किसी इंसान के अपनी जड़ों से एक दिन यूं ही एकाएक कट जाने की जो टीस जिंदगी भर साथ रहती है, उसे समझना हो तो हिंदी सिनेमा के प्रतिष्ठित फिल्मकार बिमल रॉय के बेटे जॉय की किताब ‘रैम्बलिंग्स ऑफ ए बांद्रा बॉय’ उसका एक सजीव दस्तावेज है। सजीव इसलिए क्योंकि जॉय बिमल रॉय ने इसमें जो कुछ लिखा है, वह उन्होंने खुद महसूस किया है और इस लिखे का दर्द, उल्लास और उत्साह सब कुछ उन्होंने इस किताब में ज्यों का त्यों दर्शकों के सामने परोस दिया है, ‘जोल खाबर’ की तरह। ये कॉफी टेबल बुक भी है और नहीं है। है तो इसलिए क्योंकि इसे बनाया किसी कॉफी टेबल बुक की तरह ही है और नहीं इसलिए क्योंकि अपने आकार प्रकार की सहूलियत के चलते ये किताब बजाय कॉफी टेबल बुक पर पड़ी रहने के सफर में खुद को साथ ले जाने की मनुहार खुद करती चलती है।
‘रैम्बलिंग्स ऑफ ए बांद्रा बॉय’ दरअसल जॉय बिमल रॉय की उन यादों को सहेजने की कोशिश है जो उन्होंने सोशल मीडिया पर गाहे बेगाहे अपने मन की बात कहने भर को लिखीं। पुस्तक अनावरण समारोह में जॉय ने चर्चित लेखक नसरीन मुन्नी कबीर की बनाई एक शॉर्ट फिल्म ‘बिमल रॉय डजन्ट लिव हियर एनी मोर’ (अब बिमल रॉय यहां नहीं रहते) भी उपस्थित दर्शकों को दिखाई। ये फिल्म गोदीवाला बंगले के बारे में है। इस बंगले को मुंबई की विरासत के रूप में शहर की 10 सबसे चर्चित इमारतों की सूची में जगह मिली और फिर इस सूची से इस बंगले का नाम रहस्यमयी तरीके से गायब भी हो गया। और, फिर एक दिन ये बंगला जमींदोज कर दिया गया। किसने किया, क्यों किया, कितनी बड़ी रकम के लालच में किया, ये सब अब इतिहास है।
जॉय बिमल रॉय अपनी किताब ‘रैम्बलिंग्स ऑफ ए बांद्रा बॉय’ में उन तमाम मुलाकातों और शिकायतों को भी लिखते हैं जो उन्होंने बचपन से लेकर अब तक जी हैं। अपने पिता बिमल रॉय जिन्हें वह ‘बाबा’ कहकर संबोधित करते थे, उनके साथ की अपनी उस विदेश यात्रा के जिक्र से वह किताब शुरू करते हैं, जो बिमल रॉय की अंतिम विदेश यात्रा साबित हुई। वह निर्देशक श्याम बेनेगेल के सहायक के रूप में हुए अनुभवों का निचोड़ भी इस किताब में समेट लाए हैं। अनिंद्य सुंदरी अभिनेत्री रेखा के उनके घर आने का किस्सा भी इसमें शामिल है और शामिल ये भी है कि कैसे सत्य श्री साईं बाबा के तिलिस्म से बेजार हुई तमाम अमेरिकन महिलाएं एक बार उनके बंगले को अपनी शरणस्थली मानकर उसमें टिकने आ गईं। किताब में तमाम किस्से ऐसे भी हैं जिनके बारे में हिंदी सिनेमा के तमाम पत्रकारों को भी जानकारी नहीं होगी, जैसे, ऋषि कपूर और जितेंद्र का मुंबई के एक स्पा में निर्वसन होना, सलमान खान का उसी स्पा में निर्देशक सूरज बड़जात्या से फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ की रिलीज से पहले मिलने आना, वगैरह वगैरह..! किताब के ऐसे ही कई रोचक अंश इस कार्यक्रम में अभिनेता डेंजिल स्मिथ और लेखक नंदिता पुरी ने पढ़कर सुनाए।
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‘रैम्बलिंग्स ऑफ ए बांद्रा बॉय’ का अनावरण करने अभिनेत्री अदिति राव हैदरी खास तौर से मौजूद रहीं। एक स्टार के रूप में नहीं बल्कि रॉय परिवार का हिस्सा बनकर। जॉय की भांजी मिश्का की वह मित्र रही हैं और मिश्का की बदौलत ही उन्हें ‘जॉय मामू’ मिले। कैमरे के सामने खुद के बिंदास रहने और किसी समारोह में इकट्ठा लोगों के सामने से तुरंत भाग जाने की अपनी आदत का जिक्र करते हुए अदिति ने किताब की लॉन्च पर इतना ही कहा, ‘रॉय परिवार के साथ उनकी तमाम यादें जुड़ी हैं। वह इस परिवार को तब से जानती पहचानती हैं, जब वह अदाकारी के पेशे में आई भी नहीं थी। मिश्का के जरिये उन्हें जॉय मामू मिले और इस किताब में तमाम बातें ऐसी हैं जो उन्होंने मौसी (मिश्का की मां) से पहले भी सुन रखी हैं।’
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जॉय बिमल रॉय इस मौके पर काफी भावुक भी दिखे और खुद में खोए खोए भी। शनिवार की शाम की उमस भरी गर्मी में वह कार्यक्रम स्थल पर आने वालों का खुद ही स्वागत करते दिखे। पसीने से तरबतर। कार्यक्रम शुरू होने से लेकर कार्यक्रम संपन्न होने तक वह सारे इंतजाम ठीक होने को लेकर भी उद्विग्न दिखे। जॉय कहते हैं, ‘इस कार्यक्रम में इतने लोग आएंगे, इसका उन्हें अनुमान भी नहीं रहा। इस किताब को लिखने के लिए उन्हें तमाम मित्रों ने उत्साहित किया और इन सबका मैं शुक्रगुजार हूं।’ अपने बाबा बिमल रॉय को याद करते हुए वह कहते हैं, ‘मैंने खुद को हमेशा उनकी छाया में ही पाया। लेकिन ‘रैम्बलिंग्स ऑफ ए बांद्रा बॉय’ प्रकाशित होने के बाद मुझे लगता है कि मैंने अपनी खुद की एक पहचान पा ली है।’
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