राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों का अभिवादन किया। मंगलवार को उन्होंने अपने जन्मदिन के अवसर पर मिली शुभकामनाओं पर आपार हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोगों का स्नेह देश सेवा करने की ताकत प्रदान करता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा, केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं सहित आम आदमियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बधाई प्रेषित की। लोगों से मिले अपार स्नेह पर राष्ट्रपति ने ट्वीट करते हुए कहा कि नागरिकों की ओर से जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाओं ने मुझे बहुत खुशी से भर दिया है। प्यार की यह अभिव्यक्ति मुझे राष्ट्र की सेवा करने की अधिक ताकत देती है। मैं सभी लोगों की शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मुझे शुभकामनाएं दी। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि मैंने अपने दिन की शुरुआत भगवान जगन्नाथ के मंदिर जाकर की। मैंने ईश्वर से देशवासियों के लिए कामना कर आशीर्वाद मांगा।
इसके बाद दूसरे ट्वीट में मुर्मू ने कहा कि मैंने राष्ट्रपति एस्टेट और अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट गई। यहां मैंने बच्चों के साथ कुछ समय बिताया। नन्हे फरिश्तों से मिलकर, उनके साथ समय बिताकर, उनसे बात करके बहुत अच्छा लगा। मैं बहुत खुश हूं।
दलाई लामा ने दी थी शुभकामनाएं
धर्मगुरु दलाई लामा ने देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उनके 65वें जन्मदिन पर बधाई दी। राष्ट्रपति को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा कि वह राष्ट्रपति के अच्छे स्वास्थ्य और देश के नेतृत्व में सफलता की कामना करते हैं। आप ऐसे देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जहां दुर्गम गांव के किसी व्यक्ति को देश का प्रमुख बनने का अवसर मिलता है। उन्होंने आगे लिखा कि भारत ‘करुणा’ और ‘अहिंसा’ की अपनी पुरानी परंपराओं के साथ दूसरों के लिए एक आदर्श बना हुआ है।
द्रौपदी मुर्मू कौन हैं?
राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले मतदान में एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू का नाम दिया गया है। द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा की आदिवासी महिला नेता हैं और झारखंड की गवर्नर रह चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था, जो अपनी परंपराओं के मुताबिक, गांव और समाज के मुखिया थे।
द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा
द्रौपदी ने अपने गृह जनपद से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया।
द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्ष
द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ, जिससे उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। बाद में उनके दोनों बेटों का निधन हो गया और पति भी छोड़कर पंचतत्व में विलीन हो गए। बच्चों और पति का साथ छूटना द्रौपदी मुर्मू के लिए कठिन दौर था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज के लिए कुछ करने के लिए राजनीति में कदम रखा।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक करियर
उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ओडिशी से भाजपा के साथ ही की। भाजपा ज्वाइन करने के बाद उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में हिस्सा लिया और जीत दर्ज कराई। भाजपा ने मुर्मू को पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया। इसके बाद ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन की सरकार में साल 2000 से 2002 कर वह वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं। साल 2002 से 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया। उन्होंने ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव भी जीता। बाद में साल 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं। वह राज्य की पहली महिला गवर्नर बनीं।