Khamosh:विधु ने ऑटो में सुनाई इस हीरोइन को ‘खामोश’ की कहानी, नसीर ने एक्टिंग के अलावा संभाली ये जिम्मेदारी – Vidhu Vinod Chopra Gets Standing Ovation At Special Screening Of Murder Mystery Khamosh Kamal Naseer Shabana
‘विधु विनोद नाम का कोई निर्देशक है जिसने एक जबर्दस्त मर्डर मिस्ट्री फिल्म ‘खामोश’ बनाई है।’ इस बात की चर्चा 37 साल पहले फिल्मों के शौकीन युवाओं के समूहों में खूब चला करती थी। 37 साल बाद इसी फिल्म को फिर से देखने का मौका मिला मुंबई के जुहू पीवीआर सिनेमाघर में। पास की सीट पर अभिनेता पवन मल्होत्रा बैठे हैं। मैं पूछता हूं, ‘कितने लोग होंगे इस सिनेमा हॉल में जिन्होंने ये फिल्म पहली बार रिलीज के वक्त भी सिनेमाघर में देखी होगी।’ वह कहते हैं, ‘कोई नहीं। सिर्फ स्टार कास्ट ने ही ये फिल्म तब देखी थी।’ पवन ये जानकर चौंकते हैं कि ये फिल्म मैंने तब भी सिनेमाघर में देखी थी। विधु विनोद चोपड़ा को हिंदी सिनेमा में फिल्म निर्देशन का प्रकाश स्तंभ बनाने वाली फिल्मों ‘परिंदा’, ‘1942 ए लव स्टोरी’ और ‘करीब’ से पहले आई थी फिल्म ‘खामोश’। उस समय सिर्फ तीन लाख रुपये में बनी इस फिल्म की मेकिंग से जुड़े तमाम रोचक किस्से इसके कलाकारों ने शुक्रवार की शाम अपने चाहने वालों के साथ साझा किए, इस फिल्म की एक खास स्क्रीनिंग में।
फिल्म निर्देशन के 45 साल
विधु विनोद चोपड़ा ने बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म ‘मर्डर एट मंकी हिल’ साल 1978 में बनाई थी। लघु फिल्मों की श्रेणी में ये फिल्म ऑस्कर पुरस्कारों के नामांकन दौर तक पहुंचने में कामयाब रही। इससे गिनें तो विधु को फिल्में बनाते हुए 45 साल पूरे हो रहे हैं। बीती रात यहां हुआ जश्न इस पड़ाव को पाने का ही रहा। खास तौर पर इस मौके पर मौजूद रहे अभिनेता, निर्माता, निर्देशक कमल हासन बताते हैं कि कैसे विधु विनोद चोपड़ा उन्हें लेकर फिल्म ‘सजा ए मौत’ बनाना चाहते थे, बाद में यही रोल फिल्म में नसीरुद्दीन शाह ने किया। एक और किस्सा कमल हासन ने वह भी सुनाया जब विधु एक दूसरी फिल्म की कहानी सुनाने के लिए उनसे वक्त लेकर मिलने पहुंचे थे लेकिन खाना खाने के बाद विधु वहीं होटल में सो गए। और, जो दो घंटे कमल हासन ने कहानी सुनने के लिए रखे थे, वे विधु ने सोकर बिता दिए।
नसीर और विधु की 50 साल की दोस्ती
नसीरुद्दीन शाह ने फिल्म ‘खामोश’ में एक खास किरदार तो निभाया ही है, उनका नाम फिल्म की क्रेडिट में स्टिल फोटोग्राफर के रूप में भी शामिल है। बहुत ही कम बजट में बनी इस फिल्म में ऐसे कई कलाकार रहे जिन्होंने फिल्म निर्माण के दूसरे काम भी संभाले थे। पवन मल्होत्रा ने प्रोडक्शन का काम देखा था और भी कई कलाकारों के नाम फिल्म की क्रेडिट में अलग अलग विभागों के लोगों के साथ लिखे दिखे। फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले नसीरुद्दीन शाह ने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से चली आ रही अपनी और विधु की दोस्ती के किस्से सुनाए और बताया कि कैसे हॉस्टल से एक्टिंग क्लास की तरफ आने वाली ढाल पर अक्सर विधु अपने दोनों हाथ फ्रेम बनाने के अंदाज में लिए खड़े रहते और लोगों को उसके बीच से देखा करते। विधु ने इस मौके पर वह खास तोहफा भी सबके सामने जाहिर किया जो नसीर पहली बार अमेरिका जाने पर विधु के लिए लेकर आए थे। ये तोहफा एक स्मृति चिन्ह है जिस पर लिखा है, आई रिफ्यूज टू ग्रो अप (मैं बड़ा होने से इंकार करता हूं)! नसीर और विधु ने साल 1973 में एक ही साथ पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया था।
ऑटो रिक्शा में सुनाई फिल्म की स्क्रिप्ट
फिल्म ‘खामोश’ एक मर्डर मिस्ट्री फिल्म है जिसमें अंत तक दर्शक समझ नहीं पाते हैं कि कातिल कौन है? कश्मीर में चल रही एक फिल्म की शूटिंग के दौरान होने वाले इन हादसों की शुरुआत फिल्म में भी हीरोइन का ही किरदार निभा रहीं सोनी राजदान से होती है। सोनी राजदान बताती हैं, ‘विधु ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट पहली बार मुझे एक ऑटो में सुनाई थी। तब मुंबई में इतना ट्रैफिक नहीं हुआ करता था और ऑटो मे बैठकर भी लोग एक दूसरे की बात सुन सकते थे। दूसरी बार विधु ने ये कहानी मुझे बांद्रा में सड़क की एक ढाल से उतरते हुए पैदल चलते चलते सुनाई थी।’ वहीं शबाना आजमी ने वह किस्सा सुनाया जब विधु विनोद चोपड़ा और पवन मल्होत्रा उनके घर तारीखों को लेकर चर्चा करने गए थे और उनसे टिकट के पैसे वसूल लाए थे।
इस मौके पर फिल्म ‘खामोश’ में काम करने वाले दूसरे कलाकारों पवन मल्होत्रा, अवतार गिल, दीपक काजिर आदि ने भी अपने संक्षिप्त संस्मरण सुनाए। फिल्म के सिनेमैटोग्राफर बिनोद प्रधान पर भी सबकी नजरें आखिर तक टिकी रहीं। फिल्म में लीड किरदार करने वाली अभिनेत्री शबाना आजमी ने फिल्म खत्म होने के बाद जब बिनोद प्रधान को आवाज लगाई तो हॉल में मौजूद सारे दर्शकों ने तालियों के साथ दोनों का सम्मान बढ़ाया। विधु ने बताया कि कैसे फिल्म के तमाम शॉट जुगाड़ तकनीक से लिए गए हैं। जैसे कि क्लाइमेक्स में शबाना जब घुटनों के बल चल रही हैं तो उनका शॉट लेने के लिए कैमरे को एक बड़े से गत्ते पर रखा गया और कई लोग मिलकर उसे ट्रॉली की तरह खींच रहे थे। शहर के बीच पंकज कपूर के पीछे भागते फिल्म के तमाम मुख्य कलाकारों का शॉट लेते वक्त कैमरे को एक कार की डिक्की में रखकर शूटिंग की गई थी।