Mehdi Hassan:इस वजह से बच्चे की तरह राजस्थान की मिट्टी में लोटने लगे थे मेहदी, लता जी को लेकर कही थी यह बात – Mehdi Hassan Birth Anniversary Know About His Personal And Career Here
गजल के बादशाह मेहदी हसन आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। मेहंदी हसन का जन्म 18 जुलाई, 1927 को हुआ था। उनका परिवार पहले से ही संगीत से तालुक रखता था। मेहदी हसन ने संगीत की तालीम अपने पिता उस्ताद आजिम खान और चाचा उस्ताद इस्माइल खान की देखरेख में ली थी। मगर हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बटवारे में उनका परिवार पाकिस्तान चला गया, जिसके बाद कराची जाकर उन्होंने वहां के रेडियो स्टेशन में काम किया।
मेहदी हमेशा पाकिस्तान में ही रहे, लेकिन उनके पुरखे भारत से संबंध रखते हैं। वे आज भी हिंदुस्तान की मिट्टी में दफन हैं। भले ही बटवारे के बाद से हिंदुस्तान के दो टुकड़े हो गए, लेकिन मेहदी हसन के चाहने वालों के दिल में उनके लिए कभी बंटवारा नहीं हुआ निधन से पहले जब उनकी तबियत खराब हुई थी तब दोनों मुल्कों में दुआ के लिए एकसाथ हाथ उठे थे।
मेहदी ने 13 जून 2012 को दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके नगमों में ऐसी ताकत थी, जो साबित करती है कि संगीत की कोई सरहद नहीं होती है। सन् 1978 में मेहदी हसन जब अपनी भारत यात्रा पर आए तो उस वक्त गजलों के एक कार्यक्रम के लिए वे सरकारी मेहमान बनकर जयपुर भी पहुंचे। यहां पहुंचकर उनकी एक ख्वाहिश को पूरा किया। वो ख्वाहिश थी एक बार उस जमीं का दीदार करने की जहां उनके पुरखे दफन थे। गजल गायक की इस आरजू का पूरा ख्याल रखा गया और उन्हें पैतृक गांव राजस्थान में झुंझुनू जिले के लूना ले जाया गया।
बताते हैं कि जब मेहदी हसन की गाड़ियों का काफिला उनके पैतृक गांव पहुंचा तो उन्होंने गाड़ी रुकवा दी।वो कार से उतरे, गांव में सड़क किनारे एक टीले पर छोटा-सा मंदिर बना था। उसके पास पड़ी रेत में लिपटकर यूं खेलने लगे जैसे बचपन लौट आया हो। कहते हैं मेहदी हसन का ये प्यार देखकर वहां खड़े हर शख्स की आंखें नम थीं, क्योंकि वक्त बीतने के बावजूद बंटवारे का दर्द लोग भूल नहीं पाए थे।