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Jyoti Maurya:ज्योति मौर्या-आलोक जैसे विवादों का अंत क्या होना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट के वकील ने दी अहम जानकारी – What Should Be The End Of Controversy Like Jyoti Maurya-alok, Supreme Court Lawyer Gave Important Information

What should be the end of controversy like Jyoti Maurya-Alok, Supreme Court lawyer gave important information

ज्योति मौर्य
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार


पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्या (Jyoti Maurya) और उनके पति आलोक मौर्या के विवाद में हर रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं। ऐसे ऑडियो क्लिप भी सामने आ चुके हैं जिसमें कथित तौर पर ज्योति मौर्या अपने पति आलोक से छुटकारा पाने के लिए बेहद आपत्तिजनक गैर कानूनी रास्ता अपनाने की बात कहते हुए सुनी जा रही हैं। इस ऑडियो में बोल रही महिला ज्योति मौर्या हैं या कोई और, इसकी पुष्टि होना बाकी है। लेकिन इस मामले के साथ ही यह बहस तेज हो गई है कि इस तरह के विवादों का सम्मानजनक अंत क्या होना चाहिए? 

ध्यान देने की बात है कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) का ड्राफ्ट बनाने वाली कमेटी को हर धर्म, जाति और हर लिंग के लोगों से तलाक कानूनों को सरल बनाने के सुझाव मिले हैं। यानी हर वर्ग के लोग यह मानते हैं कि देश में तलाक कानून बेहद जटिल हैं। यदि किसी कारण से विवाह को आगे जारी रखना संभव न हो तो तलाक मिलना मुश्किल हो जाता है। यदि एक पक्ष तलाक न देना चाहे तो ऐसी स्थिति में विवाह से छुटकारा पाना लगभग असंभव हो जाता है। ऐसे में कई बार लोग अपने साथी से छुटकारा पाने के लिए गैर कानूनी रास्ते तक अपनाने लगते हैं। लोगों की राय है कि इन परिस्थितियों को देखते हुए तलाक कानूनों को आसान बनाया जाना चाहिए। 

क्या है कठिनाई

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार दुबे ने अमर उजाला से कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में विवाह को सात जन्मों के बंधन के तौर पर देखा जाता है। हमारे समाज में उसी जोड़े को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है जो अपने पति-पत्नी के प्रति समर्पित हो और आजीवन उसका साथ निभाने की सोच रखता हो। यही कारण है कि विवाह के बाद किसी कारण से संबंध खराब हो जाने के बाद भी लोग सामाजिक अपयश के डर से अपने साथी को तलाक देना उचित नहीं समझते। 






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