कतर की खुफिया इकाई ने 30 अगस्त 2022 को भारतीय नौसेना के आठ रिटायर्ड अफसरों को बिना कोई कारण बताए गिरफ्तार कर लिया। कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश की गिरफ्तारी के बाद उन्हें कतर की अलग-अलग जेल यानी ‘खुफिया कारागार’ में रखा गया। करीब 240 दिन बाद भी इन अफसरों की रिहाई नहीं हो सकी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में इसे ‘बहुत ही संवेदनशील मामला’ बताया था।
कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने सवाल किया है कि भारत सरकार अभी भी इस मामले के तथ्यों का पता लगाने या नौसेना के पूर्व कर्मियों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने के लिए आश्वस्त करने में असमर्थ क्यों है। गत वर्ष भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देने वालों में ‘कतर’ पहला देश था। कतर ने उस वक्त इस मुद्दे पर सार्वजनिक माफी की मांग की थी। इतना ही नहीं, पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी से आहत कतर ने, भारतीय राजदूत को भी समन किया था। देश की सीमाओं से बाहर जब यह मामला तूल पकड़ने लगा, तो भाजपा ने नुपुर शर्मा को छह वर्ष के लिए पार्टी से सस्पेंड कर दिया था।
भारत ने गत वर्षों में कतर के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए काफी कुछ किया है। कतर में लगभग सात लाख प्रवासी भारतीय हैं। उनमें कई बड़े कारोबारी भी हैं। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने दोनों देशों के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए काफी इन्वेस्ट किया है। उन्होंने तीन वर्षों में कतर की चार यात्राएं की हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत दोभाल भी कतर जा चुके हैं। गत नवंबर में फीफा विश्व कप के उद्घाटन समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कतर पहुंचे थे। दोनों देशों के बीच 15 अरब डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार बताया गया है। इसके अलावा भारत और कतर, दोनों मुल्कों की नौसेनाएं एक साथ युद्ध अभ्यास करती हैं। यूपीए सरकार में पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने 2008 में कतर की यात्रा की थी। प्रधानमंत्री मोदी भी 2016 में दोहा गए थे। इस बीच 2015 में कतर के अमीर, शेख तमीम बिन हमाद अल थानी, भारत आए थे। साल 2018 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कतर का दौरा किया था। पिछले साल उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी कतर की यात्रा की थी।
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कतर की नौसेना को ट्रेनिंग दे रहे थे भारतीय अधिकारी
भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी, कतर की नौसेना को ट्रेनिंग दे रहे थे। इसके लिए उनका ‘दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी’ कंपनी के साथ अनुबंध हुआ था। जिस वक्त यह गिरफ्तारी हुई, तब कंपनी के प्रमुख और ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर, खमिस अल अजमी को भी गिरफ्तार किया गया था, हालांकि उन्हें तीन माह की पूछताछ के बाद रिहा कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि कतर में कैद, भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों को रिहा कराने के कानूनी एवं कूटनीतिक स्तर पर कई प्रयास हुए हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। नौसेना के अफसरों की गिरफ्तारी के बाद उक्त कंपनी के प्रोफाइल में भी बदलाव देखा गया। यह भी बताया गया है कि दाहरा ग्लोबल और कतर की नौसेना के बीच कोई अनुबंध नहीं हुआ है। कतर की कैद में जो भारतीय अधिकारी हैं, उनमें से कई तो उक्त कंपनी में बड़े पदों पर काम कर रहे थे। नौसेना के रिटायर्ड कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की एवज में 2019 के दौरान प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया था। कतर में गिरफ्तार होने के बाद दो सप्ताह तक इस सूचना को बाहर आने से रोका गया। जब इन अधिकारियों के परिजनों ने भारतीय दूतावास को जानकारी दी तो उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि हुई। उसके बाद दूतावास के अधिकारियों को उनसे मिलने की अनुमति मिली।
कतर पर क्यों नहीं दबाव बना रही केंद्र सरकार: कांग्रेस
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने एक बयान में कहा, क्या प्रधानमंत्री इस वजह से कतर पर दबाव बनाने में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं, क्योंकि कतर का सॉवरेन वेल्थ फंड अदाणी इलेक्ट्रिसिटी, मुंबई में एक प्रमुख निवेशक है। क्या इसीलिए जेल में बंद पूर्व नौसेना कर्मियों के परिजन जवाब के लिए दर-दर भटक रहे हैं। कांग्रेस पार्टी, केंद्र सरकार से आग्रह करती है कि वह कतर के भारतीय परिवारों और लोगों को बताए कि हमारे पूर्व नौसेना के कर्मियों के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है। 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार आठ कर्मियों को कथित तौर पर एकांत कारावास में रखा गया है। भारत सरकार को इनके खिलाफ आरोपों की जानकारी नहीं दी गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में दोहा, कतर का दौरा किया था। एक संयुक्त वक्तव्य में मोदी ने भारतीय समुदाय की मेजबानी करने और उनके कल्याण एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कतर के शीर्ष नेतृत्व को धन्यवाद दिया था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर, संसद में कहते हैं, हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के हित हमारे दिमाग में सबसे पहले हैं। हम आश्वासन देते हैं, वे हमारी प्राथमिकता में हैं। फिर ऐसा क्यों है कि एक ओमानी नागरिक, जिसे नौसेना के पूर्व कर्मियों के साथ गिरफ़्तार किया गया था, उसे नवंबर में रिहा कर दिया गया, लेकिन भारतीय नागरिक अभी भी हिरासत में हैं। इन हालात में हमारे नागरिकों को बंद करके रखना और इसका कोई स्पष्टीकरण न देना बहुत आश्चर्य की और फिक्र की बात है।
क्या सुरक्षा कारणों के चलते हुई है गिरफ्तारी
सुरक्षा मामलों एवं इंटेलिजेंस इकाई से जुड़े एक पूर्व अधिकारी बताते हैं कि देखिये, जब ऐसा कोई मामला विदेश की जमीन पर होता है तो सरकार को बहुत सोच समझकर कदम रखना पड़ता है। कई बार ऐसे आरोप भी होते हैं, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। अगर सुरक्षा कारणों के चलते यह कार्रवाई हुई है, तो उसमें भी कई बातें शामिल होती हैं। इन बातों का पब्लिक में खुलासा संभव नहीं होता। अगर ये सब नहीं होता है तो इस तरह की कार्रवाई के पीछे दोनों मुल्कों की सरकारों के बीच किसी मुद्दे पर टकराव हो सकता है। कूटनीतिक रिश्तों में कई बार ऐसे किसी टकराव पर अपनी नाराजगी जताने के लिए इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया जा सकता है। चूंकि ये मामला कतर नौसेना को तकनीकी एवं सामरिक ट्रेनिंग देने का है, तो इसमें बहुत सतर्कता बरती जाती है। ट्रेनिंग देने वाले भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों पर कतर की इंटेलिजेंस इकाई की नजर रहती है। ऐसी अपुष्ट खबर भी आई कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी, किसी अन्य देश के लिए जासूसी कर रहे थे। आठ माह बाद भी भारतीय नौसेना के अधिकारियों की रिहाई न होना, यहां पर कुछ तो गंभीर मामला है। ऐसे मामले में केवल डिप्लोमेटिक चैनल ही काम आता है। भारत सरकार, इस चैनल के जरिए आगे बढ़ रही होगी।