गुलशन कुमार मेहता हिंदी सिनेमा के ऐसे गीतकार थे, जो अपने गीतों में भावनाएं व्यक्त करते थे और अपने भावपूर्ण गीतों से कई श्रोताओं का मन मोह लेते थे। गुलशन कुमार को ‘गुलशन बावरा’ के नाम से जाना जाता था। उन्होंने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक कई सुपरहिट गाने दिए, जिन्होंने कई लोगों के दिल को छुआ। आज गुलशन का जन्मदिवस है। चलिए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें…
गुलशन कुमार मेहता का जन्म 12 अप्रैल 1937 को पाकिस्तान के लाहौर से 30 किलोमीटर दूर शेखपुरा नाम के गांव में हुआ था। उनके परिवार का निर्माण व्यवसाय था। विभाजन के दौरान हुए दंगों में गुलशन ने अपने माता-पिता और चचेरे भाई के पिता की हत्या देखी थी, जिसका दर्द ताउम्र उनके गीतों में देखने को मिला। छोटी उम्र में ही सिर से माता-पिता का साया उठने के बाद गुलशन और उनके भाई को उनकी बड़ी बहन ने पाला। गुलशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया, जहां कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने कविता लिखनी शुरू कर दी थी। कविताएं लिखने का शौक उन्हें बचपन से ही था।
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कॉलेज के दिनों से ही गुलशन अपना करियर फिल्म इंडस्ट्री में बनाना चाहते थे। दिल्ली में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह मुंबई आ गए और एक क्लर्क की नौकरी करने लगे। नौकरी करते हुए ही उन्होंने फिल्मों में अपने लिए काम ढूंढना शुरू कर दिया। एक बार कल्याणजी-आनंदजी ने गुलशन को ‘चंद्रसेना’ का एक गाना लिखने का मौका दिया। फिर क्या था, गुलशन ने इस मौके को बिना गंवाए ‘मैं क्या जानू, कहां लागे ये सावन मतवाला रे’ गाना लिखा और गीतकार के तौर पर अपनी पहचान बना ली।
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