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Jammu:कश्मीरी पंडितों के संगठन ने एडीजी को लिखा पत्र, मंदिर की जमीन के कथित दुरुपयोग मामले में Fir की मांग – Organization Of Kashmiri Pandit Write Letter To Adg Demanding Fir In Alleged Misuse Of Temple Land In Srinagar

Organization of Kashmiri Pandit write letter to ADG demanding FIR in alleged misuse of temple land in srinagar

दुर्गा नाग मंदिर।
– फोटो : सोशल मीडिया।

विस्तार

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में दुर्गा नाग  मंदिर की संपत्ति को लेकर कथित अनिमितताओं के आरोपों के बीच कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने एडीजी पुलिस कानून व्यवस्था को एक पत्र लिखा है। इसमें मामले का संज्ञान लेते हुए संबंधित पुलिस थाने को जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और मामले की जांच के निर्देश देने की मांग की गई है। 

पत्र में इनके खिलाफ एफआईआर की मांग

कश्मीरी पंडितों के संगठन जेके पीस फोरम द्वारा लिखे गए पत्र में दुर्गा नाग मंदिर के प्रबंधन, राजस्व विभाग, श्रीनगर नगर निगम, और जे एंड के बैंक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की गई है। पत्र में इन पर कानूनों का उल्लंघन करने वाली अवैध गतिविधियों की मदद करने और उन्हें बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा पत्र में  दुर्गा नाग मंदिर के स्वामित्व वाली संपत्ति को तीसरे पक्ष को सौंपने का भी जिक्र भी किया गया है। साथ ही इसमें मंदिर की जमीन पर पारस अस्पताल, होटल, मोटल, वाणिज्यिक परिसरों सहित अन्य गैर कानूनी निर्माण के आरोप भी लगाए गए हैं। 

ट्रस्ट को लेकर विवाद क्या?

ऐसा माना जाता है कि दिवंगत जगतगुरु शंकराचार्य शारदा पीठ स्वामी शिवरतनानंद ने कश्मीरी पंडित समुदाय के कुछ लोगों की मानद सेवाओं का इस्तेमाल करते हुए संवत 1996 या साल 1939 में ट्रस्ट की स्थापना की थी। इसके बाद 2007 में प्राण नाथ ताकू ने अचानक अपना खुद का एक ट्रस्ट बना लिया। इस तरह अब यह ट्रस्ट कामकाज संभालने लगा और कानूनी रूप से पिछली व्यवस्थाओं को निरर्थक बना दिया, जिन्हें लेकर दावा किया जाता रहा है कि उन्हें ट्रस्ट के संस्थापक ने 1939 में बनाया था। यह वही ट्रस्ट है, जिस पर वर्तमान कार्यकारी निकाय अपना दावा करता है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि 1939 में एक ट्रस्ट का गठन किया गया था, तो क्या कारण है कि 2007 में एक नया ट्रस्ट “दुर्गा नाग ट्रस्ट” बनाने की जरूरत पड़ी? सवाल यह भी उठता है कि अगर 1939 में ट्रस्ट का नियमों के मुताबिक गठन नहीं किया गया था तो किस कानून और अधिकार क्षेत्र के तहत वह ट्रस्ट का 2007 तक चलता रहा।



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