Cbfc Bribery Case:रिश्वत मामले में इस सीईओ की हो चुकी गिरफ्तारी, पहलाज निहलानी ने प्रसून जोशी पर साधा निशाना – Cbfc Bribery Case Pahlaj Nihalani Target Chairman Prasoon Joshi Ceo Ravinder Bhakar After Vishal Mark Antony
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) के मुंबई स्थित क्षेत्रीय कार्यालय का विवादों से पुरना नाता रहा है। इस दफ्तर का हाल ये है कि यहां जाने पर कोई सीधे मुंह बात तक नही करता। बिना बिचौलियों की सेवा लिए सिर्फ ऑन लाइन आवेदन करने वाले फिल्मकारों को लंबा इंतजार करना होता है। और, अगर किसी निर्माता ने पहले से ही अपनी फिल्म की रिलीज की तारीख तय कर रखी है तो फिर उसका हाल वही होना होता है जो फिल्म ‘मार्क एंटनी’ के हिंदी संस्करण के साथ हुआ। और, ऐसा आज से नहीं कई साल से होता आ रहा है। इसके एक सीईओ भी इसी चक्कर में हवालात पहुंच चुके हैं।
साउथ सिनेमा के स्टार अभिनेता विशाल ने सेंसर बोर्ड पर आरोप लगाया है कि फिल्म ‘मार्क एंटनी’ के हिंदी संस्करण के लिए सेंसर सर्टिफिकेट पाने के लिए उन्हें इसके मुंबई कार्यालय से सम्बद्ध लोगों को 6.5 लाख रूपये की रिश्वत देनी पड़ी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर लेन देन के ब्यौरा का भी खुलासा किया। इस मामले के मीडिया में गुरुवार को दिन भर उछलने के बाद शुक्रवार दोपहर केंद्र सरकार हरकत में आई और उसने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पूरे मामले की जांच के लिए अपने एक अधिकारी को शुक्रवार ही मुंबई भेज दिया और इस मामले की पूरी जांच एक ही दिन में पूरी करने की बात भी कही। बहुत संभव है कि शनिवार को इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई की खबर भी आ जाए। ट्रेड विशेषज्ञ अतुल मोहन कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रहे हैं और ऐसे समय में जब इस तरह की खबरे आती है तो बहुत दुख देता है। इससे पूरे संस्थान की बदनामी होती है। सेंसर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने अपने कार्यकाल के दौरान बिचौलियों पर रोक लगा दी थी।’
पहलाज निहलानी ने तो साफ तौर पर कहा है कि ये सब सेंसर बोर्ड अध्यक्ष प्रसून जोशी और इसके सीईओ रविंद्र भाकर की नाक के नीचे हो रहा है। निहलानी ने इसकी जांच के लिए एक एंटी करप्शन कमेटी बनाने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड के वर्तमान चेयरमैन प्रसून जोशी कभी ऑफिस नहीं जाते। वह घर पर फाइलें मंगाकर चेक करते हैं।’ यहां गौरतलब है कि साल 2014 में सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार पर रिश्वत लेने का आरोप लगा था और इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।
दरअसल, इस मामले में सीबीआई ने सीबीएफसी के सलाहकार पैनल और सेंसर प्रमाणपत्र के अधिकृत एजेंट श्रीपति मिश्रा को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था । श्रीपति मिश्रा पर छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘मोर दौकी के बिहाव’ के सेंसर सर्टिफिकेट के लिए 70 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप था। जब श्रीपति मिश्रा की गिरफ्तारी हुई तो रिश्वत मामले में राकेश कुमार की संलग्नता सामने आई और उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष लीला सैमसन थी।