Golf:झज्जर की 22 साल की गोल्फर दीक्षा ने जीता दूसरा लेडीज यूरोपीय टूर खिताब, पिछली बार चौथे स्थान पर रहीं थी – Golf: Jhajjar’s 22-year-old Golfer Diksha Won The Second Ladies European Tour Title, Finished 4th Last Year
दीक्षा
– फोटो : सोशल मीडिया
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हरियाणा में झज्जर की रहने वालीं प्रतिभाशाली गोल्फर दीक्षा डागर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना दूसरा लेडीज यूरोपीय टूर खिताब जीत लिया। उन्होंने टिपस्पोर्ट चेक लेडीज ओपन में चार शॉट की जीत के साथ खिताब अपने नाम किया। बाइस साल की बाएं हाथ से खेलने वाली दीक्षा ने इससे पहले 2019 में एलईटी खिताब जीता था।
इसके अलावा लंदन में वह अरेमैको टीम सीरीज में विजयी टीम का हिस्सा थी। अब तक वह दो व्यक्तिगत खिताब के अलावा नौ बार शीर्ष दस में फिनिश कर चुकी हैं। इनमें में चार तो बार इस सीजन में ऐसा किया है। रविवार को उन्होंने दिन की शुरुआत पांच शॉट की बढ़त के साथ की। अंतिम राउंड में उन्होंने 69 का स्कोर किया और हफ्ते में सिर्फ एक बार ही बोगी लगी।
उन्होंने केवल पहले और अंतिम शॉट ड्रॉप किया। दीक्षा की थाईलैंड की ट्रिचेट से टक्कर थी लेकिन उन्होंने अंतिम दिन नाइन शॉट से शुरुआत की थी। रविवार को दीक्षा शानदार लय में थीं। ट्रिचेट दूसरे स्थान पर रहीं जबकि फ्रांस की सेलिन हर्बिन को तीसरा स्थान मिला। रॉयल बिरोन क्लब में इस हफ्ते हवाओं के बीच भी अच्छा प्रदर्शन किया। वह 2021 में यहां संयुक्त चौथे स्थान पर रहीं थी।
अदिति के बाद टूर जीतने वालीं देश की दूसरी बेटी
दीक्षा भारत की दूसरी महिला गोल्फर हैं जिन्होंने एलईटी टूर पर खिताब जीता है। इससे पहले अदिति अशोक ने 2016 में इंडियन ओपन जीता था। यहीं नहीं दीक्षा इस साल जीतने वालीं दूसरी भारतीय हैं। इस सीजन में अदिति ने मेजिकल केेन्या लेडीज खिताब जीता था। दीक्षा ने पहला खिताब मार्च 2019 में दक्षिण अफ्रीकी ओपन के रूप में जीता था और अब चार साल, तीन महीने और 11 दिन बार दूसरी खिताबी सफलता हासिल की है।
इस सीजन में दीक्षा का प्रदर्शन
दीक्षा ने इस साल बेल्जियन लेडीज में संयुक्त रूप से छठा स्थान हासिल किया। वह हेलसिनबोर्ग लेडीज ओपन में संयुक्त आठवें और एमुंडी जर्मन मास्टर में पिछले हफ्ते संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहीं।
डेफलंपिक में भी जीत चुकी हैं स्वर्ण सहित दो पदक
दीक्षा दो बार डेफलंपिक (बधिरों के लिए ओलंपिक) में दो बार पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने 2017 में रजत पदक और 2021 में स्वर्ण पदक हासिल किया था। उसके बाद उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भाग लिया और ऐसी पहली गोल्फर बनीं जिसने डेफ ओलंपिक और मुख्य ओलंपिक दोनों जगह हिस्सा लिया। इसके अलावा उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में भी हिस्सा लिया था।
सुनने में दिक्कत के बावजूद चुनौतियों से पार पाया
दीक्षा को बचपन से ही सुनने में दिक्कत है। वह छह साल की उम्र से ही मशीन की मदद से सुनती रही है। परिवार की मदद से उन्होंने अपनी तमाम चुनौतियों को पार करते हुए गोल्फ में सफलता हासिल की। उनके पिता कर्नल नरिंदर डागर ही उनके मार्गदर्शक, कोच और कैडी रहे हैं।