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Politics:जिसकी जितनी भागेदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की रणनीति पर चलेंगे विपक्षी दल? – Will The Opposition Parties Follow The Strategy Of Sharing As Much As They Have

Will the opposition parties follow the strategy of sharing as much as they have

Opposition leaders
– फोटो : Amar Ujala

विस्तार

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 12 जून को होने वाली बैठक में न पहुंच पाने की मजबूरी बताई थी क्योंकि राहुल गांधी देश से बाहर हैं। इसे ध्यान में रखते हुए अब यह बैठक 23 जून को पटना में हो रही है जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने आने की सहमति दे दी है। खरगे और राहुल गांधी की इस रणनीति ने जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका बढ़ा दी है, वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, तेलंगाना के के. चंद्रशेखर राव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने 23 जून की पटना में होने वाली बैठक को मजबूती देना शुरू कर दिया है। इसकी पहल जहां नीतीश कुमार ने की है वहीं विपक्षी दलों में मुख्य भूमिका और अगुवाई करने के लिए कांग्रेस तैयार है।

भाजपा मुख्यालय में 23 जून की बैठक का जिक्र आते ही कई वरिष्ठ नेता 12 जून की बैठक के रद्द होने का ताना मारते हैं लेकिन उनके भीतर 23 जून की बैठक को लेकर उत्सुकता भी है और कहीं न कहीं चिंता भी। खास तौर से तब जब इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी दोनों के शरीक होने की खबर है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी इस बैठक की अहमियत का पता है। जद(यू) के राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह पूरी टीम के साथ इसे सफल बनाने में जुट गए हैं। तेजस्वी यादव के करीबी और गुरुग्राम में रहने वाले सूत्र के मुताबिक पटना में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का तालमेल अब विरोधियों को हैरान कर रहा है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों का मकसद 23 जून की बैठक को सफल बनाना है।

क्या सिर्फ कांग्रेस के लिए टाली गई 12 जून की बैठक?

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक संजय वर्मा इस मामले में ज्यादा नहीं बोलना चाहते। बस इतना कहते हैं कि 12 जून की बैठक वाली गलती 23 जून को नहीं दोहराई जाएगी। दरअसल 12 जून की बैठक की सलाह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ से आई थी। ममता ने ही नीतीश कुमार को सलाह दी थी कि वह इसे पटना में करें। नीतीश कुमार तेजस्वी और राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के साथ 22 मई को दिल्ली आए थे। मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी  से भेंट और चर्चा हुई थी। चर्चा के दौरान नीतीश कुमार ने प्रस्ताव दिया था। सही मायने में यह कांग्रेस को नागवार गुजरा था। इसलिए 12 जून को पटना में प्रतिनिधि भेजने की नौबत आई। यह नीतीश कुमार और तेजस्वी दोनों के लिए झटका सा था। अंत में कांग्रेस के नेताओं ने आपसी तालमेल से 23 जून को बैठक पर सहमति का पत्र भेज दिया। अब जद(यू), राजद, कांग्रेस समेत सभी दलों को उम्मीद है कि पटना में बड़ा जमघट होगा। इस बैठक में एक रणनीतिक रूपरेखा पर सहमति बन जाने के आसार हैं।





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