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Majrooh Sultanpuri:इस गाने की वजह से जेल में बिताने पड़े थे मजरूह दो साल, शो मैन से मदद लेने से किया था इनकार – Majrooh Sultanpuri Death Anniversary Famous Indian Urdu Poet And Lyricist Was Jailed For Two Years Read Here

फिल्म इंटस्ट्री में मजरूह सुल्तानपुरी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उनका असली नाम असरार उल हसन खान था। मजरूह गीतकार और शायर के तौर जाने जाते हैं। उनका परिवार राजपूत से इस्लाम धर्म अपना चुका था, लेकिन हिंदू परंपराएं नहीं छोड़ी थीं। राजपूतों के परिवार में जन्मे की वजह से मजरूह काफी आक्रमक स्वाभाव के थे। अपने आक्रमक स्वाभाव के कारण उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को भी एक बार चुनौती दे दी थी, जिसकी वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। 



जेल दो साल बिताने के बाद भी उनके स्वभाव में कोई अंतर नहीं आया। मजरूह को बचपन से ही शेरो-शायरी का शौक था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक हकीम के रूप में की थी। यूनानी पद्धति की चिकित्सा की परीक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने सुल्तानपुर शहर के पलटन बाजार मोहल्ले में डिस्पेंसरी खोली थी। इसके अलावा वह मुशायरों में भी जाते थे। फिर इसके बाद उन्होंने साहित्य को अपने उन्हें जीवन में अपनाना लिया था। इस बीच उनकी मुलाकात मशहूर शायर जिगर मुरादाबादी से हुई। 

 


नौशाद फिल्मी दुनिया में एक अलग पहचान बना चुके थे। नौशाद ने मजरूह को एक धुन पर एक गीत लिखने को कहा। मजरूह ने उस धुन पर ‘गेसू बिखराए, बादल आए झूम के’ गीत लिखा। नौशाद ने उन्हें अपनी नई फिल्म के लिए गीत लिखने का प्रस्ताव दिया तो मजरूह ने वर्ष 1946 में आई फिल्म ‘शाहजहां’ के लिए गीत ‘जब दिल ही टूट गया’ लिखा, जिसने धूम मचा दी। उसके बाद तो अवधी लहजे वाले मजरूह के गीत लोगों के जुबान पर चढ़ गए। मजरूह सुल्तानपुरी और संगीतकार नौशाद की जोड़ी हिट हो गई।


पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार में वह काफी मुश्किल में पड़ गए थे। अपने शायराना अंदाज के जरिए मजरूह सरकार पर निशाना साधते रहते थे, जिसकी वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। उनके जेल जाने की वजह से उनके परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। मजरूह की आर्थिक स्थिति से राज कपूर पूरी तरह से वाकिफ थे।


वह मजरूह सुल्तानपुरी की मदद करना चाहते थे, लेकिन मजरूह ने उनकी मदद लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, ‘मुझे एक गाना चाहिए।’ सुल्तानपुरी ने  ‘एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल’ गाना लिखा और राज कपूर ने उन्हें हजार रुपए दे दिए। सुल्तानपुरी समझ गए कि उन्हें 1000 क्यों दिए गए हैं। निमोनिया की वजह से 80 साल की उम्र में 24 मई, 2000 को मजरूह का निधन हो गया। 

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