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Iso Bill:संसदीय समिति ने रक्षा विधेयक को दी मंजूरी, अंतर-सेवा संगठन प्रमुखों को मिलेगी अनुशासनात्मक शक्तियां – Parliamentary Panel On Defence Said Inter-services Organisations Bill Be Passed, Enacted Without Any Amendment

रक्षा पर एक संसदीय समिति ने एक विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है जो अंतर-सेवा संगठनों (Inter-Services Organisations) के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को सेवारत या उनसे जुड़े कर्मियों के संबंध में सभी अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियों के मामले में उन्हें सशक्त बनाता है। रक्षा पर संसद की स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 को बिना किसी संशोधन के पारित किया जाए और एक कानून के रूप में अधिनियमित किया जाए।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद जुएल ओराम की अध्यक्षता वाली रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने शुक्रवार को लोकसभा में अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 पर अपनी रिपोर्ट पेश की। समिति ने विधेयक के सभी प्रावधानों पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि इसे बिना किसी संशोधन के पारित किया जाना चाहिए। विधेयक पर 39वीं रिपोर्ट (सत्रहवीं लोकसभा) शुक्रवार को लोकसभा में पेश की गई और राज्यसभा में भी रखी गई।

अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 15 मार्च को लोकसभा में पेश किया गया था और 24 अप्रैल को अध्यक्ष द्वारा इसे जांच और रिपोर्ट के लिए रक्षा संबंधी स्थायी समिति को भेजा गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, विधेयक के प्रस्ताव और उसके औचित्य को ध्यान में रखते हुए समिति… बिना किसी संशोधन के प्रस्तावित कानून को पूरी तरह से स्वीकार करती है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने संज्ञान लिया कि वर्तमान में भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों को उनके विशिष्ट सेना अधिनियम अर्थात सेना अधिनियम 1950, नौसेना अधिनियम 1957 और वायु सेना अधिनियम 1950 के उपबंधों के अनुसार शासित किया जाता है।

समिति ने इस ओर भी ध्यान दिया कि इस अधिनियम को लागू करने के समय अधिकांश सेना संगठनों में बड़े पैमाने पर थलसेना, नौसेना एवं वायुसेना के कर्मी शामिल थे। वर्तमान में अंडमान निकोबार कमान, सामरिक बल कमान, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी जैसे कई अंतर सेना संगठन, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी तथा राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय जैसे संयुक्त प्रशिक्षण संस्थान हैं, जहां सशस्त्र बलों और अन्य बलों के कर्मी एक साथ काम करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तथ्य के बावजूद कई अंतर सेवा संगठन पूर्ण रूप से प्रचलन में है, फिर भी अंतर सेवा संगठन के कमांडर इन चीफ या ऑफिसर इन कमांड को अब तक अन्य सेनाओं से संबंधित कार्मिकों के अनुशासनात्मक या प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है।

रिपोर्ट के अनुसार, वास्तविकता यह है कि केवल संबंधित सेनाओं के अधिकारियों को ही सेना अधिनियम के अधीन ही सेना कार्मिकों पर अनुशासनात्मक शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार है। इस प्रकार इन संगठनों में सेवारत कार्मिकों पर किसी भी प्रकार की अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई के लिए उनकी मूल सेना इकाइयों में वापस भेजना जरूरी होता है।

रिपोर्ट के अनुसार समिति को यह बताया गया कि रक्षा मंत्रालय को अंतर सेवा संगठन प्रतिष्ठानों में तैनात सेना कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक कार्रवाई संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों का मूल कारण है कि ऐसे संगठनों में सेवारत कर्मियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उनकी मूल सेना इकाइयों में वापस भेजना अपेक्षित होता है।

इसमें कहा गया है कि इसमें दोषी कर्मियों के साथ-साथ मामले से संबद्ध गवाहों को भी उनसे संबंधित कमान या मुख्यालयों में वापस भेजा जाना शामिल है। इसके अनुसार इस प्रक्रिया के लिए विभिन्न सेना मुख्यालय द्वारा प्राधिकरण या कार्रवाई की आवश्यकता होती है जिसके कारण मामलों का अंतिम रूप से निस्तारण करने में विलंब होता है।

इसमें कहा गया है कि समिति को शत प्रतिशत विश्वास है कि विधेयक के अमल में आने के अनेक लाभ होंगे जिसमें प्रभावी अनुशासन एवं कार्य दक्षता बनाए रखना, कर्मियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत उनकी मूल सेना इकाइयों में वापस भेजने की व्यवस्था समाप्ता करना, कदाचार से निपटन, समय की बचत आदि शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, समिति प्रस्तावित कानून से पूरी तरह से सहमत है।

इसमें कहा गया है, समिति विधेयक के उपबंधों से सहमत होते हुए स्पष्ट रूप से यह सिफारिश करती है कि विधेयक को बिना किसी संशोधन के पारित किया जाए और समिति की टिप्पणियों या सिफारिशों पर विचार किया जाए। समिति के सदस्यों को आगामी मानसून सत्र के पहले सप्ताह के आखिरी दिन तक अपनी रिपोर्ट संसद में पेश करने का आदेश दिया गया है। सत्र 20 जुलाई को शुरू हुआ है और 11 अगस्त को समाप्त होने वाला है।

इसमें कहा गया है कि सेवा कर्मी जब किसी अंतर-सेवा संगठन में सेवारत हों या उससे जुड़े हों तो वे अपने संबंधित सेवा अधिनियमों द्वारा शासित होते रहेंगे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि समिति की जांच रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई संक्षिप्त जानकारी, 29 मई को आयोजित मंत्रालय के प्रतिनिधियों की मौखिक परीक्षा और समिति द्वारा मांगे गए साक्ष्य के बाद के जवाबों पर आधारित है।

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