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Nda की कहानी:16 दलों के साथ वाजपेयी-आडवाणी ने खड़ा किया था गठबंधन, जानें आज क्या हालत है? – Story Of Nda: Atal Bihari Vajpayee & Lal Krishna Advani Formed An Alliance With 16 Parties

वाजपेयी पहले चेयरमैन, दूसरे चेयरमैन आडवाणी बने
1998 में जब एनडीए का गठन हुआ तो उसकी अगुआई अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद की। 2004 तक वह इस जिम्मेदारी को संभालते रहे। इसके बाद लाल कृष्ण आडवाणी 2004 से 2014 तक एनडीए चेयरमैन रहे। 2014 से अब तक एनडीए के चेयरमैन गृहमंत्री अमित शाह हैं। एनडीए में दूसरा अहम पद कन्वीनर का होता है। जार्ज फर्नांडीस एनडीए के पहले कन्वीनर (संयोजक) रहे। फिलहाल अमित शाह एनडीए के चेयरमैन हैं। कन्वीनर की जगह खाली है।
 
2014 और फिर 2019 चुनाव में एनडीए की क्या स्थिति थी? 
2013 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो 23 पार्टियां एनडीए में थीं। इसमें भाजपा के साथ-साथ तेलुगु देशम पार्टी, शिवसेना, DMDK, अकाली दल, पीएमके, मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, अपना दल, हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल), स्वाभिमानी पक्ष, इंदिया जननायगा काची, पुठिया निधि काची, कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची, अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए), राष्ट्रीय समाज पक्ष, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (बोल्शेविक), केरल कांग्रेस (राष्ट्रवादी), नेशनल पीपुल्स पार्टी, नागा पीपुल्स फ्रंट और मिजो नेशनल फ्रंट साथ थे। आम चुनाव में भाजपा ने अकेले 282 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए ने कुल 336 सीटों पर जीत हासिल की। नरेंद्र मोदी पहली बार पीएम बने। 

2019 में एनडीए के साथ 22 राजनीतिक दल थे। इनमें से 13 के उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत हासिल की थी। सबसे ज्यादा भाजपा के 303 सांसद चुने गए थे। शिवसेना के 18, जेडीयू तब एनडीए का हिस्सा हुआ करती थी। लोक जनशक्ति पार्टी  के छह, अपना दल एस के दो और अकाली दल के दो सांसद चुने गए थे। तब अकाली दल भी एनडीए में शामिल थी। इसके अलावा अन्य सात दलों के एक-एक सांसद चुने गए थे। कुल 354 सीटों पर एनडीए उम्मीदवारों को जीत मिली थी।     

 

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