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Geetanjali Mishra:सबसे पहले मैं महादेव को राखी बांधती हूं, जीवन में मां से बड़ा रक्षक दूसरा कोई नहीं – Geetanjali Mishra Happu Ki Ultan Paltan Actress Talked About Rakshabandhan She Said i Tie Rakhi To Mahadev


धारावाहिक ‘क्राइम पेट्रोल’ की अनगिनत कड़ियों में अलग अलग किरदारों में दिखती रहीं अभिनेत्री गीतांजलि मिश्रा इन दिनों धारावाहिक ‘हप्पू की उलटन पलटन’ में राजेश का किरदार निभा रही हैं। हास्य में उनका ये पहला प्रयोग है और वह मानती हैं कि दर्शकों को रुलाना आसान है, लेकिन हंसाना एक गंभीर विषय है। गीतांजलि मिश्रा से ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल की एक खास मुलाकात।



धारावाहिक हप्पू की उलटन पलटन के महिला किरदारों के नाम मर्दाना होने की कोई खास वजह?

जैसा कि आप जानते ही हैं ये एक हास्य धारावाहिक है। मेरे किरदार का नाम राजेश है। उसकी मम्मी का नाम अवधेश है। बहन का नाम विमलेश है। आपने सही कहा कि ये सबके सब नाम मर्दाना है और वह इसलिए कि ये सारी की सारी दबंग दुल्हनिया हैं। धारावाहिक की कहानी और पृष्ठभूमि ही ऐसी है कि आपको इनके किरदार अपनी तरफ खींच ही लेते हैं।

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कहते हैं कि लोगों को रुलाना बहुत आसान है लेकिन हंसाना मुश्किल..

रोने का तो क्या है कि बहुत मार्मिक दृश्य हो तो खुद ब खुद आंसू आ जाते हैं। और नहीं आते हैं तो हमारे ‘दो बूंद जिंदगी की’ (ग्लिसरीन) हमारे काम आती ही रहती हैं। हम कहते भी हैं मेकअप दादा से कि अरे भाई टीआरपी दे दो। लेकिन, मुझे ऐसा लगता है कि हंसाना जो है वो ज्यादा गंभीर विषय है। आप किसी लाइन में पंच मार रहे हैं ऐसा लगना नहीं चाहिए कि ऐसा किया जा रहा है। इसे स्वाभाविक रखना ही असल चुनौती है।


आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि वाराणसी की है और उत्तर प्रदेश में तंज कसना रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल है, इससे भी मदद मिलती है आपको हास्य अभिनय में?

बिल्कुल सही बात कही आपने। हमारे यहां की तो बातचीत में ही व्यंग्य बाण छुपे होते हैं। मां, बेटी को व्यंग्य कस देगी। सास, बहू को ताना मार देगी। हमारे धारावाहिक में भी हमारी जो सास है कटोरी देवी, वह भी बात बात में ऐसा करती दिखती ही हैं। लेकिन ये जो पारिवारिक नोकझोंक है, यही एक खूबसूरत रिश्ते की अच्छी पहल होती है।


अब तो खैर एकल परिवार का समय है, नहीं तो पहले देवरानीजेठानी या फिर देवरभाभी के रिश्ते होते ही शायद इसीलिए थे कि घर में माहौल हल्का फुलका रहे

वाराणसी एयरपोर्ट से 60 किमी दूर स्थित सुरियावां से मेरा नाता है। हमारे परदादा नौ भाई और एक बहन थे। 160 लोगों का परिवार यूं लगता था कि जैसे कोई छोटा मोटा कस्बा ही हो अपने आप में। कभी शादी ब्याह मे जाते हैं तो लगता है कि बरात लाने की तो जरूरत ही नहीं है इतने तो हम सभी खुद हैं। ये संयुक्त परिवार की बातें हमें संवाद अदायगी में, ताने मारने में या फिर मुहावरों को असरदार तरीके से बोलने में बहुत मदद करती हैं।


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