ओडिशा में हुआ रेल हादसा देश में हुए सबसे बड़े रेल हादसों में से एक है। यही वजह है कि इस हादसे को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा और तेजस्वी सूर्य सहित कर्नाटक के चार भाजपा सांसदों ने शुक्रवार को बालासोर ट्रेन दुर्घटना के सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र लिखा। इससे पहले पांच जून को खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए थे।
भाजपा सांसदों ने अपने पत्र में खरगे द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र का जवाब दिया है। पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आपके द्वारा लिखे गए पत्र के जवाब में हमें यह कहना है कि आपके पत्र में राजनीतिक बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं है, आपने जो सवाल उठाए हैं उसमें तथ्यों की कमी है। एक पूर्व रेल मंत्री होने के नाते आपसे गहराई और समझ को दिखाने की आशा की जाती है, फिर भी हमारे साथ आपका हाल ही में किया गया पत्र-व्यवहार तथ्यपरक सुझाव नहीं देते हैं। इसलिए, हम आपके लिए वास्तविकता के साथ आपके अनुमानों के तथ्यात्मक जवाब दे रहे हैं।
रेलवे में नियक्तियों की कमी को किया खारिज
सबसे पहले रेलवे में की जा रही भर्ती के बारे में आपको बताना चाहते हैं कि पिछले नौ वर्षों में रेलवे में 4.58 लाख नियुक्तियां की गई हैं और वर्तमान में लगभग 1.52 लाख को नियुक्त करने की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इस प्रकार 10 वर्षों में हमने 6.1 लाख से अधिक की नियुक्ति करने जा रहे हैं, जो यूपीए के 4.11 लाख उम्मीदवारों की नियुक्ति से लगभग 50 फीसदी अधिक है। साथ ही 5,518 नए सहायक लोको पायलट नियुक्त किए गए हैं, जो इस क्षेत्र की उपेक्षा करने के आपके आरोपों को खारिज करते हैं।
“व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” से प्राप्त तथ्यों के आधार पर पत्र लिखना आपको शोभा नहीं देता: भाजपा सांसद
पत्र में कहा गया है कि आपने फरवरी 2023 की जिस घटना का जिक्र किया है, उसकी रेलवे ने गहनता से जांच की थी। जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी और रखरखाव के सख्त कार्यान्वयन पर सभी कर्मियों की काउंसलिंग की गई थी। यह भी ध्यान दिया जाए कि जैसा कि आपके पत्र में कहा गया है, मैसूर में कोई टक्कर नहीं हुई थी। आपके कद के नेता को “व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” से प्राप्त तथ्यों के आधार पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखना शोभा नहीं देता। लेकिन शायद “व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” के वाइस चांसलर के तौर पर आपको फेक न्यूज को तथ्य के तौर पर गढ़ने के लिए मजबूर किया गया है।
आपने रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है और आपको पता होना चाहिए कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त (Commissioner of Railway Safety) एक स्वतंत्र और वैधानिक प्राधिकरण है, हाल ही में 2022 में सीआरएस के पद को शीर्ष स्तर पर अपग्रेड करके आयोग को और मजबूत किया गया था।
खरगे ने पत्र में उठाए थे ये गंभीर सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि रेलवे को बुनियादी तौर पर मजबूत करने के बजाय खबरों में बने रहने के लिए ऊपरी तौर पर ही बदलाव किए जा रहे हैं। खरगे ने आरोप लगाया था कि लगातार गलत फैसलों की वजह से रेल का सफर असुरक्षित बन गया है। खरगे ने आरोप लगाया था कि रेलवे में तीन लाख पद खाली हैं। पूर्वी तट रेलवे में, जहां ये हादसा हुआ, वहां भी 8,278 पद खाली हैं। खरगे ने दावा किया था कि कई वरिष्ठ पदों पर भी तैनाती नहीं हुई हैं। खरगे ने सवाल किया कि बीते नौ सालों में इन रिक्तियों को क्यों नहीं भरा गया?
खरगे ने पत्र में लिखा, रेलवे बोर्ड खुद इस बात को स्वीकार कर चुका है कि लोको पायलट्स पर काम का दबाव ज्यादा है क्योंकि कर्मचारियों की कमी की वजह से उन्हें कई घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ता है। खरगे ने कहा कि लोको पायलट रेल सुरक्षा के लिए अहम होते हैं, ऐसे में उनकी रिक्तियां क्यों नहीं भरी जा रहीं?
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया था कि आठ फरवरी 2023 को मैसूर में हुए हादसे के बाद साउथ वेस्ट जोनल रेलवे के संचालन अधिकारी ने रेलवे के सिग्नल सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत बताई थी, लेकिन उस चेतावनी को रेल मंत्रालय ने क्यों दरकिनार किया? पीएम मोदी को लिखे पत्र में कांग्रेस नेता ने लिखा कि कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी की सलाह को रेलवे बोर्ड ने दरकिनार किया। जांच में पता चला है कि 8-10 प्रतिशत रेल हादसों की ही कमीशनर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) द्वारा जांच की गई है। खरगे ने पूछा था कि सीआरएस को मजबूत और स्वायत बनाने की दिशा में कदम क्यों नहीं उठाए गए?
खरगे ने आरोप लगाया कि ट्रैक के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया। खरगे ने सवाल किया कि रेल बजट को आम बजट में क्यों मिलाया गया? खरगे ने कहा कि इससे रेलवे की स्वायतता प्रभावित हुई और उसके फैसले लेने की क्षमता भी प्रभावित हुई है।
सीबीआई जांच पर भी उठाए थे सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सवाल किया था कि जब रेल मंत्री कह चुके हैं कि ओडिशा रेल हादसे का मूल कारण पता चल गया है तो फिर सीबीआई जांच क्यों की जा रही है? खरगे ने कहा कि रेलवे में तकनीकी, सेफ्टी, सिग्नलिंग के विशेषज्ञों की कमी है। खरगे ने कहा था कि आपराधिक मामलों में जांच एजेंसियां जांच करती हैं, लेकिन रेल हादसा एक तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक असफलता है और सीबीआई जांच से इस मामले में जवाबदेही तय नहीं की जा सकती।
बता दें कि शुक्रवार (दो जून) शाम को ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के बीच टक्कर हुई थी। इस हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई है और 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। यह देश के सबसे बड़े रेल हादसों में से एक है।