अपने संवादों के कारण विवादों में घिरी फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) ने शुरुआती तीन दिनों में ही 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर ली है। लोगों के आक्रोश को देखते हुए फिल्म के विवादित संवादों को हटाने की घोषणा कर दी गई है, लेकिन इसके बाद भी लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। सिनेमा हॉल से निकल रहे दर्शक बता रहे हैं कि फिल्म में उनके आराध्य देवताओं को कमजोर और हास्यास्पद तरीके से दिखाया गया है, जिसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। अहम सवाल है कि सुपर हिट फिल्म बाहुबली में शानदार डॉयलॉग से फिल्म में जान फूंकने वाले मनोज मुंतशिर से आदिपुरुष में यह गलती क्यों हो गई? क्या इस विवाद से बचा जा सकता था?
आदिपुरुष फिल्म देखकर निकले गौरव सिंघल ने अमर उजाला से कहा कि भगवान राम पर आधारित होने के कारण वे पूरे परिवार के साथ फिल्म देखने आए थे, लेकिन उन्हें यह देखकर भारी निराशा हुई कि फिल्म में पूरी कहानी के साथ भारी छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने कहा कि फिल्म में भगवान राम के सामने माता सीता का अपहरण होता है और वे कुछ नहीं कर पाते। पहली बात तो यह कि यहां असली कहानी के साथ भारी गड़बड़ी की गई।
दूसरी बात यदि रचनात्मक स्वतंत्रता में यह करने की छूट ली भी गई थी तो उसमें भगवान राम को असहाय क्यों दिखाया गया? हर विद्या में निपुण और राक्षसों-दैत्यों का पल भर में विनाश करने वाले राम इतने असहाय कैसे हो सकते हैं कि उनके सामने उनकी पत्नी का अपहरण हो और वे कुछ न कर पाएं? क्या राम का ऐसा चित्रण सही कहा जा सकता है?
उन्होंने कहा कि हनुमान को अशोक वाटिका में बिना किसी विरोध-प्रतिरोध के मेघनाद सीधे बांध लेता है, क्या यह महाबली हनुमान के चरित्र के साथ न्याय है? इसे देखकर बच्चे क्या सीखेंगे कि राम और हनुमान इतने कमजोर थे कि वे राक्षसों के सामने कुछ नहीं कर पाए? उन्होंने पूछा कि क्या यह हमारे आराध्य राम और हनुमान को कमजोर करके दिखाने की कोशिश नहीं है? इसके माध्यम से फ़िल्म निर्माता क्या संदेश देना चाहते हैं?
‘असलियत दिखाने के नाम पर क्या गाली भी दिलवाएंगे’
एक दर्शक डॉ. रीना गुप्ता ने कहा कि आजकल असलियत के नाम पर ओटीटी पर प्रसारित हो रही फिल्मों-वेब सीरीज में पात्रों से खूब गाली दिलवाई जा रही है। यह कहकर इसका बचाव किया जाता है कि समाज में लोग एक-दूसरे को गाली देते हैं और फिल्म में उसी का चित्रण किया गया है। फिल्म आदिपुरुष के विवादित डॉयलॉग को भी लोगों की बोलचाल की भाषा में पेश करने के नाम पर ही सही ठहराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्या असलियत के नाम पर कोई फिल्मकार राम-रावण युद्ध के दौरान रामायण के पात्रों से गाली भी दिलवाएगा और उसे समाज में बोली जाने वाली भाषा के नाम पर उसे सही ठहराया जाएगा?
डॉ. रीना गुप्ता ने कहा कि भगवान राम, माता सीता और महाबली हनुमान सामान्य व्यक्ति नहीं थे और उनके कार्य भी सामान्य लोगों के समान नहीं हो सकते। वे अद्भुत और विशिष्ट थे और इसी कारण वे हमारे आराध्य हुए। ऐसे में ऐसे पात्रों के चित्रण में इन संवेदनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए।
बाहुबली से प्रभावित है राम का किरदार
कई दर्शकों का मानना है कि जिस तरह महाभारत के कथानक में कुछ फेरबदल कर उसे फिल्म ‘बाहुबली’ के रूप में पेश किया गया और जनता ने उसे बहुत पसंद किया, उसी तरह रामायण को भी कुछ परिवर्तन कर आदिपुरुष के रूप में पेश किया गया है। लेकिन बाहुबली में फिल्म निर्माताओं ने सभी पात्रों और घटनास्थलों के नाम बदल दिए, जिससे दर्शकों ने उसे महाभारत के पौराणिक कथानक के रूप में नहीं देखा।
लेकिन आदिपुरुष में सभी पात्रों और घटनास्थलों के नाम रामायण से लिए गए हैं। जिनके नाम बदले भी गए (जैसे राम को राघव या सीता को जानकी कहना), उनमें भी उन्हीं पात्रों के नामों की झलक दिखाई पड़ती है। यही कारण है कि पूरी फिल्म को रामायण मानकर देखा गया और ऐसे में आराध्य देवताओं के मुख से निकले संवादों से लोगों को परेशानी हुई। यदि पात्रों-घटनास्थलों के नाम बदलकर नए रूप में कहानी को पेश किया गया होता तो संभवतः किसी को कोई परेशानी न होती।
बाहुबली से बाहर नहीं निकल पाए प्रभास- मनोज शुक्ला
आदिपुरुष फिल्म के कई दर्शकों का मानना है कि आदिपुरुष टीम के पात्र प्रभास कई बार डॉयलॉग बोलते समय बाहुबली वाले अंदाज में दिखाई पड़ते हैं। रावण के किले को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए जिस अस्त्र को दिखाया गया है, उसका भी पहले बाहुबली में ही इस्तेमाल हुआ था। इससे लोगों को आदिपुरुष की टीम से नाराजगी हुई।
लाभ के लिए होते हैं विवाद
फिल्म देखने आए धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि आदिपुरुष देखने की जगह वे घर पर बच्चों के साथ बैठकर कार्टून देख लेते तो अच्छा होता। उन्होंने कहा कि रामायण को कार्टून की तरह पेश करके न कार्टून बनाया गया, न ही रामायण रहने दिया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह के विवाद खड़ा कर फिल्म को प्रचार में लाने का हथकंडा बॉलीवुड में लंबे समय से उपयोग में लाया जा रहा है। संभवतः इस फिल्म में विवाद खड़ा कर चर्चा में आने के लिए ही कुछ विवादित डॉयलॉग डाल दिए गए हों तो उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
लोगों की भावनाओं का रखें ध्यान- अनूप जलोटा
प्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा ने अमर उजाला से कहा कि नई-नई तकनीक आने से निर्माता-निर्देशकों को अपनी बात कहने के लिए ज्यादा सक्षम तरीके उपलब्ध हो रहे हैं। यह अच्छी बात है कि नई तकनीक के साथ एतिहासिक-धार्मिक महाकाव्यों और पौराणिक आदर्श महापुरुषों को लोगों के सामने पेश किया जाए। इससे हमारी संस्कृति की बात नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा कि लेकिन ऐसा करते हुए यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि जिन विषयों के साथ करोड़ों लोगों की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं, उसे पेश करते समय लोगों की भावनाओं का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। इस तरह के विवाद खड़े होने से कटुता बढ़ती है जिससे बचना ही श्रेयस्कर होता है। उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि आदिपुरुष की टीम ने अपनी गलती सुधारते हुए डॉयलॉग में परिवर्तन कर दिया है।
तकनीक का बेहद गलत इस्तेमाल हुआ- अशोक धींगरा
चित्रमंदिर फिल्म्स के निर्माता-निर्देशक अशोक धींगरा ने कहा कि आदिपुरुष की टीम ने तकनीक का बेहद गलत इस्तेमाल किया। तकनीक का इस्तेमाल अपने कथानक को लोगों तक ज्यादा संवेदनशीलता के साथ पेश करने के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन आदिपुरुष ने नाटकीयता और तकनीक को इतना ज्यादा फूहड़ तरीके से पेश कर दिया कि इससे लोगों की भावनाएं आहत हो गईं। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि फिल्म टीम ने अपनी गलती सुधारने की कोशिश की है, लेकिन यह गलती न हुई होती तो ज्यादा अच्छा होता।
अशोक धींगरा ने कहा कि प्रसिद्ध निर्देशक गोविंद निहलानी ने एक बार कहा था कि ‘पहले फिल्मकार तकनीक से पूछते थे कि तुम हमारे लिए क्या कर सकते हो, लेकिन अब तकनीक फिल्मकारों से पूछती है कि तुम्हें क्या चाहिए?’ इस बदलती परिस्थिति में असली विषयवस्तु को दिखाने से ज्यादा फिल्मकारों का जोर तकनीक दिखाने में हो जाता है, जो समस्या की असली जड़ है। इससे बचकर ही इस तरह की समस्याओं से बचा जा सकता है।