जी स्टूडियोज की प्रस्तुति निर्माता-निर्देशक अनिल शर्मा की फिल्म ‘गदर 2’ बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर रही है। इस फिल्म ने वर्षों से बंद पड़े सिंगल थियेटरों में भी रौनक ला दी और फिल्म को देखने के लिए दर्शकों की भीड़ उमड़ पडी है। 21 साल पहले जब फिल्म ‘गदर-एक प्रेम कथा’ रिलीज हुई थी तो उस समय भी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्डतोड़ कमाई की थी। ‘गदर-एक प्रेम कथा’ देश की पहली कॉरपोरेट फिल्म मानी जाती है, जिसका पाई पाई का भुगतान चेक के जरिये किया गया। एक एक्सक्लूसिव मुलाकात में नितिन केनी ने ‘अमर उजाला’ से साझा किए ये खास किस्से…
ऐसे शुरू हुई ‘गदर-एक प्रेम कथा‘
मैं जी टीवी से काम छोड़ कर फिल्में बनाने की प्लानिंग कर रहा था। मैंने करीब 100 पटकथाएं सुनीं लेकिन मुझे ढंग की कहानी नहीं मिल रही थी। किसी ने बताया कि एक कहानी अनिल शर्मा के पास है जिसे शक्तिमान ने लिखा है। मैंने अनिल शर्मा की फिल्में ‘हुकूमत’ और ‘ऐलान-ए–जंग’ देखी थीं और वह मेरे रुचि के निर्देशक नहीं थे। मेरे मित्र ने कहा कि एक बार सुन तो लो। अनिल शर्मा आए और उन्होंने इंटरवल तक कहानी सुनाई। कहानी वहीं तक लिखी हुई थी। जैसे ही उन्होंने कहा कि यहां पर इंटरवल हो जाता है, मैंने कहा कि ये फिल्म करते हैं। अनिल शर्मा ने कहा भी कि आगे की कहानी सुन लीजिए। लेकिन मेरा जवाब था कि जब पूरी स्क्रिप्ट तैयार हो जाए तो बात देना, मैं यह फिल्म कर रहा हूं।
सुभाष चंद्रा से मिला ग्रीन सिगनल
कहानी सुनने के बाद मैं जीटीवी के पास गया और इसके मालिक सुभाष चंद्रा से मिलकर कहा कि एक अच्छी कहानी आई है, अगर सनी देओल कर लेते हैं तो यह फिल्म इंडिया की ‘टाइटैनिक’ बन जाएगी। कहानी सुनते ही उन्होंने हरी झंडी दे दी। मैं बाद में जी के तत्कालीन सीईओ विजय जिंदल और उनकी टीम से मिला। मेरी शर्त एक ही थी कि फिल्म मैं बनाऊंगा, पैसे जी टीवी के लगेंगे। मैं जी टीवी की नौकरी नहीं करूंगा फिर से। सबको बात मंजूर हुई। मेरी एक और शर्त भी जी टीवी ने मानी और वो ये कि सबको पेमेंट चेक से दिया जाएगा। यह हिन्दी सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म है, जिसका पूरा भुगतान चेक से किया गया।
शिमला में सनी देओल से मिले
अनिल शर्मा पहले ही धर्मेंद्र के साथ कई फिल्में कर ही चुके थे तो उनके माध्यम से सनी देओल से उनकी मुलाकात हो चुकी थी। फिर इसी सिलसिले में हम सनी देओल से मिलने शिमला भी गए। वहां वह किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। मेरी सनी देओल से ये पहली मुलाकात थी। सनी ने कहा कि एक बार स्क्रिप्ट पूरी हो जाए तो बात करते हैं । स्क्रिप्ट पूरी हो गई, हम लोग सनी के लोनावाला फार्म हाउस पर गए। वहां हमने उन्हें फिल्म के लिए अनुबंधित कर लिया। सनी को कहानी ठीक लगी, लेकिन मुझे कहानी में कुछ चीजें ठीक नहीं लग रही थीं।
बदलाव जो अब इतिहास बन चुके हैं
फिल्म ‘गदर एक प्रेम कथा’ में तारा सिंह शुरू में बहुत खून खराबा करता है तो मुझे इसकी वजह चाहिए थी। शक्तिमान और अनिल का मानना था कि उस समय तो हर नौजवान तलवार उठा रहा था। लेकिन मेरी सोच तारा सिंह के किरदार को लेकर थी कि वह बात-बात में शांति और अमन की बात करता है। वह अचानक तलवार कैसे उठा सकता है? फिर हमने इसकी पृष्ठभूमि तैयार की। इस सीन को बाद में हमने कमालिस्तान स्टूडियो में फिल्माया था। बाकी सब ट्रेन वाले सीन हमने अमृतसर में दिल्ली म्यूजियम से स्टीम इंजन लाकर शूट किए गए। कहानी में एक बात और थी जिसे हमने बदला। पहले फिल्म एकाएक खत्म हो जाती थी लेकिन मेरे सुझाव पर क्लाइमेक्स में सकीना को गोली लगने वाला सीन डाला गया।