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Asian Games:दूसरी बार एशियाड में हर्षवीर सिंह; जकार्ता में स्केटिंग में लिया था हिस्सा, हांगझोऊ में बदला खेल – Harshveer Singh In Asian Games For The Second Time Took Part In Skating In Jakarta Changed Game In Hangzhou

Harshveer Singh in Asian games for the second time Took part in skating in Jakarta changed game in Hangzhou

हर्षवीर सिंह
– फोटो : सोशल मीडिया

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किसी भी खिलाड़ी के लिए एशियाई खेलों में खेलना ही बड़ी उपलब्धि होती है, लेकिन पंजाब के हर्षवीर सिंह देश के ऐसे अनोखे खिलाड़ी बनने जा रहे हैं जो दो विभिन्न खेलों में लगातार दो एशियाई खेलों में खेलने का गौरव हासिल करेंगे। लुधियाना के हर्षवीर ने 2018 के जकार्ता एशियाई खेलों में रोलर स्केटिंग में भारतीय टीम का प्रतिनिधत्व किया था। एशियाई चैंपियन होने के बावजूद इस खेल में उनकी उपलब्धियों न कोई मान्यता मिली और न ही किसी ने सराहा। नतीजा यह निकला कि हर्षवीर ने स्केटिंग छोड़कर साइक्लिंग को अपना लिया। उन्होंने इस खेल में भी छाप छोड़ी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में और गुजरात राष्ट्रीय खेल में चैंपियन बनने के बाद उन्होंने ट्रैक एशिया कप में दो रजत जीते। अब वह हांगझोऊ एशियाई खेलों में इस खेल में भारतीय दल का हिस्सा होंगे।

वीडियो गेम छुड़ाने के लिए शुरू कराई स्केटिंग

हर्षवीर के मुताबिक उन्होंने छह साल की उम्र में 2004 में चाचा के कहने पर इस लिए रोलर स्केटिंग शुरू कराई गई, क्यों कि वह बेहद मोटे थे और हर वक्त वीडियो गेम खेला करते थे। 2011 में उन्होंने राष्ट्रीय स्कूल खेलों में रजत जीता। इसके बाद उन्होंने इस खेल में पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह राष्ट्रीय के साथ एशियाई चैंपियन भी बनें, लेकिन जकार्ता एशियाई खेलों में जाने से पहले उनकी इस खेल में उपलब्धियों न तो सरकार से मान्यता मिली और न ही किसी ने सराहा। हर्षवीर के मुताबिक उनके दोस्त के दोस्त गुरबाज सिंह ने उन्हें साइक्लिंग करने को कहा। उन्हें जब बताया गया कि एक साइकिल डेढ़ से दो लाख की होगी तो वह पीछे हट गए। इस दौरान वह जकार्ता एशियाड में वह 11वें स्थान पर रहे।

स्केटिंग में खुद का खर्च किया पर नहीं मिली मान्यता

हर्षवीर बताते हैं कि रोलर स्केटिंग में विश्व से लेकर एशियाई चैंपियनशिप में उन्हें अपने खर्च पर जाना होता था। इस खेल में काफी पैसा खर्च होता था। वह ऐसी स्थिति में नहीं थे कि इतनी महंगी साइकिल खरीदी जाए, लेकिन गुरबाज सिंह उनके पीछे पड़ गए। तब पिता के कहने पर वह उनके पास गए। गुरबाज ने अपनी साइकिल भी उन्हें दे दी। रोलर स्केटिंग के चलते उनकी मांसपेशियां विकसित हो चुकी थीं, इस लिए उन्हें साइक्लिंग में दिक्कत नहीं आई। उन्होंने अपने पहले ही कंपटीशन ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में रजत जीता। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एशियाड के लिए क्वालिफाई भी किया।

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