लोकसभा चुनाव 2024:‘धन्यवाद’ से बना यूपी में यह मेगा प्लान ! मंदिर और मठों से भाजपा निकालेगी सत्ता की राह – This Mega Plan In Up Made Of ‘thank You’! Bjp Will Find The Way To Power Through Temples And Monasteries
भाजपा (सांकेतिक तस्वीर)।
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आने वाले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश पर अपना पूरा फोकस सेट कर दिया है। पार्टी इस तैयारी में है कि लोकसभा चुनावों में किसी तरीके की कोई कमी न रहे और अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनावों में उनका तय लक्ष्य 80 सीटों का पूरा हो सके। इसके लिए भाजपा ने अपने बड़े स्तर पर कई नई और अनोखी तैयारी भी शुरू कर दी है। इन्हीं तैयारी में एक नई और अनोखी तैयारी है उत्तर प्रदेश के गांव, शहर और कस्बों में बने मंदिर मठों और अनेक धर्मों के पूजा स्थलों और इबादतगाहों के पुजारियों से मिलकर उनके साथ संबंधों को और मजबूत करने की। इसके लिए बाकायदा भाजपा ने कुछ दिन पहले से न सिर्फ काम शुरू किया है बल्कि पूरी लिस्ट भी बनानी शुरू कर दी है।
इस तरह से साधा जाएगा उत्तर प्रदेश के इस समाज को…
भारतीय जनता पार्टी की इस योजना के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के हर जगह बने धार्मिक स्थलों और समुदायों को टारगेट कर वहां रहने वाले साधु संत और उनसे जुड़े अनुयायियों को अपने साथ जोड़ने की बड़ी योजना बनी है। इस योजना के अनुसार, पार्टी में सभी जिलाध्यक्षों के माध्यम से उनके जिलों में शामिल ऐसे सभी धर्मस्थलों और उनसे जुड़े सामाजिक और धार्मिक संगठनों की सूची बनाकर उनके साथ समरसता भोज आयोजित करने की योजना बनाई है। भाजपा की योजना है कि इस तरह से समरसता भोज को उत्तर प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों के धार्मिक संगठन और धार्मिक स्थलों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचा जा सकेगा। यह कार्यक्रम अगले साठ दिनों में समूचे उत्तर प्रदेश में पूरा कर लिया जाएगा।
केंद्र को भेजी जाएगी इस समरसता भोज की पूरी रिपोर्ट…
वैसे तो सभी राज्यों में होने वाली तमाम तरह की गतिविधियों की पूरी रिपोर्ट केंद्र को भेजी ही जाती है। लेकिन धार्मिक संगठनों और धार्मिक स्थलों पर आयोजित होने वाले समरसता भोज और वहां आयोजित किए गए अन्य कार्यक्रमों की पूरी जानकारी केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जाएगी। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि यह कार्यक्रम एक अगस्त से शुरू किया जा चुका है। उनका कहना है कि इस तरह से भाजपा उन सभी धार्मिक और सामाजिक संगठनों समेत मंदिर मठ और पुजारियों से न सिर्फ सीधे तौर पर जुड़ेगी बल्कि बूथ अध्यक्षों के माध्यम से यह भी सुनिश्चित करेगी कि सभी मंदिरों से जुड़े रहने वाले साधु संतों के वोट भी बन सके।