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Gulzar Video Interview:कभी गाने काटकर विदेश में फिल्में बेचनी होती थीं, अब लोग हमारे गानों की मांग कर रहे हैं – Exclusive Video Interview Of Gulzar With Pankaj Shukla Ponniyin Selvan Dil Se Guru A R Rahman Mani Ratnam

गुलजार, बस इस नाम को लेने भर से सिनेमा में बहार आ जाती है। इस बार वह मिले फिल्म ‘पोन्नियिन सेल्वन 2’ के संगीत के बारे में बात करने के लिए। लेकिन, बातें तो बातें हैं, वे बंदिशों में कहां बंध पाती हैं। गुलजार इस बार सिनेमा में तस्वीरों संग इश्क करने वाले निर्देशक मणि रत्नम और संगीत को खांचों से बाहर निकालने वाले संगीतकार ए आर रहमान के साथ मिले। ये पूरी बातचीत एक वीडियो इंटरव्यू के सिलसिले में हुई जिसमें गुलजार के साथ मणिरत्नम और ए आर रहमान भी थे। यहां इस इंटरव्यू का वह हिस्सा प्रस्तुत है जो गुलजार से किए गए सवालों से निकला। पूरा वीडियो इंटरव्यू आप इस आलेख के अंत में दिए गए लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं…



दक्षिण भारत की संस्कृति और वहां के अतीत से सांसे पाती एक फिल्म के लिए कितना चुनौती भरा रहा आपके लिए?

मैं यह महसूस करता हूं कि इतिहास का ये हिस्सा मुझसे छूटा रहा है। मुझे चोल राजाओं के बारे में पता था। सरसरी तौर पर इस साम्राज्य के बारे में भी पता था लेकिन इसकी इतनी विस्तृत जानकारी मुझे नहीं थी। मणि रत्नम हमारे लिए ये नया ज्ञान लेकर आए हैं और इससे मुझे काफी रोशनी भी मिली है। दक्षिण के लेखकों की कहानियां और कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद मैं पढ़ता रहा हूं लेकिन ये हिस्सा (पोन्नियिन सेल्वन) मुझसे छूट गया। हमने लोकप्रिय हिंदी सिनेमा मसलन ‘अनारकली’ और ‘मुगल ए आजम’ में तो ऐसा कुछ देखा है लेकिन बस यही कुछ हम देख सके।

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किसी फिल्म या किसी रचना के साथ गुलजार लिखा हो तो दर्शकों, पाठकों के मन में उसके प्रति एक अलग ही सम्मान होता है। अपने नाम को ब्रांड बनते देखना भी तो अपने आप में एक नई कसौटी होती होगी?

मेरा कभी ये योजनागत प्रयास नहीं रहा कि मैं अपने नाम को ब्रांड बनाऊं। मैं चीजें कहता हूं अपने अलग अंदाज में और जो मेरे पास नैसर्गिक तरीके से आता है। नैसर्गिक तरीके से ही मैं इसे व्यक्त भी करता हूं। रहमान और मणि रत्नम के साथ काम करता हूं तो इनका परदे पर बातें कहने का अंदाज अलग होता है तो उसके अनुसार लिखता हूं। जैसे ‘जिया जले’ का संगीत है। मलयालम के बोल भी गाने में हैं। कोई तयशुदा खाका नहीं होता रहमान के संगीत का। मैं कहता सकता हूं कि ए आर रहमान ने सिनेमा में गीतों को खांचों से बाहर निकाला है।


पोन्नियिन सेल्वन 2 के गाने लिखने के लिए किसी तरह के अलग से शोध की जरूरत पड़ी आपको?

मैं जब भी किसी फिल्म के गाने लिखता हूं तो मैं उसकी पूरी कहानी मांगता हूं, उसका सार मांगता हूं, उसे पढ़ता हूं और फिर मैं इसके किरदारों को समझने की कोशिश करता हूं। मैं फिल्म के दृश्यों की मांग भी करता हूं। इनकी तस्वीरें देखता हूं। मूल फिल्म तमिल में बनी है तो उसे देखता हूं, उसका संगीत समझने की कोशिश करता हूं। आवाजें अपने शब्दों का रास्ता खुद तलाश लेती हैं। और, चूंकि मैंने भी कुछ फिल्में बनाई हैं तो मैं इस माध्यम को समझता हूं कि एक निर्देशक आखिर क्या कहना चाह रहा है।

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मणि रत्नम का संगीत या गीत को लेकर कोई विशेष अनुरोध रहता है आपसे?

अच्छा सवाल पूछा आपने। मणि रत्नम इकलौते ऐसे निर्देशक हैं जो मुझसे गानों में अमूर्त चित्रों की कल्पना करने को कहते हैं। दूसरे किसी निर्देशक ने आज तक मुझसे ऐसी मांग नहीं की है। तमाम बार ऐसा हुआ है। मैं इसे लिखता हूं और फिर जिस तरह से वह इन पंक्तियों का अपने सिनेमा में चित्रण करते हैं, वही उनके सिनेमा का कमाल है।


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