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Delhi Services Bill:अध्यादेश से कितना अलग दिल्ली सेवा विधेयक, Aap सरकार की शक्ति कितनी घटेगी? जानें सबकुछ – How Different Is The Delhi Services Bill From The Ordinance, Will It Reduce Power Of The Aap Government

नया बिल अध्यादेश से कितना अलग?
जानकारी के मुताबिक, विधेयक में अध्यादेश के सभी प्रमुख प्रावधान होंगे। हालांकि, विधेयक में अध्यादेश में शामिल उस प्रावधान का कोई जिक्र नहीं है जो राज्य विधानसभा को ‘सेवाओं’ पर कोई कानून बनाने से रोकता है।

यह विधेयक अखिल भारतीय सेवाओं और दिल्ली और अंडमान निकोबार द्वीप सिविल सेवाएं (DANICS) से संबंधित अधिकारियों की नियुक्ति पर केंद्र सरकार को दिल्ली सरकार पर प्रमुखता देगा। इसमें अध्यादेश में उल्लिखित उस प्रावधान को हटा दिया गया है, जिसके तहत ‘सेवाओं’ पर कोई कानून बनाने में राज्य विधानसभा की कोई भूमिका नहीं थी।

विधेयक में दिल्ली सरकार के लिए केंद्र सरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अध्यादेश के तहत अनिवार्य आवश्यकता को हटा दिया गया। बिल में केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले प्रस्तावों या मामलों से संबंधित मंत्रियों के आदेशों/निर्देशों को एलजी और दिल्ली के मुख्यमंत्री के समक्ष रखने की अनिवार्यता को भी हटा दिया गया।

अध्यादेश से अलग बिल में एनसीटी सरकार को किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकाय में एलजी द्वारा नियुक्ति के लिए उपयुक्त व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करने की अनुमति देने के लिए बिल की धारा 45 डी में उप-धारा (बी) जोड़ा गया है। अध्यादेश में (धारा 45डी के तहत) ऐसी सभी शक्तियां राष्ट्रपति या दूसरे शब्दों में केंद्र के पास थीं।

हालांकि, प्रावधान में कहा है कि राज्य सरकार की सिफारिशें करने की शक्ति केवल राज्य विधानसभा द्वारा निर्मित और शासित निकायों तक ही सीमित होगी। साथ ही, इस मामले में दिल्ली सरकार की भूमिका सिफारिश करने तक ही सीमित रहेगी। विधेयक एलजी को सिफारिशों को अस्वीकार करने या संशोधन की मांग करने की शक्ति प्रदान करेगा।

विधेयक के अनुसार, दिल्ली सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के सभी स्थानांतरण और पोस्टिंग दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति द्वारा की जाएगी।

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