बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार को विपक्षी दलों की अहम बैठक हुई। इसमें विरोधी दलों के नेता मल्लिकार्जुन खरगे से लेकर ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार और अखिलेश यादव समेत तमाम दिग्गज नेता शामिल हुए। इस बैठक का मुख्य एजेंडा 2024 के आम चुनाव में एकजुट होकर भाजपा को हराना है। इस बैठक से पहले सुगबुगाहट है कि विपक्ष 450 सीटों पर साझा उम्मीदवार उताकर भाजपा को चुनौती देगी। हालांकि इसमें सबसे बड़ा पेंच यह है कि सीटों का बंटवारा कैसे किया जाएगा। कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। क्या कांग्रेस पार्टी कम सीटों पर समझौता करेगी।
कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस की जीत के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक प्रस्ताव दिया था। ममता ने आगामी लोकसभा चुनाव की मद्देनजर रखते हुए साफ कहा था कि, हम उन राज्यों में कांग्रेस का समर्थन करेंगे जहां पर उसकी जड़ें मजबूत हैं। इसके बदले में कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों को उनके गढ़ में समर्थन देना चाहिए। इसके अलावा ममता ने पारस्परिक गठबंधन की शर्त भी रखी।
ममता ने यह तक कहा था कि, ऐसा नहीं हो कि किसी राज्य में हम कांग्रेस को समर्थन करे और दूसरे राज्य में कांग्रेस हमारे खिलाफ लड़ाई लड़े। अगर कांग्रेस कुछ अच्छा हासिल करना चाहती हैं तो उसे कुछ क्षेत्रों में त्याग करना पड़ेगा। ममता ने अन्य राज्यों और पार्टियों के को लेकर भी प्रपोजल दिया है। ममता पश्चिम बंगाल में भाजपा को कमजोर करने के लिए बिना शर्त समर्थन हासिल करना चाहती हैं। साथ ही वह कहती हैं कि सपा में अखिलेश यादव की सपा मजबूत है। इसलिए हमें यूपी में सपा का समर्थन करना चाहिए।
ममता समेत अन्य क्षेत्राीय दलों का का प्रपोजल उन सीटों से है जिन पर 2019 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और जिन पर वह भाजपा के मुकाबले दूसरे नंबर पर थी। आज कांग्रेस राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात सहित देश भर की लगभग 200 लोकसभा सीटों पर मजबूत है। इन 200 लोकसभा सीटों में से 91 सिर्फ राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में हैं। अगर विपक्षी एकता दल ममता के इस फार्मूले पर राजी होते है तो कांग्रेस को 230 सीटों से जयादा सीटे मिलना मुश्किल है। वह भी ये सीटें हैं, जिन पर 2019 में कांग्रेस ने या तो जीत दर्ज की थी या वो भाजपा के मुकाबले दूसरे नंबर पर रही। जबकि 34 सीटें ऐसी हैं जहां पर क्षेत्रीय पार्टियों के मुकाबले कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही।
राज्यों में इस रणनीति पर काम कर रही कांग्रेस
अमर उजाला से चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार संजीव आचार्य कहते है कि, अभी सोचने वाली बात यह है कि ममता बनर्जी इस विपक्षी एकता के मंच को लेकर कितनी गंभीर है। क्योंकि वह कभी तो कांग्रेस पार्टी के लिए प्यार दिखाती है तो कभी उनका रवैया बिल्कुल बदल जाता है। ममता अगर अपना रुख साफ करे तो कांग्रेस भी हाथ आगे बढ़ाने से नहीं हिचकिचाएंगी। हालांकि कांग्रेस भी इस दुविधा में है कि अगर ममता के फार्मूले को वह मनाती है तो फिर पार्टी का पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में उसका सफाया हो जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार आचार्य का कहना है कि, ममता बनर्जी इस तरह की शर्ते बहुत ही सोच समझकर रखती है। वे हमेशा से अपनी पार्टी के लिए दोनों तरफ के रास्ते खुले रखना चाहती है। आज अगर भाजपा विरोधी दलों को एक मंच पर आना है तो उन्हें सबसे पहले शर्तें छोड़नी पड़ेगी। कांग्रेस के लिए आज की स्थिति अपने अस्तित्व बचाने की है। क्योंकि कांग्रेस भी यह जानती है कि 2024 में कोई खास परिवर्तन नहीं हो जा रहा है। इसलिए कांग्रेस पार्टी प्रदेशों में अपनी स्थिति मजबूत करने और सत्ता हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है। क्योंकि कांग्रेस भी यह जानती है कि, प्रदेशों में उसे सबसे ज्यादा नुकसान क्षेत्रीय दलों ने पहुंचाया है। जो पहले कांग्रेस का वोट बैंक था वह आज क्षेत्रीय दलों में शिफ्ट हो गया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें देना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
ममता का फार्मूला माना तो इन राज्यों से बाहर होगी कांग्रेस
वरिष्ठ पत्रकार संजीव आचार्य बताते है कि, पश्चिम बंगाल में 42 सीटे हैं। पिछला चुनाव कांग्रेस और वाम दल मिलकर लड़े थे। लेकिन दो ही सीटों पर पार्टी को जीत मिली थी। अगर ममता का फार्मूला यह लागू करे तो कांग्रेस को केवल दो ही सीट मिलेगी। इसी तरह यूपी में 80 सीटे है। 2019 के चुनाव में जीत सिर्फ सोनिया गांधी की रायबरेली सीट पर मिली थी। बाकि आधा दर्जन सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर थी। इस हिसाब 2024 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 7 ही सीटें मिलेगी।
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। अभी प्रदेश में जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडी की गठबंधन सरकार है। पार्टी ने 2019 में 9 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन एक पर ही जीत मिली। जबकि 4 सीटों पर दूसरे नंबर रही। अगर ममता का बनर्जी का फार्मूला यहां भी लागू करते पार्टी को सिर्फ 5 सीटें ही मिलेगी। ऐसे में कांग्रेस प्रमुख राज्यों से यूही बाहर हो जाएगी। अगर कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के लिए ज्यादा कुर्बानी देगी तो वह पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
राहुल बोले:हम सब मिलकर भाजपा को हरा रहे
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पवार, उद्धव ठाकरे शुक्रवार सुबह पटना पहुंचे। राहुल और खड़गे एअरपोर्ट से सीधे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे। यहां राहुल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर भाजपा को हराएंगे। देश में दो विचारधारा की लड़ाई चल रही है। एक तरफ कांग्रेस की भारत जोड़ो विचारधारा है तो दूसरी ओर भाजपा-आरएसएस की भारत तोड़ो।