दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बनने और अगले दो दिनों में इसमें तेजी आने के चलते चक्रवाती हवाएं मानसून के केरल तट की ओर आगमन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को यह जानकारी दी।
हालांकि, मौसम विभाग ने केरल में मानसून के आगमन की संभावित तारीख नहीं बताई। निजी पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर (Skymet Weather) ने कहा कि केरल में मानसून की शुरुआत आठ या नौ जून को हो सकती है, लेकिन इसके “नम्र और हल्के प्रवेश” की उम्मीद है।
आईएमडी ने कहा, दक्षिण अरब सागर के ऊपर पश्चिमी हवाएं औसत समुद्र तल से 2.1 किमी ऊपर तक चल रही हैं। हालांकि, दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर एक चक्रवाती प्रवाह के कारण, बादल छाने की परिस्थिति बनी है और वह उसी क्षेत्र में केंद्रित है और पिछले 24 घंटे में केरल तट के पास बादलों में कुछ कमी आई है।
आईएमडी ने सोमवार को लगभग 9:30 बजे कहा कि इसके अलावा, इस चक्रवाती प्रवाह के असर से अगले 24 घंटे के दौरान उसी क्षेत्र में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। इसके उत्तर की ओर बढ़ने और बाद में दक्षिण-पूर्व और इससे सटे पूर्व मध्य अरब सागर के ऊपर दबाव के रूप में मजबूत होने की संभावना है। आईएमडी ने कहा कि इस प्रणाली के बनने और इसके मजबूत होने एवं उत्तर की ओर बढ़ने से केरल तट की ओर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के बढ़ने पर असर पड़ने की संभावना है।
स्काईमेट वेदर ने कहा कि कम दबाव का क्षेत्र दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर दबाव के रूप में मजबूत होने की संभावना है और मध्य सप्ताह के आसपास और मजबूत हो सकता है। स्काईमेट वेदर ने कहा कि अरब सागर में ये शक्तिशाली मौसम प्रणालियां मानसून की देश के अंदर होने वाली प्रगति को प्रभावित करती हैं। इसके प्रभाव से मानसून की धारा तटीय भागों तक पहुंच सकती है, लेकिन पश्चिमी भागों से आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करेगी। स्काईमेट ने पहले सात जून को केरल में मानसून की शुरुआत की भविष्यवाणी तीन दिनों के त्रुटि मार्जिन के साथ की थी।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आम तौर पर एक जून को लगभग सात दिनों के मानक विचलन के साथ केरल में प्रवेश करता है। मई के मध्य में, आईएमडी ने कहा था कि मॉनसून चार जून तक केरल में आ सकता है। दक्षिण-पूर्वी मॉनसून पिछले साल 29 मई, 2021 में तीन जून, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को पहुंचा था। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि केरल में थोड़ी देरी से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि मानसून देश के अन्य हिस्सों में देरी से पहुंचेगा। इसके अलावा, यह मौसम के दौरान देश में कुल बारिश को प्रभावित नहीं करता है।
आईएमडी ने पहले कहा था कि अल नीनो की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से कम बारिश होने की उम्मीद है। पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में लंबी अवधि के औसत (एलपीए) 87 सेंटीमीटर के हिसाब से 94-106 प्रतिशत सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।
भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य बारिश महत्वपूर्ण है। खेती वाले क्षेत्र का 52 प्रतिशत हिस्सा मानसून की बारिश पर निर्भर है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों के भंडारण के लिए भी महत्वपूर्ण है। बारिश आधारित कृषि देश के कुल खाद्य उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत है, जो भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है।