पूर्वी-मध्य और दक्षिण-पूर्वी अरब सागर पर बना चक्रवाती तूफान बिपरजॉय उत्तर की ओर बढ़ रहा है, जो कुछ घंटो में एक भीषण तूफान बन जाएगा। भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि अगले 24 घंटों में क्षेत्र में एक और भयंकर चक्रवाती तूफान की आशंका है। बिपरजॉय सुबह दो बजे गोवा से करीब 900 किमी पश्चिम-दक्षिण पश्चिम, मुंबई से 1020 किमी दक्षिण-पश्चिम, पोरबंदर से करीब 1090 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम और कराची से 1380 किमी दक्षिण की ओर से दूर था। भीषण तूफान करीब तीन घंटे तक अरब सागर पर रहेगा। बता दें, अरब सागर पर आने वाले तूफान का नाम बिपरजॉय है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, तूफान का नाम इस बार बांग्लादेश ने रखा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने 2020 में इस नाम को स्वीकार किया था।
तूफान के कारण केरल में मानसून के दस्तक पर पड़ेगा असर
केरल में इस साल मानसून की शुरुआत में पहले ही देर हो चुकी है। मौसम विभाग ने सोमवार को कहा था कि तूफान के कारण केरल में मानसून के दस्तक पर असर पड़ सकता है। हालांकि, निजी मौसम एजेंसी ने आठ-नौ जून तक केरल में मानसून के दस्तक देने की संभावना है। हालांकि मानसून काफी हल्का होगा। स्काईमेट ने इससे पहले सात जून (तीन दिन आगे-पीछे) को केरल में मानसून के दस्तक की संभावना जताई थी। मौसम विभाग ने मई के मध्य में बताया था कि चार जून तक मानसून केरल में दस्तक दे सकता है। हालांकि मानसून अकसर एक जून (सात दिन आगे-पीछे) को केरल में प्रवेश कर जाता था।
तेज हवाओं का अलर्ट
तूफान के कारण सात जून की शाम से पूर्वी मध्य अरब सागर पर 70-80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच सकती हैं। वहीं पश्चिमी-मध्य और दक्षिण-पूर्वी अरब सागर पर 105-115 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं 125 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं की गति 60 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। विभाग का कहना है कि हवाओं की गति चार दिनों तक इसी तरह रहने के अनुमान हैं।
बारिश के औसत आंकड़े को भी प्रभावित नहीं करेगा लेट मानसून
बिपरजॉय के कारण लक्षद्वीप, केरल और कर्नाटक के तटीय इलाकों में लगातार दो दिनों की बारिश जरूरी है। हालांकि, मौसम विभाग का कहना है कि मानसून के केरल में देरी से आने का मतलब यह नहीं है कि वह देश के अन्य हिस्सों में देरी से पहुंचेगा। यह देश में बारिश के औसत आंकड़े को भी प्रभावित नहीं करेगा।
जानिए, पिछले साल कब प्रवेश किया था दक्षिण-पूर्वी मानसून
- 2022- 29 मई
- 2021- 3 जून
- 2020- 1 जून
- 2019- 8 जून
- 2018- 29 मई
भारत के कृषि क्षेत्र के लिए बारिश अधिक महत्वपूर्ण
कुछ दिनों पहले, आईएमडी ने कहा था कि एल नीनो के कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून से भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर-पश्चिम मानसून में सामान्य से कम बारिश होने की संभावनाएं होती हैं। जबकि, पूर्व, उत्तर-पूर्व, मध्य और दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य बारिश होने की संभावना होती है। भारत के कृषि क्षेत्र में सामान्य बारिश अधिक महत्वपूर्ण है। खेती का 52 प्रतिशत क्षेत्र सामान्य क्षेत्र पर निर्भर करता है। इससे बिजली उत्पादन के साथ-साथ पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण है।
सामान्य से अधिक गर्मी रहने का जताया था अनुमान
उत्तर-पश्चिम और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों को छोड़कर, मौसम विभाग ने देश के अधिकांश क्षेत्रों में अप्रैल से जून तक अधिक तापमान की संभावना जताई थी। इस दौरान मध्य, पूर्व और उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक गर्मी रहने का अनुमान है।
अब, जानिए क्या होता है अल नीनो और ला नीना
बता दें, दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर में पानी के गर्म होने, मानसूनी हवाओं के कमजोर होने और भारत में कम वर्षा होने वाली स्थिति को अल नीनो कहा जाता है। दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर में पानी के ठंडे होने की विशेषता जो भारतीय मानसून का पक्ष लेती है, उसे ला नीना कहा जाता है।