Jammu Kashmir:केंद्रीय बलों और सिविल कर्मियों ने आयकर विभाग को लगाई करोड़ों रुपये की चपत! लगाए फर्जी बिल – Jammu Kashmir: Crpf And Civil Personnels Fraud With Income Tax Department Crores Of Rupees! Put Fake Bills
Income Tax Fraud
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
विस्तार
जम्मू-कश्मीर में सरकारी कर्मियों द्वारा फर्जी बिल लगाकर आयकर विभाग को करोड़ों रुपये की चपत लगाने का मामला सामने आया है। अगर इस मामले की तह तक जांच होती है, तो वह राशि अरबों में पहुंच सकती है। इस मामले में केंद्रीय सुरक्षा बलों का नाम भी शामिल है। फर्जी क्लेम लगाकर टीडीएस लेने वालों में सीआरपीएफ के ऐसे जवान/अफसर, जिनका पैन कार्ड जम्मू कश्मीर/लद्दाख का है, उन्होंने भी धोखे से टीडीएस लिया है। सीआरपीएफ के 20442 अफसरों और जवानों ने गलत तरीके से 95.9 करोड़ रुपये का रिफंड ले लिया। इनमें 16282 अफसर व जवान ऐसे हैं, जिन्होंने 100 फीसदी टीडीएस का रिफंड लेकर 73.97 करोड़ रुपये की राशि वापस ले ली। इन्होंने एक भी पैसा आयकर के तौर पर जमा नहीं कराया। अनेक कर्मियों ने रिफंड लेने के लिए जो झूठे दावे पेश किए, उनमें राजनीतिक दलों को चंदा देना और किसी ने कहा, घर चलाने के लिए पैसा ही नहीं बचता, आदि शामिल हैं। इस मामले में श्रीनगर स्थित आयकर आयुक्त ने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न महकमों और सैन्य बलों को चेताया है। जिन्होंने झूठे दावे पेश कर टीडीएस का रिफंड क्लेम किया है, उनके लिए जुर्माना राशि की अलग-अलग श्रेणी तय की गई हैं।
कर्मियों ने क्लेम लेने की खातिर दिए ऐसे तर्क
इस मामले में जेएंडके के अटार्नी जनरल को भी लिखा गया है। वहां भी कई कर्मियों द्वारा गलत तरीके से क्लेम लिया गया है। दस्तावेजों के मुताबिक, आयकर आयुक्त श्रीनगर की तरफ से 17 मार्च 2022 को सभी विभागों को सूचित किया गया था कि कोई भी कर्मचारी, चाहे वह केंद्र सरकार में कार्यरत है या राज्य कर्मी है, अगर उसका पैन जम्मू कश्मीर/लद्दाख का है, तो उस पर उक्त आदेश लागू होगा। यह मामला असेसमेंट ईयर 2020 से 2023 के बीच का है। आयकर विभाग ने जब टीडीएस क्लेम करने के दावों की जांच की तो यह सनसनीखेज खुलासा हुआ। अधिकांश दावे फर्जी निकले। अपने दावों के समर्थन में किसी कर्मचारी ने कहा, मैंने तो अपनी सेलरी का पचास फीसदी हिस्सा राजनीतिक पार्टी को दान कर दिया है। किसी ने कहा, उनके पास घर चलाने का पैसा ही नहीं बचता।
झूठे दावे पेश करने वालों को चुकानी पड़ेगी भारी कीमत
सामान्य तौर पर आयकर विभाग, रिफंड क्लेम करते समय कोई दस्तावेज नहीं मांगता। कर्मियों के दावों को फेस वेल्यू के आधार पर सच मान लेता है। उसी के चलते आयकर विभाग की सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट उन क्लेम को पास कर देती है। हालांकि इसके परे विभाग के डीजी आयकर का अपना एक सिस्टम रहता है। वहां पर क्लेम के समर्थन में जो दावे पेश किए जाते हैं, उनकी जांच होती है। जम्मू कश्मीर/लद्दाख में कई वर्षों से यह देखा गया है कि वहां पर टीडीएस के ज्यादातर क्लेम सौ फीसदी तक लिए जा रहे हैं।