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Exclusive:जेठमलानी और स्वामी की बोलती बंद कर देने वाला ‘बंदा’, मनोज बाजपेयी ने पीड़िता को समर्पित की फिल्म – Manoj Bajpayee Speaks To Amar Ujala On His Film Bandaa Based On Posco Case Of Asaram Bapu Poonam Chand Solanki

अपने किरदारों की रूह को अपनी कलाकारी का चोला पहना देने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी की अगली फिल्म ‘बंदा’ का पोस्टर आ चुका है। ट्रेलर भी सोमवार की दोपहर रिलीज होने वाला है, लेकिन कम लोगों को ही पता है कि ये ‘बंदा’ है कौन? ये फिल्म दरअसल एक सच्ची घटना पर और इसके जिस मुख्य किरदार पर आधारित है, उसने एक साधारण वकील होते हुए भी अदालत में राम जेठमलानी, सलमान खुर्शीद जैसे दिग्गज वकीलों और सुब्रमणियन स्वामी जैसे धुरंधरों के छक्के छुड़ा दिए थे। जी हां, ये असल कहानी है राजस्थान में सेशंस कोर्ट के वकील पूनम चंद सोलंकी की और इस फिल्म में सोलंकी का किरदार निभा रहे हैं मनोज बाजपेयी।



गुमनाम से वकील ने जीती जंग 

फिल्म ‘बंदा’ के बारे में मनोज बाजपेयी से बातचीत के कुछ अंश जानने से पहले जरूरी है ये जानना कि जिस मामले पर फिल्म बनी वह क्या है और इसमें वकील पूनम चंद सोलंकी की भूमिका क्यों इतनी खास है? देश के तमाम घरों में बने मंदिरों तक अपनी पहुंच बना चुका आसाराम बापू जिस वजह से जेल में है, वह वजह है उसके द्वारा एक 16 साल की बच्ची के साथ किया गया दुष्कर्म। और, उसे सींखचों के पीछे पहुंचाने का काम किया वकील पूनम चंद सोलंकी ने। इस मामले से हटने के लिए कहते हैं कि सोलंकी को करोड़ों रुपये का लालच दिया गया। जान से मारने की धमकी दी गई। लेकिन, अपने माता पिता के आशीर्वाद और समर्थन से सोलंकी ने कभी इस लड़ाई से खुद को अलग करने की बात सोची तक नहीं।


मनोज ने पीड़िता को समर्पित की फिल्म 

अभिनेता मनोज बाजपेयी बताते हैं, ‘इस फिल्म की पूरी शूटिंग के दौरान सोलंकी हमारे साथ ही रहे। उनका दृढ़ निश्चय और उनका एक उद्देश्य के प्रति समर्पण बहुत ही प्रेरणादायी है। मैंने उनसे पूछा भी कि इतना आत्मबल, इतना साहस उन्होंने कैसे पाया? उनका एक ही उत्तर था कि उस बच्ची ने शक्ति देने का काम किया, उसी ने उन्हें ये आत्मबल दिया कि वह एक चर्चित बाबा को सजा दिला पाए।’ ये कहते हुए मनोज बाजपेयी भावुक होते दिखते हैं और कहते हैं, ‘मैं भी इस फिल्म में अपना अभिनय और अपनी ये फिल्म उस पीड़िता को समर्पित करता हूं।’


बिना फीस लिए लड़ा मुकदमा  

आसाराम बापू मामले में उसकी जमानत के लिए देश के दिग्गज वकीलों ने अदालत में जिरह की है। वहीं, सोलंकी ने पीड़िता का मुकदमा लड़ते हुए एक भी रुपये की फीस नहीं ली। हां, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आने जाने का खर्च जरूर पीड़िता के परिवार ने उन्हें दिया, वह भी जिद करके। एक दर्जी परिवार में जन्मे सोलंकी के पिता रेलवे में मैकेनिक रहे हैं। सेंट्रल स्कूल में पढ़ाई करने के बाद वकालत करने वाले सोलंकी को पहली बड़ी सफलता तब मिली जब उनकी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने गुलाब सागर में प्लास्ट ऑफ पेरिस की बनी गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाई थी।


भगवती प्रसाद शर्मा को माना गुरु  

झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश भगवती प्रसाद शर्मा को अपना गुरु मानने वाले पूनम चंद सोलंकी ने अपनी जिरह से अदालत में राम जेठमलानी, सलमान खुर्शीद, के टी एस तुलसी जैसे वकीलों और सुब्रमणियन स्वामी तक की बोलती बंद कर दी थी। स्वामी ने आसाराम बापू की पैरवी शुरू करने से पहले दावा किया था कि उनकी एक भी जमानत याचिका अब तक निरस्त नहीं हुई है। लेकिन, अदालत मे जिरह के दौरान जब सोलंकी ने सुप्रीम कोर्ट के एच एस रस्तोगी मामले में दिए गए फैसले का जिक्र किया तो स्वामी अवाक रह गए, उनके मुंह से यही निकला, ‘आपको पता भी है इस केस के बारे में?’ सोलंकी की अदालत ने सुनी और स्वामी की तरफ से पेश याचिका खारिज हो गई।


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