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Fwice:समझिए फिल्म यूनियनों की मदर बॉडी फेडरेशन की क्रोनोलॉजी, अध्यक्ष तिवारी ने गिनाए भविष्य के अपने इरादे – Fwice President B N Tiwari Talks About How Film Unions Mother Body Federation Works Also Reveals Future Plans

हिंदी, भोजपुरी और मराठी सिनेमा के गढ़ कहे जाने वाले मुंबई शहर का एक नाम मायानगरी भी अरसे से प्रचलन में है। और सिनेमा की माया ऐसी है कि इसके आभामंडल को अगर सिरे से न समझा जाया तो बाहर से आना वाला इंसान इसमें गोल गोल घूमकर रह जाता है। किसी फिल्म, धारावाहिक या ओटीटी सीरीज बनाने के लिए शुरुआत भले एक अच्छी कहानी या एक बड़े सितारे की उपलब्धता से होती है लेकिन इसे सिनेमाघरों, टेलीविजन या ओटीटी तक प्रसारित, प्रकाशित करने के बीच की प्रक्रिया सरल नहीं है। सिनेमा बनाने वालों के लाखों परिवार मुंबई में रहते हैं और इस सबको एक तार से जोड़े रखने के लिए बनी फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉईज (FWICE)। ये फेडरेशन दरअसल मनोरंजन जगत में काम करने वाले तकनीशियनों, कारीगरों, कामगारों, कलाकारों और निर्माताओं की अलग अलग यूनियनों के बीच समन्वय का काम करती है और फेडरेशन के अध्यक्ष बी एन तिवारी की मानें तो ऐसी करीब 32 यूनियनें इस फेडरेशन के तहत काम करती हैं।

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‘अमर उजाला’ की रिपोर्टर ने बी एन तिवारी से एक ऐसे शख्स के रूप में मुलाकात की जिसे सिनेमा समझना भी है और दूसरों को समझाना भी है। बी एन तिवारी ने अपने व्यस्त समय से कुछ वक्त निकालकर बताया कि आखिर फेडरेशन काम कैसे करती है? पहला सवाल जो जेहन में आता है वह ये कि आखिर इस फेडरेशन के नाम से वेस्टर्न इंडिया क्यों जुड़ा है। तिवारी बताते हैं, ‘दरअसल पूरे देश में ऐसी ही पांच फेडरेशन और हैं, कलकत्ता फेडरेशन, बंगाल फेडरेशन, साउथ इंडियन फेडरेशन, और तमिल फेडरेशन है। हिंदी में काम करने वालों का डेरा पश्चिम भारत का शहर मुंबई रहा है, इसलिए ये वेस्टर्न इंडिया फेडरेशन है।’

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ये तो हुई फेडरेशन के नामकरण की बात लेकिन, क्या आपको पता है कि इस फेडरेशन की शुरुआत कब और क्यों हुई? बी एन तिवारी इसके बारे में भी जानकारी देते हैं, ‘दरअसल 1953 के आसपास फिल्म जगत में कुछ एसोसिएशन बनने लगे। कुछ साउंड एसोसिएशन बने। मेकअप डिपार्टमेंट बन गया। अब जब लोग इकट्ठा होने लगे तो लगा कि चीजें कैसे संभाले। तब कुछ लोगों ने क्राफ्ट शुरू कर दिया। इसी तरह के क्राफ्ट को कंट्रोल करने के लिए एक मदर बॉडी (फेडरेशन) बनाई गई और यह तब से यह चल रही है।’

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और अब कितनी क्राफ्ट की यूनियनें इस फेडरेशन का हिस्सा हैं, इसकी आधिकारिक जानकारी मांगने पर फेडरेशन के अध्यक्ष बताते हैं, ‘यह फेडरेशन करीब 70 साल से चल रहr है और ट्रेड यूनियन के अंतर्गत आतr है। इसमें कुल 32 एसोसिएशन हैं जिनमें प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, स्पॉटबॉय, लाइट लगाने वाले, सिक्योरिटी वाले, बाउंसर, वैनिटी वैन वाले, जूनियर आर्टिस्ट, महिला आर्टिस्ट, उनको सप्लाई करने वाले, डांसर, डांस मास्टर, म्यूजिक डायरेक्टर, सिंगर, आर्ट डायरेक्टर आदि शामिल हैं।’

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फेडरेशन ने कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन के दौरान भी काफी काम किया। जब मुंबई में शूटिंग पूरी तरह से बंद थी तो अपनी यूनियनों के सदस्यों के लिए बी ए तिवारी और उनकी टीम सक्रिय हुई। तिवारी के मुताबिक, ‘लॉकडॉउन में अपने वर्कर्स के फोन नंबर जुटाना, उनके अकाउंट नंबर पता लगाना जैसी कई बड़ी जिम्मेदारियां हमारे ऊपर थीं। कामगारों के लिए अजय देवगन ने 51 लाख रुपये दिया, रोहित शेट्टी ने 51 लाख रुपये, नेटफ्लिक्स ने साढ़े सात करोड़ रुपये दिए। लोगों के पास लॉकडाउन में काम नहीं था और पैसों की बहुत जरूरत थी और टीका लगवाने के लिए लंबी कतार लगानी पड़ती थी। तब यशराज फिल्म्स ने करीब दस हजार लोगों के वैक्सीनेशन की व्यवस्था कराई। उसके बाद पीवीआर पिक्चर्स ने भी करीब सात-आठ हजार लोगों का वैक्सीनेशन कराया।’

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