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Omg 2 Director Interview:‘ओएमजी2’ के निर्देशक का छलका दर्द, इन निर्माताओं ने रिजेक्ट कर दी थी फिल्म – Omg 2 Director Interview Know About Amit Rai Who Directed Akshay Kumar Pankaj Tripathi Starrer Film Read


साल 2010 में रिलीज हुई ‘रोड टू संगम’ जैसी बेहतरीन फिल्म बनाने के बाद निर्देशक अमित राय को 13 वर्षों तक किसी ने काम नहीं दिया।  इतना ही नहीं, जब अमित राय ने ‘ओएमजी 2’ की कहानी लिखी तो इस विषय पर कोई भी प्रोडक्शन हाउस फिल्म बनाने के लिए राजी नहीं हुआ। नौ जगह से फिल्म रिजेक्ट हुई के बाद जब फिल्म की स्क्रिप्ट निर्माता अश्विन वर्दे के पास पहुंची और उन्होंने फिल्म बनाने का बीड़ा उठाया और आज फिल्म सिनेमाघरों में जबरदस्त कमाई कर रही है। इस फिल्म को लेकर निर्देशक अमित राय ने ‘अमर उजाला’ से खास बातचीत की।



आपने ‘रोड टू संगम’ जैसी बेहतरीनन फिल्म निर्देशित की, कई समारोहों में फिल्म को खूब सराहा गया। फिर, दूसरी फिल्म ‘ओएमजी 2’ बनाने में आपको 13 साल कैसे लग गए?

सच बोलूं तो उस फिल्म के बाद किसी ने काम ही नहीं दिया। जो स्क्रिप्ट लोगों के पास लेकर जाता था, उस पर लोग काम करना ही नहीं चाह रहे थे। इस बीच जो मेरा संघर्ष रहा, उसका दर्द मुझसे ज्यादा मेरे परिवार वालो को सहना पड़ा। उस वक्त तो मेरा बच्चा छोटा था, उसको सेरेलेक दूध में न मिलाकर पानी में दे देता था और वह पी लेता था। उसको आटा में पानी मिलाकर दे दिया तो उसको क्या पता चला। यह मेरे लिए एक वनवास जैसा ही रहा। हालांकि उस बीच एक फिल्म ‘आईपैड’ की थी, वह फिल्म अभी आएगी। मैं किसी को दोष नहीं देता, क्योंकि यह पेशा मैने खुद ही चुना है। किसी ने मेरे कंधे पर बंदूक रखकर नहीं बोला था कि फिल्म बनाओ। मैं तो टीचर था, अच्छा खासा बच्चों को पढ़ा रहा था। उस काम को छोड़कर इस प्रोफेशन में आया। इस फिल्म के लिए मुझे नौ लोगों ने रिजेक्ट किया। लोग बोलते थे कि इस फिल्म का विषय अच्छा नहीं है, लेकिन मुझे इस विषय पर भरोसा था और, आज परिणाम आपके सामने है।


तो, पहले आपने ‘ओएमजी 2’ को लेकर किस- किस प्रोडक्शन हाउस में संपर्क किया?

इस फिल्म को लेकर सोनी पिक्चर्स, आशुतोष गोवारिकर, करण जौहर, जंगली पिक्चर्स, जैसे कई बड़े निर्माताओं और प्रोडक्शन हाउस में गया। उनका अपना दृष्टिकोण था, मेरा अपना दृष्टिकोण था। जिनको मेरा दृष्टिकोण अच्छा लगा, उन्होंने फिल्म बनाई और आज उनको फायदा मिल रहा है।


इस विषय पर फिल्म बनाने का ख्याल कैसे आया?

मूल विषय तो भगवान के आने का ही था। मुझे लगा कि इस फिल्म की कहानी कैसे बनाई जा सकती है। पहले इस फिल्म का नाम कुछ और रखा हुआ था। इसमें बाप बेटे की कहानी है। बेटा स्कूल में रिस्ट्रीकेट हो जाता है। बाप भी पहले डर जाता है। वैसे कोई भी बाप हो वह डर ही जाएगा, भले ही मैं खुद क्यों न रहूं? मैं शहर छोड़ दूंगा। लेकिन मुझे लगा अगर शहर छोड़कर जाऊंगा, तो मुझे बचाएगा कौन, समझाएगा कौन? अगर कोई आम आदमी समझाएगा तो उसका कोई मतलब नहीं रह जाता। समझाने के लिए ऐसा व्यक्ति चाहिए जो बहुत ज्ञानी हो। और, ज्ञान का स्रोत दैवीय होना चाहिए।

 


सेंसर बोर्ड का इस फिल्म को लेकर रवैया बहुत अलग रहा, अगर फिल्म को  सर्टिफिकेट नहीं मिला होता तो इस फिल्म से और भी दर्शक जुड़े होते?

देखिए, किसी भी चीज को लेकर अगर आप का व्यापक दृष्टिकोण नहीं होगा। तो, आप का ग्रोथ वहीं रुक जाता है। वहां भी ऐसा ही हुआ। मैं किसी व्यक्ति विशेष पर कोई भी टिप्पणी नहीं करना चाहता। उनको वहां कुछ सोच समझकर ही बैठाया होगा। लेकिन मैंने हाथ जोड़कर विनती की थी कि इसे ‘ए’ सर्टिफिकेट न दे। कम से कम फिल्म को ‘यूए’ सर्टिफिकेट दे। मैंने  तो फिल्म टीनएजर्स के लिए बनाई है और आप पीएचडी वालों को पढ़ाने के लिए बोल रहे हैं। लेकिन जिनको सब चीज की नॉलेज हैं, उन्हें क्या ज्ञान बाटूंगा? यह तो उनको समझना था जिनको इसकी जरूरत है। नहीं माने तो सहर्ष ‘ए’ सर्टिफिकेट के साथ रिलीज की। फिल्म का परिणाम तो उनको अब पता ही होगा। मैंने मैसेज किया था कि अभी फिल्म को ‘यूए’ सर्टिफिकेट दें, ताकि परिवार के लोग फिल्म देख सकें, ऐसा करते तो उन लोगों का  चरण धोकर पी लेता। लेकिन उनका कोई उत्तर नहीं आया। लेकिन जब फिल्म ओटीटी पर आएगी तब क्या कर लेंगे। 

 


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