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इंदौर में पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण, केंद्र से जारी हुए खतरनाक आंकड़े, कलेक्टर ने की नई पहल

कलेक्टर ने की नई पहल

शिक्षा नायक इंदौर। खुले स्थानों पर कचरा जलाने के साथ-साथ फसल कटाई के बाद खेतों में पराली यानी नरवाई जलाने के मामले भी बड़ते जा रहे हैं। केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय इन घटनाओं को लेकर लगातर दिशा-निर्देश जारी कर रहा है। साथ ही सभी जिलों की रैंकिंग भी की जा रही है और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सेटेलाइट डाटा की रिपोर्ट कलेक्टरों को भेजी जा रही है, ताकि वे अपने जिलों में इस पर कार्रवाई कर सकें। इंदौर में भी 186 स्थानों पर पराली और कचरे को जलाने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनकी जानकारी सेटेलाइट डाटा के माध्यम से प्राप्त हुई है।

किसानों के विरोध के कारण कई जिलों के कलेक्टर पराली जलाने की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। जबकि केंद्रीय सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एसवीटी लगातार इस संबंध में कड़े दिशा निर्देश जारी कर रहे हैं। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एकत्र किए गए सेटेलाइट डाटा के आधार पर संबंधित जिलों के कलेक्टरों को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए सूचित किया गया है। इस डाटा में होशंगाबाद जिले में सबसे ज्यादा 292 स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं मिली हैं। इसके बाद छिंदवाड़ा, सागर, उज्जैन और सिहोर जैसे किलों में भी यह समस्या अधिक है। इंदौर जिले में भी 186 स्थानों पर कचरा और पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। प्रमुख सचिव पर्यावरण की सख्त निगरानी प्रमुख सचिव पर्यावरण में भी इस मामले घर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी कलेक्टरों को आग की घटनाओं की रोजाना रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है। साथ डी, इन पटनाओं पर नियंत्रण करने के लिए सख्त कर्मचाई करने की हिदायत दी है। यह प्रयास इसलिए किया जा रहा है ताकि पर्यावरण पर होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और प्रदूषण के स्तर को निर्माका किया जा सके। केंद्र और छला सरकार की ओर से इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि इस समस्या का समाधान निकाला जा सके

किसानों को जागरूक करने के लिए प्रचार रथ अभियान

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने किसानो को इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने किसानों को जागरूक करने के लिए एक प्रचार रथ तैयार करवाया है, जो जिले के सभी विकासखंडों की ग्राम पंचायतों में जाएगा। इस रथ के माध्यम से किसानों को अवशेष नरवाई यानी पराली के सुरक्षित प्रबंधन के बारे में जानकारी दी जाएगी। कलेक्टर सिंह ने बताया कि 16 अप्रैल तक कृषि से जुड़े सभी मैदानी अधिकारियों, पटवारियों और पंचायत सचिवों के साथ मिलकर कृषक संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। किसानों से अपील की गई है कि वे पराली जला क्योंकि यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। इसके बजाय पराली से भूसा और जैविक खाद बनाई जा सकती है। अन्यथा शासन के नोटिफिकेशन के आधार पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा।

 

 

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