पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को अमर उजाला के संवाद कार्यक्रम में शिरकत की। सीएम मान ने इस दौरान पंजाब को लेकर अपनी सरकार का विजन बताया। साथ ही अपने डेढ़ साल के कार्यकाल से लेकर व्यंग्यकार के तौर पर अपनी भूमिका और पंजाब से युवाओं के पलायन पर भी बात की।
सीएम भगवंत मान: इस संवाद की खुशी है। जब आप एक-दूसरे से चर्चा करते हैं तो नए आइडिया सामने आते हैं। मुझे खुशी है कि यहां पंजाब को चाहने वाले और पंजाब को ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले बैठे हैं। शहीद-ए-आजम भगत सिंह के गांव में हमारा शपथ ग्रहण हुआ था। हमारे शहीदों ने जो आजादी सोची थी, हम उनकी बात करने वहां गए थे। मैंने शहीद-ए-आजम के बारे में बहुत पढ़ा है। पंजाब की आबादी देश की दो फीसदी है, लेकिन यहां से 90 फीसदी कुर्बानियां हैं। आप कहीं भी चले जाएं, आपको वहां शहीदों की याद में चीजें दिखेंगी। जब भगत सिंह अंग्रेजों से लड़ रहे थे, उन्हें यह चिंता नहीं थी कि देश कैसे आजाद होगा। उन्हें भरोसा था कि आजादी तो मिलेगी ही, लेकिन उन्हें यह चिंता थी कि आजादी के बाद देश किन हाथों में जाएगा। उनकी चिंता काफी हद तक सही थी। 75 साल हो गए, देश अभी भी गलियों-नालियों, सीवरेज के ढक्क्नों तक, चावल बांटने तक ही खड़ा है। जिन फिरंगियों को देश से बाहर निकालने के लिए हमारे शहीदों ने कुर्बानियां दीं, हमारा आज का युवा, वह मां की बालियां, पिता की जमीन बेचकर 30 लाख लेकर घूम रहा है अंग्रेजों में देश में जाने के लिए। ऐसा ही करना था तो भगत सिंह जी को 23 साल की उम्र में बलिदान देने की क्या जरूरत है? शहीदों का विजन हमारे पास पहले से है, लेकिन उसे पूरा करने के लिए अगर हम उनके कदम चिह्नों पर चलें तो सही होगा।
जितना हम विशेषज्ञों से जान सकते थे, उतना उन्हें बुलाकर समझा। समस्या जहां होती है, हल वहीं से निकलता है। बहुत से लोगों ने विचार बताए। उद्योगों से शुरू करते हैं। बहुत से उद्योगपतियों ने दिलचस्पी दिखाई। हमने औद्योगिक नीति उनसे पूछकर ही बनाई है। हमने बिजली सस्ती की। हमारे पास कोयला सरप्लस हुआ। पंजाब अगर बिजली पैदा कर रहा है तो लोगों को यहां बिजली मिलनी चाहिए। आज 80 से 90 फीसदी लोगों को बिजली का बिल शून्य आता है। हमारे पास कुछ आउट ऑफ द बॉक्स आइडिया भी आए। पहले उद्योगपति जमीन लेता था। फिर लैंड यूज बदलने के लिए संघर्ष करता था। दो साल तक वह अलग-अलग मंजूरियों के लिए भटकता था। हमने स्टांप पेपर की कलर कोडिंग कर दी। अगर आपको उद्योग लगाना है तो आप जगह की पहचान कर लो। आप हमारे पोर्टल पर जाइए, वहां जमीन के बारे में बता दीजिए। हमारी एजेंसियां 15 दिन में सारी मंजूरियां देगी और फिर आपसे जमीन बेचने वाले को बुलाने को कहेगी। आपको हरे रंग का स्टांप पेपर खरीदना होगा। वहीं तहसीलदार को बैठा रखा है। 16वें दिन रजिस्ट्री होगी और 17वीं दिन आप भूमि पूजन कर सकते हो। उद्योगपतियों को दफ्तरों या कचहरी के चक्कर नहीं काटने हैं।
2. सवाल: डेढ़ साल में खुद की सरकार को 10 में से कितने नंबर देंगे?
सीएम भगवंत मान: नंबर तो जनता देगी। मैं नंबरिंग में नहीं पड़ना चाहता। मेरा सोचना है कि काम करो, करते जाओ। जब तक रिबन को छू न लें, तब तक पीछे नहीं देखना चाहिए।
3. सवाल: दिल्ली मॉडल की चर्चा हुई थी। 2016 से 2021 में पंजाब से दूसरे देशों में 10 लाख लोग गए हैं। इनमें चार लाख तो छात्र हैं। लोकसभा में सरकार का जवाब है।
सीएम भगवंत मान: ब्रेन ड्रेन की समस्या पुरानी है। प्रतिभाशाली युवा बाहर जा रहे हैं। इस बारे में किसी ने नहीं सोचा। वे यहां इंजीनियर बन जाएंगे, पढ़ाई कर लेंगे, लेकिन उस डिग्री के मुताबिक उन्हें यहां नौकरी नहीं मिलती। उम्मीद पर वोट डलते हैं। अगर उम्मीदें कायम रखने वाले आपको हर रोज तीन बार नकारात्मक बातें कहें कि हमारा खजाना तो खाली है। 2016 से 2021 तक पंजाब के वित्त मंत्री ने ‘खजाना खाली है’ के अलावा कोई शब्द नहीं बोला। अब मेरे पास हर रोज दो-तीन लोगों के फोन आते हैं कि हम कनाडा जाने की सोच रहे थे, लेकिन अब नहीं जा रहे, क्योंकि यहां नौकरी मिल गई। माइक्रोसॉफ्ट में 50 फीसदी से ज्यादा इंजीनियर भारतीय हैं। बोइंग में 60 फीसदी इंजीनियर भारतीय हैं, जिनमें से ज्यादातर पंजाब की एक यूनिवर्सिटी के हैं। उन युवाओं का भारत में रहने का दिल करता है, भले ही वे विदेश जाकर अंग्रेजों से अमीर क्यों न हो गए हों। वे यहां आकर अपनों में रहना चाहते हैं। हमारे प्रयासों से रिवर्स इमिग्रेशन हो रहा है।
4. सवाल: क्या आप मोदी जी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का समर्थन करेंगे?
सीएम भगवंत मान: मोदी जी को तो खुद बाहर से यहां लाना पड़ता है। मोदी जी तो खुद बाहर ज्यादा रहते हैं, उन्हें खुद रिवर्स इमिग्रेशन की जरूरत है। …और भारत तो पहले से आत्मनिर्भर था। वक्त के हिसाब से चीजें बदलने की जरूरत होती है। अब किसान सिर्फ खेती पर निर्भर नहीं रह सकता। हर क्षेत्र में पीढ़ी बदल गई है। सियासत, बॉलीवुड, उद्योग, खेल में पीढ़ी बदल चुकी है। पहले दफ्तरों का टाइम साढ़े सात से दोपहर दो बजे तक कर दिया। थोड़े दिन बाबुओं को दिक्कत हुई। बाद में उन्हें एहसास हुआ कि परिवार के साथ अच्छा वक्त बिताने को मिल रहा है। हमने इससे बिजली बचाई। यह 31 जुलाई तक की व्यवस्था थी। लोगों को ये सहूलियत हुई कि वे दफ्तरों में जाकर अपना जरूरी काम कराएं और फिर अपने काम पर चले जाएं।
5. सवाल: अब आप खुद गद्दी पर हैं। आपके अंदर का व्यंग्यकार अब क्या कहता है? क्या वह बीच-बीच में लौट आता है?
सीएम भगवंत मान: व्यंग्यकार रहता ही है, जाता कहां है। जब मैं नेता, सिस्टम, राजनीति पर सटायर करता था। तब मैं लिखता तो खुद था। इसलिए मेरा लिखा, मेरे सामने है। अब नेता की भूमिका में हूं, तो मुझे लगता है कि जिस बात पर मैं व्यंग्य करता था, वह मुझे नहीं करना चाहिए। हिंदी का अक्षर है- खाते। अब ये दोनों तरफ से इस्तेमाल होता है। हमारे देश के नेता इस देश में खाते हैं, इसलिए उनके विदेश में खाते हैं। एक और सटायर था कि लोग पहले कहते थे कि नेताजी मुझे इस इलाके से टिकट दो क्योंकि मुझे यहां के लोग अच्छे से जानते हैं। लोग आज भी यही कहते हैं, लेकिन अब कहते हैं कि मुझे इस इलाके से टिकट मत दो क्योंकि यहां के लोग मेरी करतूतों को जानते हैं। सिस्टम के इसी तरह के सटायर होते थे।
6. सवाल: आपके विरोधी आपको जबरदस्त निशाने पर लेते हैं। बेरोजगारी या नशे की दिक्कत के अलावा अमृतपाल जैसे मामले सामने आए।
सीएम भगवंत मान: हम तो डेढ़ साल से सत्ता में हैं। सारे गैंगस्टर डेढ़ साल में बन गए? जब भाजपा अकाली दल के साथ थी तो जेलों में गैंगस्टर को कौन पालता था। कांग्रेस से भी पूछिए। अब सियासी पनाह मिलना बंद हो गई है। अमृतपाल मामले में हम नाकाम कैसे हो गए? उसकी गतिविधियां कानून के मुताबिक नहीं थीं। उसके साथियों को हमने शांतिपूर्ण तरीके से पकड़कर जेल में डाल दिया था। नाकामी पूछना है तो हरियाणा वालों से पूछिए कि नूंह में क्या हो रहा है। मणिपुर में क्या हो रहा है? अगर कानून व्यवस्था यहां ठीक नहीं होती तो टाटा स्टील जैसी कंपनियां यहां नहीं आतीं। पंजाब में जमीन उर्वरक है, कुछ भी बोओगे, वह उग आएगा, लेकिन यहां नफरत का बीज नहीं फूटेगा। यहां 10 साल एके47 भी चली है, लेकिन आज यहां शांति है। आनंदपुर साहिब हमारे तख्तों में से एक है। हमारे सिखों के पांच में से एक तख्त के नाम पर लोकसभा की सीट है। यहां से सांसद हैं मनीष तिवारी। इसमें किसी को आपत्ति नहीं है। फरीदकोट में 15 लाख में से 10 हजार मुस्लिम होंगे, वहां से मोहम्मद सादिक सांसद हैं। यह बताता है कि हम पंजाब में नाम नहीं देखते। …संसद में मैंने कहा था कि लंबे सफर को मीलों में मत बांटिए। भारत बहता दरिया है, इसे नदियों-झीलों में मत बांटिए। देश की आजादी के बाद दुश्मन की पहली गोली जब चलती है तो सामने पंजाब का सीना होता है।