चल रहे हैं। शांति प्रक्रिया स्थापित करने का प्रयास चल रहा है। आईबी निदेशक रोजाना, वहां की स्थिति की समीक्षा करते हैं। केंद्रीय गृह सचिव दो दिन में एक बार मणिपुर की स्थिति पर बात कर रहे हैं। बतौर शाह, मैं भी नियमित तौर पर यूनीफाइड कमांड से मणिपुर की जानकारी ले रहा हूं। म्यांमार सीमा पर 2022 में दस किलोमीटर की फेंसिंग पूरी कर ली गई है। 60 किलोमीटर के क्षेत्र में काम चालू है। इसके अलावा 600 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में फेंसिंग का सर्वे चालू है।
कांग्रेस ने कहा, बैठक बहुत देर से हो रही है
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 24 जून को मणिपुर के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक से पहले कांग्रेस पार्टी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि यह बैठक बहुत देर से हो रही है। अगर मणिपुर के लोगों के साथ बातचीत की कोशिश दिल्ली में बैठकर की जाएगी, तो इसमें गंभीरता नहीं दिखेगी। राहुल गांधी ने कहा था कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश यात्रा पर हैं, तब यह बैठक बुलाई जा रही है। मतलब यह बैठक पीएम के लिए महत्वपूर्ण नहीं थी। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी बुधवार को एक वीडियो संदेश जारी किया था। इस संदेश में उन्होंने मणिपुर के लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 22 साल पहले 18 जून 2001 को मणिपुर में हिंसा हुई। लोगों के घर और सार्वजनिक संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया। तब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। विपक्षी दलों ने वाजपेयी से मिलने का समय मांगा। अटल बिहारी वाजपेयी ने छह दिन बाद ही सर्वदलीय बैठक बुलाई। इतना ही नहीं, उन्होंने मणिपुर के लोगों से शांति की अपील की। जयराम रमेश के मुताबिक, इस बार मणिपुर में हो रही हिंसा के मद्देनजर कांग्रेस सहित दस पार्टियों ने प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा शुरु होने से पहले मुलाकात का समय मांगा था। पीएम मोदी ने उन्हें समय नहीं दिया। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को बर्खास्त कर मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी।
मणिपुर में कितनी बार लगा है राष्ट्रपति शासन
- मणिपुर में पहली बार राष्ट्रपति शासन 19 जनवरी 1967 से 19 मार्च 1967 यानी 66 दिन तक लगाया गया था। उस समय मणिपुर केंद्र शासित विधानसभा का पहला चुनाव होना था।
- दूसरी बार 25 अक्तूबर 1967 से 18 फरवरी 1968 तक, 116 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया। तब मणिपुर में राजनीतिक संकट आ गया था। उसके बाद किसी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था।
- तीसरा बार राज्य में 17 अक्तूबर 1969 से 22 मार्च 1972 तक दो साल 157 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। उस वक्त पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग के दौरान हिंसा हुई। कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी।
- चौथी बार 28 मार्च 1973 से 3 मार्च 1974 तक राष्ट्रपति शासन लगा था। उस वक्त विपक्ष के पास इतना कम बहुमत था कि वह स्थायी सरकार नहीं बना सकता था।
- पांचवीं बार 16 मई 1977 से 28 जून 1977 तक 43 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। दलबदल के चलते सरकार गिर गई थी।
- छठी बार 14 नवंबर 1979 से 13 जनवरी 1980 तक 60 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। उस वक्त राजनीतिक कारण जिम्मेदार रहे। जनता पार्टी सरकार के साथ असंतोष और भ्रष्टाचार के आरोप, सरकार की बर्खास्तगी का कारण बना। विधानसभा भंग कर दी गई।
- सातवीं बार 28 फरवरी 1981 से 18 जून 1981 तक राष्ट्रपति शासन लगा। तब भी राजनीतिक कारणों के चलते राज्य में स्थायी सरकार का गठन नहीं हो सका।
- आठवीं बार 7 जनवरी 1992 से लेकर 7 अप्रैल 1992 तक 91 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। उस वक्त दलबदल के चलते गठबंधन सरकार गिर गई थी।
- नौंवी बार 31 दिसंबर 1993 से 13 दिसंबर 1994 तक 347 दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा। तब इसका कारण नागा और कुकी समुदाय के बीच हिंसा हुई थी। वह हिंसा लंबे समय तक चली, जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गए थे।
- दसवीं बार 2 जून 2001 से 6 मार्च 2002 तक 277 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन लगा था। उस वक्त सरकार ने बहुमत खो दिया था।