Malkhamb Coach Uday Vishwanath Deshpande Honored With Padma Shri Coached More Than 5000 People Of 50 Countries – Amar Ujala Hindi News Live
मलखम्ब कोच उदय विश्वनाथ देशपांडे
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
मलखम्ब कोच उदय विश्वनाथ देशपांडे को पद्म श्री सम्मान के लिए चुना गया है। साल 2024 में पद्म श्री से सम्मानित होने वाले लोगों की सूची में उनका नाम भारत के खेल प्रेमियों को सुकून देने वाला है। मलखम्ब पितामह के नाम से मशहूर उदय विश्वनाथ देशपांडे को मल्लखंभ का ध्वजवाहक माना जाता है। और वैश्विक मानचित्र पर खेल को लाने का श्रेय दिया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मलखम्ब कोच देशपांडे ने वैश्विक स्तर पर इस खेल को पुनर्जीवित करने और लोकप्रिय बनाने के लिए अथक प्रयास किया।
उदय विश्वनाथ देशपांडे ने 50 देशों के 5,000 से अधिक लोगों को व्यक्तिगत रूप से प्रशिक्षित किया। उन्होंने मलखम्ब को विभिन्न समूहों से परिचित कराया, जिसमें महिलाएं, दिव्यांगजन, अनाथ, आदिवासी, वरिष्ठ नागरिक आदि शामिल हैं। विश्व मल्लखंभ महासंघ के निदेशक के रूप में उन्होंने इस खेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मलखम्ब पितामह उदय विश्वनाथ देशपांडे ने निर्णय के मानदंडों के साथ एक नियम-पुस्तिका बनाई गई और प्रतिस्पर्धा और सभी विनियमों का मानकीकरण किया, जिसे भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा मान्यता प्राप्त थी। इस खेल में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें 70 साल की उम्र में पद्म श्री सम्मान मिल रहा है।
जानें पद्म पुरस्कारों के बारे में
- भारत सरकार ने देश के दो सर्वोच्च नागरिक सम्मान – भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 1954 में की थी।
- इन पुरस्कारों से देश-विदेश के उन लोगों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने किसी क्षेत्र में कोई प्रतिष्ठित व असाधारण कार्य किया हो, जिसमें लोक सेवा का तत्व जुड़ा हो।
- हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इन पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। फिर मार्च या अप्रैल में होने वाले समारोह में राष्ट्रपति द्वारा विजेताओं को सम्मानित किया जाता है।
- सामान्यत: मरणोपरांत ये पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान नहीं है। लेकिन कुछ विशिष्ट मामलों में सरकार के पास ये निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।
- नियम के अनुसार, किसी को अगर वर्तमान में पद्मश्री दिया गया है, तो फिर उसे पद्म भूषण या पद्म विभूषण अब से पांच साल बाद ही दिया जा सकता है। लेकिन यहां भी कुछ विशिष्ट मामलों में पुरस्कार समिति छूट दे सकती है।
- जिस दिन समारोह में राष्ट्रपति द्वारा सम्मान दिया जाता है, उसके बाद सभी विजेताओं के नाम भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए जाते हैं।