Top News

Ngt:सीवेज और कचरा निस्तारण पर एनजीटी सख्त, तमिलनाडु पर सबसे ज्यादा 15,419.71 करोड़ का जुर्माना – Ngt Has So Far Imposed Fines Of More Than Rs 80,000 Crore On States And Union Territories For Violating Rules

NGT has so far imposed fines of more than Rs 80,000 crore on states and union territories for violating rules

एनजीटी
– फोटो : NGT

विस्तार


नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सीवेज और कूड़ा-कचरा निस्तारण के नियमों को लेकर राज्यों के खिलाफ खासी सख्ती कर रहा है। स्थिति यह है कि नियमों का पालन न करने और आदेशों का उल्लंघन करने पर राज्य और संघ प्रदेशों पर एनजीटी अब तक करीब 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगा चुका है। एनजीटी के मुताबिक राज्यों और संघ प्रदेशों द्वारा सीवेज व ठोस कचरे के निस्तारण में घोर लापरवाही बरती जा रही है।

इससे प्रतिदिन 26,000 मिलियन लीटर (एमएलडी) तरल अपशिष्ट और 56,000 टन प्रति ठोस कचरे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। तमिलनाडु पर सबसे ज्यादा 15,419.71 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है जबकि दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र है, जिस पर 12,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश पर 9,688 करोड़ और उत्तर प्रदेश पर 5,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यदि राज्यों पर लगाए गए जुर्माने की इस राशि की तुलना वनों की क्षतिपूर्ति के लिए 2002 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए एड हॉक नेशनल कंपन्सेटरी अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंड एंड प्लानिंग अथॉरिटी फंड से की जाए तो यह 48 फीसदी ज्यादा है। दशकों तक वन क्षतिपूर्ति के जरिये इस फंड में कुल 54 हजार करोड़ रुपये जमा हुए थे। 

इसे 2015 के बाद से राज्यों को पौधरोपण जैसे कार्यों के लिए जारी किया जा रहा है। एनजीटी ने जुर्माने की राशि के लिए पर्यावरण क्षति को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक दृष्टि और सलाह से प्रति मिट्रिक टन कचरे के लिए 300 रुपये और तरल अपशिष्ट के लिए 2 करोड़ रुपये मिलियन लीटर प्रतिदिन तय किया था। इस आधार पर जिस राज्य का जितना ठोस कचरा और सीवेज गैर निष्पादित है, जुर्माने की राशि की गणना भी उसी आधार पर की गई। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button