वन्यजीव फोटोग्राफी की दुनिया में योगेश भाटिया नाम काफी प्रसिद्ध है। उन्होंने 60 वर्ष की उम्र के बाद इस क्षेत्र में कदम रखा, जबकि लोग रिटायरमेंट की तैयारी करते है। बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक तो था लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारी और व्यापार में व्यस्तता के चलते शौक को असल जामा नहीं पहना पाए।
योगेश भाटिया बताते हैं, ‘जब दोनो बच्चे जर्मनी में अपने अपने कामों में व्यवस्थित हो गए तो वाइल्डलाइफ फ़ोटोग्राफी के शौक को मैंने व्यावसायिक पहचान दी।’ आगे चलकर योगेश ने न केवल उनके साथी फोटोग्राफरों को प्रेरित किया, बल्कि युवा पीढ़ी को भी अपने दृष्टिकोण से प्रेरित किया।
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अपनी सबसे पसंदीदा तस्वीरों के बारे में पूछे जाने पर योगेश भाटिया 4000 फीट की ऊंचाई पर खींची गई हिम पैंथर की तस्वीर का जिक्र करते हैं। वह बताते हैं, ‘इस खूबसूरत हिम चीते की फोटो खींचने के लिए मुझे आठ घण्टे तक एक ही स्थान पर इंतजार करना पड़ा लेकिन कठिन धैर्य के बाद जो परिणाम आया वो फोटो के माध्यम से आपके सामने है।’
योगेश भाटिया कहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए जरूरी है निरंतर मेहनत और समर्पण। यदि जीवन में धैर्य और दृढ़ता बनी रहे तो कामयाबी निश्चित है। अपने पसंदीदा कैमरा कॉम्बीनेशन के बारे में वह बताते हैं, ‘मैं सोनी अल्फा1 कैमरे के साथ जुड़े 400 मिमी जी मास्टर एफ2.8 लेंस का अधिकतर उपयोग करता हूं। इसके जरिये मैंने तमाम खूबसूरत तस्वीरें बनाई। मेरा लक्ष्य प्राकृतिक सौंदर्य को उज्जवल और कठिन दृश्यों को साथ मिलाकर प्रस्तुत करने का रहता है।’
विश्व फोटोग्राफी दिवस पर वह कहते हैं कि जंगलों के प्रति मानव का प्रेम जरूरी है। शहरों में बसावट होने के बाद हम प्रकृति को भूलते जा रहे हैं। ये चित्र हमें फिर से प्रकृति की गोद में ला बिठाते हैं। युवाओं को उनका संदेश है कि प्रति दिन मोबाइल से ही सही लेकिन अपने आसपास की प्रकृति की फोटो उन्हें जरूर खींचनी चाहिए।