Bhojpuri Cinema analysis: निर्माताओं ने बताई भोजपुरी सिनेमा की कड़वी हकीकत, यूपी, बिहार की सरकारों पर टिकी आस – Business Of Bhojpuri Cinema Is Hit Badly Number Of Theatres Decrease From 250 To Mere 30

भोजपुरी सिनेमा के दिग्गज निर्माता और वितरक अभय सिन्हा अब देश मे हिंदी सिनेमा निर्माताओं की सबसे बड़ी संस्था इम्पा (इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन) के अध्यक्ष हैं। वह इम्पा के जरिये फिल्म निर्माताओं की मदद करन की बात भी लगातार करते रहे हैं, लेकिन, उनकी अपनी फिल्म इंडस्ट्री यानी कि भोजपुरी सिनेमा के निर्माताओं का हाल क्या है, ये जानने की हमने कोशिश की तो लोगों ने चौंकाने वाली जानकारियां दीं। भोजपुरी सिनेमा के निर्माता इतने हताश हैं कि उनकी फिल्में तक उनकी योजना के अनुसार रिलीज नहीं हो पा रही हैं। कोरोना संक्रमण काल के बाद भोजपुरी सितारे फिर से फिल्म दर फिल्म कर रहे हैं, लेकिन इनमें से कितने निर्माता अपनी लागत भी वसूल कर पाने में सफल रहे, इसका कोई आंकड़ा कहीं उपलब्ध नहीं और न ही इन भोजपुरी फिल्मों का रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने की व्यवस्था ही अब तक हो सकी है।
भोजपुरी सिनेमा में इन दिनों दिनेश लाल यादव निरहुआ, पवन सिंह, खेसारी लाल लाल यादव, प्रदीप पांडे चिंटू, यश कुमार मिश्रा, राकेश मिश्रा, विक्रांत सिंह राजपूत, अरविंद अकेला कल्लू, रितेश पांडे जैसे सितारे सक्रिय हैं। साल में 80 से 100 फिल्में बनाने वाले भोजपुरी सिनेमा की फिल्मों की रिलीज बहुत अस्त व्यस्त है। अगस्त में सिर्फ दो फिल्में रिलीज हो रही हैं, जिनमे से प्रदीप पांडे चिंटू की ‘भारत भाग्य विधाता’ 18 अगस्त को और खेसारी लाल यादव की ‘संघर्ष 2’ 25 अगस्त को रिलीज हो रही हैं।
इसे भी पढ़ें- Bigg Boss Ott 2: फलक नाज के एविक्ट होने से टूटा अविनाश का दिल, कहा – ‘बाहर जाते ही सबसे पहले मिलूंगा’
भोजपुरी की इस हालत में निर्माता, निर्देशक राजकुमार आर पांडे का मानना है कि भोजपुरी सिनेमा के रिलीज के लिए थियेटर की समस्या है। राजकुमार आर पांडे कहते हैं, ‘हिंदी और भोजपुरी से इतर भाषाओं की फिल्मों के लिए वहां की राज्य सरकारों ने इन फिल्मों को मल्टीप्लेक्स में दिखाना अनिवार्य कर दिया है। ऐसा कोई फैसला उत्तर प्रदेश या बिहार की सरकारें अब तक नहीं ले सकी हैं। भोजपुरी में फिल्में बहुत -अच्छी अच्छी बन रही हैं। हम उम्मीद ही कर सकते हैं कि वह समय भी जल्द ही आएगा जब हमारी फिल्में भी पहले से तय तारीखों पर धूमधाम से रिलीज होंगी।’
निर्माता प्रदीप शर्मा कहते हैं, ‘यह बहुत उलझी हुई चीज है। हिंदी फिल्में निर्धारित समय से आती रहती हैं। लेकिन भोजपुरी में ऐसा नहीं रहा। भोजपुरी में स्टार ही तय करते हैं कि उनकी फिल्म कब रिलीज होगी? स्टार्स ही अपनी फिल्मों की रिलीज डेट अनाउंस कर देते हैं। ऐसे में हमें खुद ही पता नहीं चलता है कि अपनी हमारी फिल्म कब रिलीज होगी। और, सबसे बड़ी बात यह है कि हम अपनी फिल्मों का खुद ही प्रमोशन नहीं कर पाते हैं, क्योंकि स्टार्स साथ नहीं देते हैं।’
निर्माता, निर्देशक प्रमोद शास्त्री इस हालत के लिए सिनेमाघरों की कमी का हवाला देते हैं। वह बताते हैं, ‘पूरे देश में अब सिर्फ 30 थियेटर बचे हैं, जहां भोजपुरी फिल्में रिलीज होती है। पहले बिहार में 250 थियेटर थे जहां पर भोजपुरी फिल्में रिलीज होती थी। अब बिहार में सिर्फ 15 थियेटर बचे है। 5-7 थिएटर उत्तर प्रदेश में बचे हैं और इतने ही थियेटर मुंबई और गुजरात में मिलाकर बचे हैं, जहां पर भोजपुरी फिल्में रिलीज हो रही है। अगर साल में 100 फिल्में बन रही है तो बड़े सितारों की भी सिर्फ गिनी चुनी फिल्में ही थिएटर में रिलीज होती है। उसमें भी जिसको जब मौका मिलता है, रिलीज कर देता है। इसलिए पहले से रिलीज डेट फाइनल नहीं हो पाती है। 50 फिल्में अलग -अलग सैटेलाइट चैनल पर रिलीज हो जाती है। और, बाकी फिल्में यूट्यूब पर रिलीज हो रही हैं, जहां से कोई रिकवरी नहीं होती।’