Amar Ujala Samvad Lucknow 2024 Indian Olympian Manu Bhaker Mother Reaction Over Daughter Struggle – Amar Ujala Hindi News Live
मां सुमेधा के साथ मनु भाकर
– फोटो : अमर उजाला
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लखनऊ में अमर उजाला संवाद का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रम में कई नामी हस्तियां शामिल हो रही हैं। इसी कड़ी में भारत की स्टार शूटर और ओलंपियन मनु भाकर भी कार्यक्रम का हिस्सा बनीं। उन्होंने अपने करियर और अपनी मां से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां सुनाईं। आखिर में मनु भाकर की मां सुमेधा भास्कर मंच पर आईं। सुमेधा का मन था कि मनु डॉक्टर बने, लेकिन क्लास बंक करते-करते कराटे-कबड्डी-मार्शल आर्ट्स और अन्य खेलों को खेलते-खेलते वह शूटिंग में आ गईं। हालांकि, उन्होंने कहा है कि वह मनु से पीएचडी तो करवाएंगी और मनु के नाम के आगे डॉक्टर तो लिखवाएंगी ही।
‘बेटे को बेटी के कपड़े पहनाती थी’
सुमेधा ने भी मनु के बारे में कई दिलचस्प बातें रखीं। उन्होंने कहा- शादी होते ही मेरे घर में बेटा आ गया था। लेकिन मेरी एक दिली ख्वाहिश थी कि मेरे घर में एक बेटी आए। मैं भिवानी कॉलेज में ओटी करती थी। जब मैं प्रेग्नेंट थी तो भगवान से प्रार्थना करती थी कि मुझे बेटी दे दो। मेरा बेटा जब छोटा था तो उसे बेटी की ही कपड़े पहनाती थी। मुझे मेरे घर में लक्ष्मी चाहिए थी। क्योंकि जब घर में बेटी होती है तो वो घर चहकता है। जब भी मनु बाहर जाती है, बेटा घर पर होता है, पति घर पर होते हैं, लेकिन घर में रौनक नहीं होती है। जब बेटा बेटी दोनों घर पर होते हैं तो घर में इतनी खुशहाली होती है, हम पूरे दिन हंसते रहते हैं। इसलिए हर घर में बेटी तो जरूर होनी ही चाहिए।
‘बहू भी बेटी का रूप’
सुमेधा ने कहा- जैसे मैं बहुत सारे घरों में सुनती हूं कि वह बेटी चाहते थे लेकिन बेटी नहीं हुई, तो मैं उन लोगों को बोलती हूं आपके घर में बेटी के रूप में बहू आएगी तो उसे बेटी की तरह ही प्यार दीजिएगा। जब भगवान ने दो बच्चे दिए, तो मैंने यही सोचा था कि मुझे इनकी किसी ख्वाहिश को मना नहीं करनी है। जब से मनु हुई है और जो भी इसने मांगा और मैंने इसे नहीं दिया हो, ऐसा शायद मेरी जिंदगी में कभी नहीं हुआ है।
‘ओलंपिक के बाद आप सभी के लिए सरप्राइज’
सुमेधा ने कहा- अभी तो हम आप सब को एक सरप्राइज देंगे ओलंपिक के बाद में, लेकिन इस बारे में मैं आप सबको अभी नहीं बताऊंगी। अक्तूबर-नवंबर में हम आपके सामने एक शो रखेंगे और मनु उसे प्रेजेंट करेगी। आप लोगों से यही दुआ है कि अपने बच्चों के साथ जुड़कर रहिए।
सुमेधा ने निजी जिंदगी में आई चुनौतियों के बारे में बताया
सुमेधा ने कहा- मैं गुरुकुल से पढ़ी हूं तो वहां एक संस्कार था। जिस तरह से फौजी को ट्रेन किया जाता है, उसी तरह से हमें भी ट्रेन किया जाता था। चार बजे उठो और रात के 10 बजे सो जाओ। मैंने स्कूल में भी 15 साल काम किया है। मैं माइक पर नहीं बोल पाती हूं तो मैं खुद को आगे के लिए तैयार करूंगी। मेरे जहन में कुछ बातें होती हैं जो आप सब के सामने प्रस्तुत करूं ताकि एक मां को हिम्मत मिले। जब मैं शादी करके ससुराल आई तो आते ही मुझे घर के काम पर लगा दिया जाता था।
उन्होंने कहा- मैं अपने पति को हमेशा बोलती थी कि मैं भैंस का गोबर डालने तो नहीं आई हूं। मुझे कुछ करना है। इस काम में मुझे खुशी नहीं मिलती है। फिर मैंने एक प्राइवेट कॉलेज जॉइन किया। फिर उसके छह महीने बाद ही मेरा सेलेक्शन ओरियंटल ट्रेनिंग में हो गया। शादी करते ही मैंने इसे बंद कर दिया था। तो धीरे-धीरे मैंने खुद में सुधार किया। फिर सोचा कि एक स्कूल खोल लेते हैं, जिसमें बच्चों को पढ़ा सकूं। प्राइवेट में तो थोड़े पैसे देते हैं और दिन भर का काम निकाल लेते हैं। फिर मैंने एक स्कूल खोला। 15 साल मैंने मेहनत की और बच्चों को वो सब दिया जो बच्चों को चाहिए होता था। आज बच्चे मेरा इतना सम्मान करते हैं, मैं जहां भी जाती हूं बच्चे मेरे पैर छूते हैं तो मैं डर जाती हूं कि उन्हें मैं अभी तक याद हूं और भावुक भी हो जाती हूं।
सुमेधा ने कहा- वह मां जो अपनी बेटियों को घर से नहीं निकलने देते थे, उन्हें मैंने मीटिंग के लिए बुलाया। वह कहती थीं कि मेरे पति फौज में हैं तो मैं उनसे कहती थी कि मेरे भी पति नेवी में हैं। हम मां को थोड़ा सा हिम्मत रखना होगा, तभी हमारे बच्चों में हिम्मत आएगी। हमें यह दिखाना होगा कि भले ही हमारे पति बाहर काम करते हों, लेकिन हमने अपने घर में बच्चों को संभाला है। जो मां घर से बाहर नहीं निकलती थीं, उन्हें मैंने घर से निकाला। उन्हें मुझसे काफी हिम्मत मिली।
‘बहू को झेलनी पड़ती है फजीहत’
उन्होंने कहा- जब आप बहू बनकर जाते हैं न तो समाज आपको बहुत दबाने की कोशिश करती है। लोग उन्हें ऊपर उठने नहीं देते हैं। मैंने शादी के बाद जब स्कूल जॉइन किया तो मुझे दबाने की काफी कोशिश की गई, लेकिन मैंने हिम्मत दिखाई और हार नहीं मानी। जब मेरी बेटी हुई तो मुझे इतनी हिम्मत मिली कि लोग मुझे टोकते गए कि ये मत कर वो मत कर, लेकिन मैं करती गई और मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। शायद बेटी की वजह से ही मुझे इतनी हिम्मत मिली और मैं इतना कुछ कर पाई।