केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में रिटायर्ड लोगों को ‘कंसलटेंट’ की जॉब खूब मिल रही है। कई जगहों पर तो ऐसा भी देखने को मिलता है कि रिटायरमेंट के दो तीन बाद ही नई जॉब यानी ‘कंसलटेंट’ का नियुक्ति पत्र मिल जाता है। इस जॉब के लिए अधिकतम आयु सीमा 62-65 वर्ष रखी गई है। इसका फायदा, दो लोगों को ही होता है। एक तो सरकार, जिसका खर्च बच जाता है, तो दूसरा रिटायर्ड व्यक्ति, जो पेंशन लेते हुए दोबारा से जॉब पा जाता है। हिंद मजदूर सभा के राष्ट्रीय महामंत्री कॉमरेड हरभजन सिंह सिद्धू कहते हैं, सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। कर्मचारियों के साथ लेबर की तरह एमओयू साइन कर लेती है। नियमित भर्ती न कर, अपना खर्च बचा रही है। जो युवा नौकरी के इंतजार में बैठे हैं, उनका भविष्य शुरू होने से पहले ही बर्बाद किया जा रहा है। ‘युवा हल्ला बोल’ के संयोजक अनुपम, जिन्होंने पिछले दिनों ‘संयुक्त युवा मोर्चे’ का गठन किया है, कहते हैं, सरकार पेंशन व दूसरे लाभ देने से बच रही है। नियमित जॉब न देकर एडवाइजर व कंसलटेंट भर्ती कर रही है। सरकार का यह कदम युवाओं पर कुठाराघात करने वाला है।
केंद्र सरकार के गृह, रक्षा, वित्त, कृषि, जल, परिवहन, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय व उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) सहित तकरीबन सभी मंत्रालयों/विभागों में कंसलटेंट नियुक्त कर रही है। इसी सप्ताह आयुष मंत्रालय में 18 पदों के लिए कंसलटेंट की जॉब निकली है। डोमेन एक्सपर्ट, लीगल कंसलटेंट व आईटी कंसलटेंट के पद भरे जाने हैं। ये नियुक्तियां एक वर्ष के लिए हैं। आवेदकों के लिए आयु सीमा 64 साल रखी गई है। आवश्यक शर्त, वे केंद्र सरकार के किसी भी मंत्रालय/विभाग से रिटायर्ड होने चाहिएं। सेक्शन अफसर, अंडर सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और इसी रैंक वाले किसी दूसरे पद से रिटायर हुए लोग इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। राज्य सरकार या भारत सरकार के स्वायत्तशासी निकाय से सेवानिवृत्त व्यक्ति भी आवेदन दे सकता है। सचिवालय प्रशिक्षण तथा प्रबंधन संस्थान में भी कंसलटेंट की जॉब निकली है। जो लोग मई में रिटायर हो रहे हैं, वे भी फार्म भर सकते हैं। आयु सीमा 62 रखी गई है। पीआईबी में भी सीनियर फाइनेंस कंसलटेंट का पद विज्ञापित किया गया है। सेंट्रल वाटर कमीशन में 15 पद एसओ/एएसओ लेवल के और 25 पद पीएस/पीए स्तर पर भरे जाएंगे। इनके लिए आवेदक को पीएस या सेक्शन अफसर के पद से रिटायर होना चाहिए। जॉब के लिए 65 वर्ष आयु सीमा रखी गई है। पावर मंत्रालय, एनसीएसके, स्टाफ सिलेक्शन कमीशन, ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन और कॉमर्स मंत्रालय सहित कई दूसरे मंत्रालयों व विभागों में भी कंसलटेंट की जॉब निकली है।
सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है
हिंद मजदूर सभा के राष्ट्रीय महामंत्री कॉमरेड हरभजन सिंह सिद्दू ने कहा, सरकार की नीयत में खोट है। जानबूझ कर नियमित भर्ती नहीं कर रही। कई वर्षों से नियमित भर्ती से कदम पीछे खींचे जा रहे हैं। ऐसे लोगों की निष्ठा, संगठन के प्रति न होकर उस व्यक्ति के प्रति होती है, जिसने उन्हें कंसलटेंट भर्ती किया है। केंद्र सरकार में लाखों पद खाली पड़े हैं। उन्हें भरा नहीं जा रहा। सरकार को वर्कलोड के मुताबिक स्थायी नियुक्ति करनी चाहिए। सरकार बजट बढ़ने का बहाना बनाकर नियमित नौकरियों पर कैंची चला रही है। ‘युवा हल्ला बोल’ के संयोजक अनुपम ने बताया, कंसलटेंट की जॉब, नियमित नौकरी में कटौती का एक ताजा उदाहरण है। सरकार, समय पर भर्ती करने में असफल रही है। इसके बाद बजट कम होने की बात कह देती है। कॉरपोरेट सेक्टर पर बकाया 11 लाख करोड़ रुपये छोड़ दिए जाते हैं। इसका तो आम आदमी को कोई लाभ नहीं होता। सरकार यही पैसा युवाओं को नौकरी देने में लगा सकती थी। अब कंसलटेंट की आड़ में पेंशन व दूसरे लाभ देने से सरकार बच रही है। एडवाइजर या कंसलटेंट लगने के लिए सरकारी कर्मचारी, चापलूसी व प्रलोभन का काम करने लगते हैं। उन्हें कंसलटेंट लगने से पहले भी बॉस को खुश रखना है और बाद में तो रखना ही है। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलाकर करीब एक करोड़ स्वीकृत पद रिक्त हैं। सरकार का इस ओर ध्यान ही नहीं है।
ये सरकार की बहुत खराब प्रक्रिया है
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार ने कंसलटेंट की नियुक्ति को बहुत खराब प्रक्रिया बताया है। इसमें कंसलटेंट को उतना वेतन दिया जाता है, जो सरकारी कर्मी को जारी अंतिम वेतन के पचास प्रतिशत से ज्यादा नहीं होता। रिटायरमेंट के बाद दोबारा से नियुक्ति लेने वालों का भाव, विभाग के प्रति नहीं रहता है। पोस्ट रिटायरमेंट जॉब लेने के लिए काफी समय पहले से ही प्रयास शुरू हो जाते हैं। अगर बॉस खुश रहे तो तीन चार वर्ष तक नौकरी हो जाती है। केंद्र सरकार के एक अधिकारी बताते हैं कि जब किसी विभाग में कंसलटेंट लगाए जाते हैं, तो वहां पर वैकेंसी रिपोर्ट नहीं की जाती। अगर वे ऐसा करते हैं तो उनसे पूछा जाएगा कि कंसलटेंट को क्यों रखा गया है। उस वक्त कंसलटेंट का पद रिक्त माना जाएगा। ये जानकारी सभी को होती है कि किस विभाग में कौन व्यक्ति, कब रिटायर होगा। उससे पहले ही भर्ती प्रक्रिया शुरु होनी चाहिए, ताकि संबंधित व्यक्ति के रिटायर होने के बाद वह पद दोबारा से स्थायी तौर पर भरा जा सके। हालांकि व्यवहार में ऐसा नहीं होता है। तकनीकी पदों तो कंसलटेंट की भर्ती समझ आती है। वह भी उस वक्त, जब उसके स्पेशलाइजेशन का कोई विकल्प न हो। वह पद सृजित नहीं हो सका हो। ऐसे में जीएफआर के नियम, कंसलटेंट भर्ती की इजाजत देते हैं।
खुली प्रतियोगिता का अभाव रहता है
केंद्रीय विभागों में जो कंसलटेंट भर्ती किए जा रहे हैं, वे खुली प्रतियोगिता से नहीं आते। अधिकांश विभागों में वही लोग दोबारा से नियुक्त हो जाते हैं, जो वहां से रिटायर हुए हैं। इन पदों को नियमित भर्ती के जरिए भरा जाना चाहिए। केंद्र सरकार में अंडर सेक्रेटरी स्तर के एक अधिकारी का कहना है, सरकार, नियमित पोस्ट क्यों नहीं ला रही है। सरकार तो कंसलटेंट रखकर अपना बजट बचा लेती है, लेकिन उसका नुकसान कई स्तर पर होता है। तीन चार साल तक कंसलटेंट ही रहेगा तो नए कर्मी को उस पद का अनुभव कब प्राप्त होगा। सरकार एक ही बार में सैंकड़ों वैकेंसी ले आएगी। इससे जो लोग पहले से काम रहे हैं, उनके लिए पदोन्नति का संकट खड़ा होगा। ऐसे में बेहतर है कि जो पद खाली हो, उसे तुरंत नियमित भर्ती के जरिए भर दिया जाए। इसके लिए वित्त मंत्रालय आदि से जो मंजूरी चाहिए, वह पहले ही ले ली जाए। कई विभागों में वैकेंसी पड़ी रहती हैं, लेकिन वहां पदोन्नति नहीं दी जाती। कम से कम एडहॉक पदोन्नति ही दे दें। अगर किसी विभाग में औसतन सौ रिक्त पद होते हैं तो वहां 20 फीसदी पदों को कंसलटेंट से भर लेते हैं। ये गलत प्रक्रिया है। ऐसी व्यवस्था हो कि एक कर्मी रिटायर हो तो कुछ ही दिन में दूसरा कर्मी ट्रेनिंग कर उस पद को संभाल ले।
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कंसलटेंट नियुक्ति से यह खर्च बच जाता है
केंद्र सरकार में 65 वर्ष की आयु वाले रिटायर्ड लोगों को नौकरियां मिल रही हैं। इससे सरकार अपना खर्च बचा रही है। लिखित परीक्षा, शारीरिक परीक्षा या मेडिकल, इन सबकी जरूरत भी नहीं पड़ती। एक माह में डेढ़ छुट्टी मिलती है। महंगाई भत्ते आदि नहीं दिए जाते। नौकरी के लिए लंबा इंतजार भी नहीं करना पड़ता। महज एक सप्ताह से लेकर तीस दिन के भीतर नियुक्ति पत्र मिल जाता है। विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों से सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों और कर्मियों को अनुबंध आधार पर नौकरी मिल जाती है। रिक्त पदों में निदेशक, सलाहकार और निजी सहायक से लेकर दूसरे कई तरह के तकनीकी एवं गैर तकनीकी पद शामिल हैं। सेवा विस्तार, परफॉरमेंस पर निर्भर करता है। टीए-डीए केवल दफ्तर के कार्य के लिए प्रदान किया जाएगा। नो वर्क, नो पे का नियम लागू होता है। अनुबंध नियुक्ति वाले व्यक्ति को महंगाई भत्ता, एचआरए, पीएफ, पेंशन, बीमा, मेडिकल अटेंडेंस ट्रीटमेंट और वरिष्ठता आदि लाभ नहीं मिलते। जॉब का समय सुबह नौ बजे से लेकर शाम साढ़े पांच बजे तक होगा। अतिरिक्त कार्य का पैसा नहीं मिलेगा। जॉब के दौरान गोपनीयता बनाए रखनी होगी। इन सबके बावजूद, प्राधिकृत अथॉरिटी द्वारा उस व्यक्ति को कभी भी पंद्रह-बीस दिन का नोटिस देकर नौकरी से हटाया जा सकता है।