राष्ट्रीय राजनीति के लिए बेहद अहम माने जा रहे कर्नाटक विधानसभा चुनाव का प्रचार बेहद आक्रामक अंदाज में सोमवार को खत्म हो गया। मुद्दे की दृष्टि से चुनाव प्रचार के दौरान कई मोड़ आए। इस दौरान कई बार मर्यादा भी टूटी।
प्रचार थमने के साथ ही लेकर अटकलों का दौर तेज हो गया है… क्या भाजपा अपनी सत्ता बचाए रख पाएगी? या कांग्रेस फिर से राज्य की कमान संभालने में सफल होगी? या त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जदएस की किस्मत फिर चमकेगी? चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में कांग्रेस के घोषणापत्र की एक पंक्ति ने चुनाव प्रचार का रुख मोड़ दिया। पीएफआई की तर्ज पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के कांग्रेस के वादे को भाजपा ने बजरंगबली के अपमान से जोड़ा।
विहिप ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया। पीएम ने कहा कि कांग्रेस ने पहले रामलला को ताले में बंद किया अब हनुमान के साथ ऐसा करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली के बाद बजरंगबली मामले में कांग्रेस लगातार सफाई देती नजर आई।
पेसीएम से शुरू, गाली-बजरंगबली पर खत्म
प्रचार की शुरुआत कांग्रेस के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पेसीएम से हुई तो अंत गाली और बजरंगबली पर। चुनाव प्रचार की शुरुआत में कांग्रेस ने राज्य सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया। चर्चित पेमेंट एप पेटीएम की तर्ज पर पेसीएम अभियान चलाया। हालांकि, इसी दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिाकर्जुन खरगे की पीएम मोदी की जहरीले सांप से तुलना और घोषणापत्र में पीएफआई के साथ बजरंग दल पर प्रतिबंध के वादे ने चुनाव प्रचार का रुख पूरी तरह मोड़ दिया।
प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी कांग्रेस पर हमेशा भारी पड़ी है…अतीत में इससे मिले लाभ के मद्देनजर भाजपा ने इस मुद्दे को हाथों हाथ लिया। पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करते हुए इसे पीएम के अपमान से जोड़ा। चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए खरगे के प्रचार पर रोक लगाने की मांग की। खुद पीएम ने मोर्चा संभालते हुए याद दिलाया कि कांग्रेस नेता अब तक उन्हें 91 बार गालियां दे चुके हैं।
पीएम मोदी ने सात दिन में 18 रैलियां व छह रोड शो किए
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान में अपने तूफानी दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 3000 लोगों से मुलाकात की है। इसमें पार्टी कार्यकर्ता और महत्वपूर्ण नागरिक शामिल हैं। पीएम मोदी ने राज्य में 18 रैलियों को संबोधित किया । 27 अप्रैल को एक वर्चुअल संवाद के माध्यम से पार्टी सदस्यों से बात की। उन्होंने छह रोड शो (तीन बंगलूरू में और एक-एक मैसूरु, कलबुर्गी और तुमकुरु में) किए। सूत्रों के मुताबिक, मोदी से मिलने वालों का चयन बेहद सावधानीपूर्वक किया गया। इसमें पार्टी कार्यकर्ताओं, पेशेवरों और शहर के प्रमुख नागरिक शामिल रहे।
सीएम पद के मुख्य दावेदार
बसवराज बोम्मई
2021 में येदियुरप्पा की जगह सीएम बने। भाजपा की सरकार दोबारा आने पर कुर्सी के प्रबल दावेदार। हावेरी जिले की शिगगांव सीट से मैदान में। तीन बार इस सीट से जीते हैं।
प्रह्लाद जोशी
हुबली-धारवाड़ से चार बार के सांसद। 2019 में मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद कद बढ़ा। मोदी और शाह के करीबी।
सिद्धरमैया
2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री रहे। इस बार वरुणा सीट से मैदान में। यहां से उनके बेटे मौजूदा विधायक हैं। गांधी परिवार के विश्वस्त 76 वर्षीय सिद्धरमैया के बारे में माना जाता है कि लिंगायत समुदाय उन्हें पसंद नहीं करता है।
डीके शिवकुमार
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं। पार्टी के संकटमोचक। सात बार के विधायक। मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है। वोक्कालिगा समुदाय के प्रमुख नेता। तीन बार कनकपुरा सीट से जीते हैं और यहीं से मैदान में।
एचडी कुमारस्वामी
अल्पमत के बावजूद दो बार सीएम बने। अटकलें हैं, जदएस 30-35 सीटें हासिल करने में सफल रही तो एक बार फिर कांग्रेस या भाजपा से सौदेबाजी कर किंगमेकर बन सकते हैं।
किसके लिए क्या मायने…
मोदी रथ पर सवार, वापसी की आस
भाजपा ने इस बार कम से कम 150 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है, क्योंकि पिछली बार वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर रह गई थी। यह अलग बात है कि बाद में वह सत्ता में आ गई। मोदी रथ पर सवार सत्तारूढ़ भाजपा की कर्नाटक में जीत 2024 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत में आधार मजबूत करने का काम करेगी।
कर्नाटक से संजीवनी की उम्मीद
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत न सिर्फ भाजपा को सत्ता से बेदखल करेगी, बल्कि अगले आम चुनाव के लिए मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस की दावेदारी को भी मजबूत करेगी।
स्थानीय मुद्दों को दिया महत्व
जदएस का प्रचार स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रहा। क्षेत्रीय दल होने के नाते चुनाव प्रचार की कमान पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के हाथों में ही रही। । पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी प्रचार में शामिल हुए। पार्टी इस बार किंगमेकर नहीं, खुद किंग बनना चाहती है।