Jaya Prada:जया प्रदा को नहीं जंचा ‘आदिपुरुष’ में बजरंगबली का किरदार? कही यह बात – Adipurush: Jaya Prada Praise For Prabhas But Actress Is Unhappy About Hanumanji Character Due To This Reason
जया प्रदा
– फोटो : सोशल मीडिया
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अपने जमाने की दिग्गज एक्ट्रेस जया प्रदा ने कई अहम किरदार अदा कर दर्शकों का दिल जीता है। वह पर्दे पर माता सीता का किरदार भी बखूबी अदा कर चुकी हैं। दिलचस्प बात यह है कि माता सीता का रोल उन्होंने एक बार नहीं, बल्कि तीन बार प्ले किया है। एक्ट्रेस का कहना है कि हर महिला को माता सीता की खूबियों को अपनाना चाहिए।
बोलीं- ‘शुक्रगुजार हूं’
बता दें कि जया प्रदा ने बापू के निर्देशन में बनी तेलुगु फिल्म ‘सीता कल्याणम’ में सीता का रोल निभाया। इसके बाद एक और तेलुगु फिल्म ‘सीताराम वनवासम’ में भी माता सीता बनी नजर आईं। इसके अलावा हिंदी-बंगाली फिल्म ‘लव-कुश’ में भी जया सीता के किरदार में नजर आ चुकी हैं। फिल्म में जितेंद्र श्रीराम के रोल में नजर आए थे। तीन बार सीता जी का किरदार अदा कर एक्ट्रेस को कैसा लगा, इस बारे में उनका कहना है, ‘मैं इसके लिए शुक्रगुजार हूं। एक बार नहीं, बल्कि तीन बार मुझे इस किरदार के लिए चुना गया, यह बड़ी बात है।’ इसके अलावा जया प्रदा का कहना है कि हिंदू देवी-देवताओं की भूमिका निभाने के लिए स्टार्स की एक सम्मानित सार्वजनिक छवि होनी चाहिए।
हनुमान जी के रोल पर की टिप्पणी
जया प्रदा ने ‘आदिपुरुष’ में प्रभास और कृति सेनन की भूमिकाओं को लेकर भी टिप्पणी की। उनका कहना है, ‘आजकल नैतिक मूल्य और मर्यादा की परिभाषा बेशक अलग है। लेकिन मुझे खुशी है कि प्रभास और कृति सेनन ने ‘आदिपुरुष’ में श्रीराम और माता सीता की भूमिका सम्मानित तरीके से अदा की है। हर पीढ़ी के अपने नायक होने चाहिए।’ जया बच्चन ने प्रभास की खूब तारीफ की। हालांकि, वह फिल्म में हनुमान जी के किरदार से कुछ नाखुश नजर आई हैं।
माता सीता की गिनाईं खूबियां
जया का कहना है, ‘मुझे लगता है कि ‘आदिपुरुष’ में हनुमान जी के किरदार को और अधिक मजबूती के साथ दिखाया जाना चाहिए था। हनुमान जी एक शक्तिशाली और करिश्माई कैरेक्टर हैं और फिल्म में उनकी यह खूबियां महसूस नहीं होती हैं। फिल्म ‘सीता कल्याणम’ में हनुमान जी की भूमिका निभाने वाले एक्टर ने गजब का प्रभाव छोड़ा था।’ तीन बार सीता जी का किरदार निभाने को लेकर जया प्रदा ने कहा, ‘कोई भी सीता मां से प्रभावित हुए बिना उनका किरदार सुंदर तरीके से नहीं निभा सकता है। मुझे लगता है कि आज हर महिला को सीता मां के गुणों को अपनाने की जरूरत है। वह अपने दृष्टिकोण में एक ही समय में अत्यधिक पारंपरिक और आधुनिक थीं। मैं उम्मीद करती हूं कि शायद उनके कुछ गुण मुझ में हों।’