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Brij Bhushan Sharan Singh:बृजभूषण मामले का यूपी समेत कई राज्यों पर असर; क्यों नहीं बन पा रही निर्णायक स्थिति? – Brij Bhushan Sharan Singh Case Has An Impact On Up Many States Why Is Decisive Situation Not Being Created

Brij Bhushan Sharan Singh case has an impact on UP many states Why is decisive situation not being created

बृजभूषण शरण सिंह
– फोटो : AMAR UJALA

विस्तार

संघ और भाजपा के नेता ज्ञानेश्वर को यह नहीं पता कि बृजभूषण शरण सिंह के मामले में कोई निर्णायक स्थिति क्यों नहीं बन पा रही है? हालांकि ज्ञानेश्वर कहते हैं कि बृजभूषण पर दुविधा की स्थिति से फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो रहा है। यह नुकसान उत्तर प्रदेश में उतना नहीं है, जितना हरियाणा, राजस्थान समेत देश के अन्य राज्यों में है। यूपी पुलिस विभाग के एक आईजी ने भी माना कि मामले की संवेदनशीलता को देखकर ही बृजभूषण शरण सिंह को 5 जून को अयोध्या में रैली करने की इजाजत नहीं दी गई थी। सूत्र का कहना है कि राज्य सरकार का यह फैसला सोच समझकर ही लिया गया होगा। इस मामले में यूपी के एक कैबिनेट मंत्री ने फिलहाल कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

लखनऊ में बृजभूषण शरण सिंह पर कार्यवाही का मामला काफी चर्चा में है। एनेक्सी, शास्त्री भवन में बैठने वाले सचिव स्तर के अधिकारी ने कहा कि इससे अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। वह कहते हैं कि बृजभूषण एक दबंग सांसद और बाहुबली नेता हैं। कुछ तो कारण होगा। संजय दीक्षित भाजपा के प्रचार-प्रसार से जुड़े हैं। संजय दीक्षित बृजभूषण से जुड़े सवाल पर कुछ भी बोलने से कतराते हैं। काफी कुरेदने पर कहते हैं कि यह मामला भी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की तरह गले की फांस बनता जा रहा है, लेकिन दिल्ली वाले कुछ अच्छा सोच रहे होंगे।

कौन हैं बृजभूषण शरण सिंह?

बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं और छह बार के सांसद। पांच बार भाजपा के टिकट पर संसद में पहुंचे हैं और एक बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते। स्व. मुलायम सिंह से भी करीबी रिश्ते के लिए जाने जाते थे। 1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पर गोंडा से सांसद बने थे। 2008 तक वह भाजपा में थे, लेकिन लोकसभा में विश्वास मत के दौरान क्रॉस वोटिंग करने के बाद भाजपा ने निष्कासित कर दिया था। तब वह समाजवादी पार्टी में चले गए थे। 2009 का लोकसभा चुनाव सपा के टिकट पर लड़कर जीता था। 16वीं लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भाजपा में आने का सुझाव दिया गया था। यूपी के प्रभारी अमित शाह ने इस रास्ते को आसान बनाया था। इसके बाद बृजभूषण शरण सिंह ने पार्टी में वापसी की और 2014 तथा 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर जीता। जब टाडा के तहत तिहाड़ जेल में बंद थे तो उनकी पत्नी केतकी सिंह ने चुनाव लड़ा और जीत गई। इतना ही नहीं उनके पुत्र प्रतीक शरण सिंह भी दो बार से विधायक हैं। बृजभूषण शरण सिंह के तीन बेटे और एक बेटी शालिनी थी। इनमें से दूसरे नंबर के बेटे शक्ति शरण सिंह ने जून 2004 में पिता की लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारकर आत्म हत्या कर ली थी।



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