Boxing Championship:देश लौटे पदकवीर, पिता को इनामी राशि देंगे हुसामुद्दीन, मां के लिए घर बनवाएंगे दीपक – Boxing Championship: Hussamuddin Will Give Prize Money To Father, Deepak Will Build House For Mother
मोहम्मद हुसामुद्दीन
– फोटो : social media
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विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में पदक जीतने पर अब तक नाम ज्यादा और दाम कम मिलते थे, लेकिन ताशकंद (उजबेकिस्तान) में हुई विश्व मुक्केबाजी में भारतीय मुक्केबाजों को नाम के साथ मोटे दाम भी मिले। यह पहली बार है जब विश्व चैंपियनशिप में भारतीय मुक्केबाजों ने तीन कांस्य पदक जीते। भारतीय पुरुष मुक्केबाजी के इतिहास में यह भी पहली बार है जब कांस्य पदक जीतने पर मुक्केबाजों को 50 हजार अमेरिकी डॉलर (41 लाख रुपये से अधिक) की इनामी राशि मिली। ताशकंद के पदक विजेता दीपक भोरिया (51), मोहम्मद हुसामुद्दीन (57) और निशांत देव (71) मंगलवार को तड़के भारत वापस आ गए। तीनों ही मुक्केबाजों ने अमर उजाला से कहा देश के लिए पदक जीतना उनके लिए अहम है, लेकिन इससे पहले उन्होंने मुक्केबाजी में इतनी बड़ी इनामी राशि के बारे में नहीं सोचा था। दीपक ने कहा वह इस राशि से घर बनवाएंगे तो हुसामुद्दीन और निशांत ने कहा वे पुरस्कार राशि को पिता के हाथों में रख देंगे।
कंधे की चोट से उबरकर ताशकंद खेलने गए दीपक
फ्रांस के मुक्केबाज से सेमीफाइनल में रीव्यू में 3-4 से हारने वाले दीपक को शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष करना पड़ा। यहां भी वह कंधे की चोट से उबरकर खेले और पदक जीते। दीपक कहते हैं कि उन्होंने इससे पहले यह कभी नहीं सोचा था कि मुक्केबाजी में इतनी बड़ी इनामी राशि मिलेगी। हालांकि टूर्नामेंट में उन्होंने कभी इनाम के बारे में नहीं सोचा। उनके दिमाग में सिर्फ पदक था। दीपक के मुताबिक वह इस राशि से अपने माता-पिता को खुशी देना चाहते हैं। वह शुरू से संयुक्त परिवार में रहे हैं, लेकिन इस राशि से वह हिसार में घर बनवाएंगे।
स्वर्ण नहीं जीतने का दर्द है हुसामुद्दीन को
सेना के मुक्केबाज मोहम्मद हुसामुद्दीन चोटिल होने के कारण दुर्भाग्यशाली रहे और सेमीफाइनल नहीं खेल पाए। उन्हें इस बात का अभी भी दर्द है। वह छूटते ही बोलते हैं कि स्वर्ण हाथ से निकल गया। निजामाबाद के हुसामुद्दीन आज जो कुछ भी हैं उसके पीछे उनके पिता शमसमुद्दीन का हाथ है। उनके दोनों भाई एहतेशामुद्दीन और ऐतसामुद्दीन भी भारत के लिए खेल चुके हैं। हुसामुद्दीन कहते हैं कि वह इतनी बड़ी पुरस्कार राशि को अपने पिता के हाथों में रख देंगे। उन्हें इसका जो करना होगा वह कर लेंगे। आखिर आज वह जो कुछ भी हैं बॉक्सिंग कोच अपने पिता की वजह से हैं। वह कहते है कि उनके पिता ने हमेशा उनसे यही कहा कि पैसा आज है कल चला जाएगा, इस लिए उनके दिमाग में हमेशा पदक की बात रही।
निशांत पिता के हाथ में रखेंगे इनामी राशि
करनाल (हरियाणा) के निशांत देव ने 2008 में अपने मामा करमवीर सिंह से प्रभावित होकर मुक्केबाजी शुुरू की। करमवीर जर्मनी में पेशेवर मुक्केबाजी खेलते थे। निशांत कहते हैं कि यह उनके लिए सबसे बड़ा पदक है। जब उन्होंने मुक्केबाजी शुरू की थी तो कभी इनामी राशि के बारे में नहीं सुना था, लेकिन सीनियर स्तर पर आया तो पता लगा कि कुछ टूर्नामेंट में पुरस्कार भी मिलता है, लेकिन इतनी बड़ी राशि के बारे में कभी नहीं सोचा था। यह अच्छा है, इस राशि मुक्केबाज अपने स्वास्थ्य, उपकरण और परिवार पर पैसा खर्च कर सकता है, लेकिन वह यह राशि अपने पिता पवन कुमार को देंगे। उनके किसान पिता ने उनके लिए काफी त्याग है। वह सुबह चार बजे उन्हें अभ्यास कराने ले जाते थे।